नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार और केंद्र के बीच गठजोड़ अब एक नये चरण में पहुंच गया है। अभी तक इसको लेकर अंदरूनी फुसफुसाहटें हो रही थीं लेकिन अब यह रिश्ता न केवल खुलकर सामने आ गया है बल्कि मुख्यमंत्री केजरीवाल के एक नये फैसले से बिल्कुल आधिकारिक रूप हासिल कर लिया है।
दरअसल दिल्ली हाईकोर्ट के सामने केजरीवाल सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि उसने सालीसिटर जनरल तुषार मेहता को दिल्ली दंगा मामले में दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करने के लिए स्पेशल कौंसिल के तौर पर नियुक्त किया है।
दिल्ली सरकार के गृह विभाग ने इसकी जानकारी 29 मई को दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को दी। जिसमें उसने लिखा है कि सालीसिटर जनरल तुषार मेहता को दिल्ली दंगा मामले में स्पेशल कौंसिल नियुक्त किया गया है।
इस बात की जानकारी दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने आज दिल्ली हाईकोर्ट को दी। और इससे भी ज्यादा दिलचस्प बात यह है कि मेहता के साथ उनकी पूरी टीम को इसमें शामिल कर लिया गया है। जिसमें एएसजी मनिंदर आचार्य, एएसजी अमन लेखी, भारत सरकार के स्टैंडिंग कौंसिल अमित महाजन और एडवोकेट रजत नायर शामिल हैं। मेहरा ने इसकी जानकारी दिल्ली हाईकोर्ट की बेंच के जज जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रजनीश भटनागर को दी।
इसका खुलासा उस समय हुआ जब अकील हुसैन द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गयी एक याचिका में इस बात को लेकर विवाद पैदा हो गया कि दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व दिल्ली सरकार करेगी या फिर केंद्र सरकार।
26 फरवरी को राहुल मेहरा ने सालीसिटर जनरल तुषार मेहता के केस में शामिल होने का विरोध किया था। यह तब हुआ था जब हर्षमंदर ने दिल्ली दंगों की जांच के लिए याचिका दायर की थी।
उसके बाद 27 फरवरी को दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर ने एक आदेश पारित कर सालीसिटर जनरल को हर्षमंदर के केस में दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करने के लिए नियुक्त किया था।
हालांकि उसके बाद भी इस बात को लेकर भ्रम बना हुआ था कि क्या लेफ्टिनेंट गवर्नर दिल्ली सरकार को बाईपास कर दिल्ली पुलिस के लिए कौंसिल की सीधे नियुक्ति कर सकते हैं। लेकिन अब जबकि दिल्ली सरकार ने एसजी तुषार मेहता और तीन दूसरे स्पेशल कौंसिल की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है तो यह विवाद खत्म हो गया है।
दिलचस्प बात यह है कि 29 मई को राहुल मेहरा ने इस बात को फिर साफ किया है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर दिल्ली सरकार के मंत्रिमंडल की सलाह पर ही सेक्शन 24 (8) सीआरपीसी के तहत स्पेशल पीपी या फिर स्पेशल कौंसिल की नियुक्ति कर सकते हैं। और गवर्नर को नियुक्तियों के मामले में कोई स्वतंत्र अधिकार हासिल नहीं है।
मेहरा ने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस ने भी इस स्थिति को स्वीकार कर लिया है क्योंकि उसने स्पेशल पीपी और स्पेशल कौंसिल की नियुक्ति के लिए दिल्ली सरकार के गृहमंत्रालय को अर्जी भेजी थी।
इसके साथ ही कोर्ट ने भी यह साफ कर दिया कि दूसरे मामलों में भी इसी तरह से विवाद को हल कर लिया जाना चाहिए जिससे कोर्ट केसों की मेरिट के आधार पर सुनवाई और उसका फैसला कर सके बनिस्बत इस तरह के विवादों को हल करने पर ऊर्जा खर्च करने के।
(लाइव लॉ से कुछ इनपुट लिए गए हैं।)