अगले चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ के कार्यकाल में होगी सुप्रीम कोर्ट में 17 नये जजों की नियुक्ति

भारत के अगले सम्भावित मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ के लगभग दो वर्ष के कार्यकाल में 5 +12 (कुल 17) न्यायाधीशों के पद खाली हो जाएंगे। इसमें से चार पद तो वर्तमान में खाली हैं और एक वर्तमान चीफ जस्टिस ललित का 8 नवम्बर, 22 को रिक्त हो रहा है और बाकी के 12 पद जनवरी 2023 से सितंबर 2024 के बीच रिक्त होने वाले हैं। एक खाली पद पर कॉलेजियम द्वारा बॉम्बे एचसी के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की गई है। हालांकि केंद्र सरकार ने अभी तक जस्टिस दत्ता की नियुक्ति को अधिसूचित नहीं किया है।अगर इसे मिला दिया जाय तो कुल पद 18 हो जायेंगे।

यदि सब कुछ सामान्य रहा तो जस्टिस चंद्रचूड़ 8 नवंबर को भारत के 50वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ लेंगे और ठीक दो साल बाद 9 नवंबर 2024 को अपना पद छोड़ देंगे।

जस्टिस चंद्रचूड़ के चीफ जस्टिस बनने के बाद वरिष्ठता क्रम में 15 दिसंबर, 2023 को संजय कृष्ण कौल, 4 जनवरी 2023 को जस्टिस अब्दुल नजीर, 16 जून 2023 को जस्टिस केएम जोसेफ, 15 मई 2023 को, जस्टिस एम आर शाह, 17 जून 2023 को जस्टिस अजय रस्तोगी, 14 मई 2023 को जस्टिस दिनेश महेश्वरी, 10 अप्रैल 2024 को जस्टिस अनिरुद्ध बोस, 19 मार्च 24 को जस्टिस एस बोपन्ना, 8 जुलाई 2023 को जस्टिस कृष्ण मुरारी, 20 अक्टूबर 2023 को एस रविंद्र भट्ट, 29 जून 2023 को वी रामासुब्रमण्यम, 1 सितंबर 2024 को जस्टिस हिमा कोहली का रिटायरमेंट होगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को अवकाश ग्रहण करेंगे उसके बाद सबसे वरिष्ठ जस्टिस संजीव खन्ना होंगे, जो 13 मई 2025 को अवकाश ग्रहण करेंगे उसके बाद वरिष्ठ जज जस्टिस बीआर गवई होंगे जो 23 नवंबर 2025 को अवकाश ग्रहण करेंगे ।

उच्चतम न्यायालय में स्वीकृत पदों की संख्या 34 है। अगले महीने सीजेआई यूयू ललित सहित दो और न्यायाधीशों के रिटायर हो जाने बाद यह संख्या (29) घटकर 27 हो जाने की संभावना है ।

वर्तमान चीफ जस्टिस ललित के नेतृत्व वाला वर्तमान कॉलेजियम दो कारणों से अब उच्चतम न्यायालय में कोई नया न्यायाधीश नियुक्त नहीं कर सकता है । पहला कारण उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया को लेकर कॉलेजियम के सदस्यों के बीच चल रहा गतिरोध है तो वहीं इसका दूसरा कारण, एक निवर्तमान चीफ जस्टिस के पद से एक महीने पहले नई नियुक्तियों पर विचार-विमर्श करने के लिए कोई बैठक नहीं करने की पुरानी परंपरा है।

चीफ जस्टिस ललित का कार्यकाल 8 नवंबर को खत्म हो जाएगा। यानी कि वह 8अक्टूबर के बाद नियुक्तियों के लिए कोई बैठक नहीं बुला सकते हैं। अदालतें वैसे भी दशहरा अवकाश पर हैं और 10 अक्टूबर को ही फिर से काम शुरू कर पाएंगी ।

अगले चीफ जस्टिस को नामित करने की प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है । केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने ललित को एक पत्र लिखकर उत्तराधिकारी की सिफारिश करने के लिए कहा है।

एक महीने पहले नई नियुक्ति न किए जाने के इसी नियम के कारण जस्टिस ललित के पूर्ववर्ती, चीफ जस्टिस एन.वी. रमना को उनके सहयोगियों ने उनके कार्यकाल के अंत में नई नियुक्तियां करने से रोक दिया था। इसी तरह तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे को कॉलेजियम में उनके सहयोगियों ने अप्रैल 2021 में उच्चतम न्यायालय के लिए नामों को अंतिम रूप देने के लिए एक बैठक आयोजित करने से रोका था।

नई नियुक्तियों को लेकर कॉलेजियम के सदस्यों के बीच मतभेद पिछले हफ्ते तब सामने आया जब इसके दो सदस्यों ने चीफ जस्टिस ललित के ‘अभूतपूर्व’ प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए लिखित सहमति देने से इनकार कर दिया। जस्टिस ललित ने पत्र भेजकर चार व्यक्तियों को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्त करने के लिए उनकी लिखित सहमति मांगी थी।

एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए जर्मनी के म्यूनिख शहर जाने से पहले 30 सितंबर को लिखे एक पत्र में चीफ जस्टिस ललित ने कॉलेजियम के सदस्यों को एक लिखित प्रस्ताव भेजा। इसमें शीर्ष अदालत में चार मौजूदा रिक्त पदों को भरने की मंजूरी मांगी गई थी। वर्तमान कॉलेजियम के चार न्यायाधीशों में से एक ने प्रस्ताव का समर्थन किया लेकिन दो ने इस पर आपत्ति जताई और चौथे जज ने कहा कि वह शहर से बाहर हैं और नई दिल्ली लौटने पर ही अपने विचार साझा करेंगे।

कॉलेजियम के सदस्यों से लिखित सहमति लेने के ललित के प्रस्ताव से असहमत  दो न्यायाधीशों ने कहा कि उच्च संवैधानिक पद और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति कभी भी सर्कुलेशन के जरिए नहीं की जानी चाहिए। उनके मुताबिक, शीर्ष अदालत में नियुक्तियों पर आम सहमति तक पहुंचने के लिए भौतिक रूप से मिलकर विचार-विमर्श करने की लंबी प्रथा को ही अपनाया जाना चाहिए। इसके अलावा दोनों न्यायाधीशों ने इस आधार पर अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया कि उनका मानना है कि ललित द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया ‘संवैधानिक रूप से त्रुटिपूर्ण’ थी। न्यायाधीशों ने हालांकि जोर देकर कहा कि उन्हें मुख्य न्यायाधीश द्वारा सुझाए गए नामों पर कोई आपत्ति नहीं है। हालांकि जस्टिस ललित ने दोबारा लिखा और दोनों जजों को अपने विचारों पर फिर से विचार करने के लिए कहा।

इसके अलावा एक वरिष्ठ अधिवक्ता की नियुक्ति पर भी आपत्तियां उठाई गई हैं, जो अब नियुक्त होने पर 2030 में सीजेआई बन सकते हैं। एक वकील को ऐसे समय में पदोन्नत करना आदर्श नहीं होगा जब संवैधानिक अदालतों में काफी अनुभव वाले उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश कतार में हों।

जस्टिस ललित के सीजेआई के रूप में पदभार संभालने के एक महीने से भी कम समय में उनके नेतृत्व वाले कॉलेजियम द्वारा बॉम्बे एचसी के मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सिफारिश की गई थी।हालांकि केंद्र  सरकार ने अभी तक जस्टिस दत्ता की नियुक्ति को अधिसूचित नहीं किया है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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