सत्ता और सवर्ण आदिवासियों के पैर नहीं अपने दिमाग की गंदगी साफ करें

चुनाव की बेला में एक आदिवासी युवक दशमत रावत पर सत्ता के मद में चूर एक भाजपा नेता द्वारा किया गया बेहद शर्मनाक और मानवता को शर्मसार करने वाला जघन्य कृत्य कैसे राजनीति के अजब-गजब रंग दिखाता है, इसकी बानगी आज मध्य प्रदेश में देखने को मिल रही है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को ही ऐलान कर दिया था कि वे पीड़ित आदिवासी दशमत को न सिर्फ न्याय दिलाएंगे बल्कि उनके हृदय में वीडियो को देखकर जितनी पीड़ा पहुंची है, उसका प्रायश्चित करने के लिए वे स्वंय दशमत रावत को अपने भोपाल स्थित आवास पर बुलाकर अपनी संवेदना व्यक्त करने के साथ-साथ ढाढ़स बंधाने का जतन करेंगे। साफ़ नजर आ रहा था कि शिवराज सिंह ने इस आपदा को अवसर में बदलने का मन बना लिया है। इस एक तीर से कितने लोगों के अरमान हवा हो जायेंगे इसका पूरा खाका तैयार हो चुका है।

आज (गुरुवार) दशमत रावत को मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर कुर्सी पर बिठाया। खुद पीढ़े पर बैठे और मना करने के बावजूद थाल में दशमत के दोनों पांव रख पांव धोये। धोकर पानी अपने माथे पर रखा। स्वागत-सत्कार में शाल ओढ़ाने से लेकर फूलों का हार और गणेश की मूर्ति और टीका-चंदन किया। अपने हाथ से भोजन कराया और फिर बैठकर घर परिवार का हालचाल पूछा। यही नहीं फोन लगाकर दशमत की पत्नी से बात की और हर प्रकार की परेशानी पर मुख्यमंत्री के तौर पर अपनी ओर से हल करने की तत्परता दिखाई। ये सारी चीजें वीडियो के जरिये ट्विटर और राष्ट्रीय न्यूज़ चलाने वाले खबरनवीसों के लिए थीं।

इसके बाद शिवराज सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा है, “यह वीडियो मैं आपके साथ इसलिए साझा कर रहा हूं कि सब समझ लें कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान हैं तो जनता भगवान है। किसी के साथ भी अत्याचार बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। राज्य के हर नागरिक का सम्मान मेरा सम्मान है।”

जाहिर सी बात है, यह सीन 2019 के आम चुनाव से पहले यूपी की संगम नगरी प्रयागराज से चुराया हुआ है। पीएम मोदी ने तब शहर के कुछ सफाई कर्मियों (जाहिर है कि वे दलित थे) का कुछ इसी प्रकार सादर-सत्कार किया था। आज 5 वर्ष बाद उनका क्या हाल है, इसके बारे में एक भी न्यूज़ चैनल या अखबार में कोई खबर नहीं है। लेकिन इस 5 मिनट के रील ने भाजपा के लिए बंपर चुनावी फसल तैयार की थी। इस एक पहलकदमी ने शिवराज सिंह चौहान के दुश्मनों के हौसले पस्त कर दिए हैं। पार्टी में अब चाहकर भी केंद्रीय नेतृत्व कोई फेरबदल नहीं कर सकता है।

इससे पहले कल ही आरोपी के घर पर बुलडोजर चला दिया गया था। हालांकि इसमें कोई खास तोड़-फोड़ नहीं की गई, सिर्फ सीमेंट की चादर वाली छत को गिरा दिया गया। लेकिन मुख्यमंत्री यह बताने में सफल रहे कि उनके राज में केवल मुसलामानों के खिलाफ ही बुलडोजर नहीं चलाया जाता है। उधर कथित राष्ट्रीय मीडिया को पहली बार याद आया कि सजा तो आरोपी को मिलनी चाहिए, उसकी सजा उसके परिवार और पुश्तैनी मकान को क्यों दी जा रही है।

बहरहाल इस एक घटना से पहले ही चुनावी दौड़ में पिछड़ रही भाजपा के लिए अब नाकाम साबित हो रहे शिवराज सिंह के विकल्प में कई दावेदार सामने आ गये थे। हिंदू-मुस्लिम विभाजनकारी राजनीति में शिवराज सिंह की दक्षता ख़ास नहीं है। अपने पहले दो कार्यकाल में उन्हें मध्य प्रदेश में धनी एवं मध्यम किसानों के लिए लाभकारी मूल्य प्रदान कराने वाले नेता के तौर पर ज्यादा जाना जाता था। लेकिन 2014 के बाद केंद्र में पीएम मोदी की ताजपोशी और एलके अडवाणी द्वारा अंतिम समय भाजपा में प्रधानमंत्री पद के लिए उनके नाम को आगे किया जाना, उनके राजनीतिक भविष्य के आज नहीं तो कल समाप्त होने की सूचना थी।

मंगलवार की शाम जैसे ही उक्त वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से देश भर में वायरल होने लगा, तत्काल सीएम शिवराज सिंह एक्शन में आ गये। 2011 की जनगणना के अनुसार मध्य प्रदेश में 21.1% आदिवासी आबादी है। 1.5 करोड़ की आदिवासी आबादी भले ही आज हर लिहाज से हाशिये पर धकेल दी गई हो, लेकिन हर 5 साल में एक बार उनकी सुध लेने के लिए सभी राजनीतिक दल आपस में होड़ करने में किसी से कम नहीं दिखना चाहते।

यहां मामला एक भाजपा कार्यकर्ता से जुड़ा हुआ है, जिस पर सारा देश दो दिनों से आग-बबूला है। मामले की नजाकत को देखते हुए सीएम शिवराज ने ट्वीट किया था कि उनके सामने सीधी जिले का वायरल वीडियो आ चुका है। उन्होंने बताया कि प्रशासन को निर्देश दिए गये हैं कि अपराधी को गिरफ्तार कर उस पर एनएसए लगाया जाये। हुक्म की तामील की गई। घर पर 28 जून से ही लापता होने और थाने में 29 जून की गुमशुदगी की रिपोर्ट पर अब वही पुलिस प्रवेश शुक्ला को पता नहीं कहां से ढूंढकर थाने ले आई।

बुधवार की सुबह जब लोगों ने सोशल मीडिया पर आरोपी शुक्ला को थाने ले जाते देखा तो लोग हैरत में थे कि किस प्रकार छुट्टा सांड की तरह आरोपी थाने में मुंह पर भगवा गमछा लपेटे शान से घुसा जा रहा है। पुलिस वाले उसे हथकड़ी पहनाने के बजाय पीछे-पीछे चल रहे हैं। कई लोग मांग करने लगे कि ऐसे जघन्य अपराध के लिए मामा का बुलडोजर क्या करेगा?

अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ हाल के दिनों में मुख्यमंत्री शिवराज ने पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में सीएम योगी के सफल प्रयोग की नकल का फैसला लिया और अब तक कई बार वे विभिन्न घटनाओं में इसे दुहरा चुके हैं। हाल ही में गंगा-जमुना नामक स्कूल, जिसके बारे में बताया जा रहा है कि पिछले वर्ष 65 विद्यार्थियों में से 60 से अधिक छात्र-छात्राओं को बोर्ड परीक्षाओं में शानदार अंक हासिल हुए थे, के खिलाफ छात्राओं को स्कार्फ पहनने पर पहले स्कूल की मान्यता रद्द कर दी गई, और बाद में स्कूल में अनियमितताओं के नाम पर बुलडोजर न्याय भी दे दिया गया था।

इस सबके बावजूद भाजपा का मध्य प्रदेश में ग्राफ गिरता जा रहा था। कांग्रेस में सीएम के चेहरे को लेकर कोई संदेह नहीं है। उल्टा भाजपा में जगह-जगह बगावती सुर उठ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेसी ही नहीं भाजपा के क्षेत्रीय नेता तक धूल में देखने के लिए मचल रहे हैं। लेकिन 4 साल बाद भी मध्य प्रदेश का सीएम न बन पाने की कसक लिए सिंधिया क्या सोच रहे हैं, किसी को नहीं पता।

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्र और कैलाश विजयवर्गीज की मुख्यमंत्री बनने की हसरत हिन्दुत्ववादी अभियान को प्रदेश में नए-नए मुकाम पर पहुंचा रही थी। लेकिन ऐन चुनावी वर्ष में आदिवासी समुदाय के साथ इस तरह के जघन्य कृत्य के साथ किसी भाजपा कार्यकर्त्ता की तस्वीर वायरल होना कितना आत्मघाती हो सकता है, भाजपा में अनुभवी शिवराज सिंह से बेहतर कोई नहीं जानता।

अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अत्याचार के मामलों में वर्ष 2021 के एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर बना हुआ है। वर्ष 2021 में मध्य प्रदेश में अनसूचित जनजाति के लोगों के खिलाफ 2,627 मामले दर्ज किये गये थे, जो कुल दर्ज मामलों का 29.8% है। दूसरे स्थान पर राजस्थान 24% के साथ 2,121 मामले, उड़ीसा 7.6% के साथ 676 मामले, महाराष्ट्र में 7.13% के साथ 628 मामले और तेलंगाना में 5.81% के साथ कुल 512 मामले दर्ज किये गये थे।

इसलिए यदि शिवराज सिंह चौहान आज किसी आदिवासी के खिलाफ उनकी पार्टी के सदस्य द्वारा किये गये घृणित कृत्य पर पांव पखारते हैं तो इस पर आश्चर्य के बजाय मौजूदा दौर की राजनीति को और ध्यान से देखने और परखने की जरूरत है। शिवराज जी आज जरूरत है कि सत्ता और सवर्ण आदिवासियों के पैर नहीं अपने दिमाग की गंदगी साफ करें

(रविंद्र पटवाल ‘जनचौक’ की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)

रविंद्र पटवाल

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  • अब तो इस तरह के नौटंकी की आदत बन गई है। 2024 तक और भी बहुत कुछ देखने सुनने को मिलेंगे।

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रविंद्र पटवाल