आखिर हुआ शुभकरण का पोस्टमार्टम; अंतिम संस्कार के बाद किसानों के दिल्ली कूच का फैसला

हफ्ते भर की लंबी जद्दोजहद के बाद आखिर बुधवार/वीरवार की रात खनौरी बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की गोली का शिकार हुए पंजाब के किसान शुभकरण सिंह का पोस्टमार्टम पटियाला के राजेंद्रा अस्पताल में हो गया। इस मामले में पंजाब पुलिस ने पटियाला के पांतड़ा पुलिस थाने में शुभकरण के पिता चरणजीत सिंह के बयानों पर अज्ञात के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) व 114 (अपराध के वक्त उकसाने वाले की मौजूदगी) के तहत एफआईआर संख्या 0041 दर्ज की।

यह कार्रवाई बुधवार रात पौने ग्यारह बजे की गई। पुलिस ने एफआईआर की कॉपी किसान संगठनों के नेताओं को दिखाई और उसके बाद साढ़े ग्यारह बजे पांच डॉक्टरों के पैनल ने शुभकरण के शव का पोस्टमार्टम शुरू किया। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आज दोपहर तक मिलने की संभावना है।

शुभकरण की मौत 21 फरवरी को हुई थी और किसान संगठन इस बात पर अडिग थे कि पहले इस मामले में हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज और पुलिस कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया जाए, उसके बाद शुभकरण सिंह का पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार होगा। 29 फरवरी को शंभू और खनौरी बॉर्डर पर किसान मोर्चे की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों को दिल्ली कूच की बाबत अहम फैसला लेना है। पंजाब सरकार चाहती थी कि उससे पहले शुभकरण का पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार हो जाए। इसलिए भी कि इस मामले में भगवंत मान सरकार की भी किरकिरी हो रही थी।

युवा किसान की मौत के बाद मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि शुभकरण को इंसाफ दिलाने के लिए सरकार हर संभव कोशिश करेगी। उसकी मौत के लिए दोषियों के खिलाफ बाकायदा जांच करके केस दर्ज किया जाएगा और पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके बाद शुभकरण के परिजनों को पंजाब सरकार की ओर से एक करोड़ रूपए और उसकी बहन को नौकरी की घोषणा की गई। लेकिन किसान संगठन और मृतक किसान के परिजन इस पर अड़ गए कि पहले पंजाब पुलिस धारा- 302 के तहत मामला दर्ज करे। उसके बाद सरकारी पेशकश कबूल की जाएगी।

हफ्ते भर से सरकार और राज्य पुलिस की ओर से कोई पहल कदमी नहीं की गई। उल्टा पंजाब पुलिस के अफसरों ने यह कहकर मामला उलझा दिया कि वाकया हरियाणा का है; पंजाब में एफआईआर नहीं दर्ज की जा सकती। गुस्साए हजारों किसान राजेंद्रा अस्पताल के बाहर धरने पर बैठ गए और मोर्चरी को घेर लिया। किसानों ने शुभकरण का पोस्टमार्टम नहीं होने दिया। पंजाब सरकार के लिए यह मामला बड़ी मुसीबत का सबब बनता जा रहा था। किसान संगठनों के साथ-साथ विपक्ष भी उसे घेर रहा था। आखिर बुधवार की शाम को रास्ता निकाला गया। देर रात जीरो एफआईआर दर्ज कर ली गई।

घटनास्थल हरियाणा के जींद जिले के गढ़ी में दिखाया गया है। बठिंडा और संगरूर के एसएसपी एफआईआर की कॉपी के साथ अस्पताल पहुंचे। इसके बाद किसान शव का पोस्टमार्टम करवाने के लिए राजी हो गए। मौके पर शुभकरण के परिवार के सदस्य भी थे। इसके बाद किसान संगठनों ने अस्पताल और मोर्चरी के बाहर की घेराबंदी उठा ली।

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल के अनुसार, “पंजाब सरकार ने शुभकरण सिंह की मौत के मामले में एफआईआर दर्ज करने, परिवार को एक करोड़ रुपए की नगद आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की शर्तें मंजूर कर लीं। लिहाजा पोस्टमार्टम के लिए रजामंदी हुई। शुभकरण सिंह का अंतिम संस्कार बठिंडा जिले के उसके पुश्तैनी गांव बल्लो में किया जाएगा। उससे पहले मृतक देह खनौरी बॉर्डर अंतिम दर्शनों के लिए रखी जाएगी। ढ़ाई घंटे के बाद लंबे काफिले के साथ संस्कार के लिए शुभकरण की शव यात्रा उसके गांव की ओर रवाना होगी।”

वीरवार को अंतिम संस्कार के बाद किसान संगठन दिल्ली कूच का ऐलान करेंगे। वीरवार को ही एसकेएम (संयुक्त किसान मोर्चा) की विशेष बैठक लुधियाना में हो रही है। इस बैठक में विभिन्न किसान संगठन व्यापक ‘किसान आंदोलन-2’ की रूपरेखा पर विचार-विमर्श करेंगे। फिलहाल शंभू व खनौरी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों के फोरम और और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की राहें जुदा हैं। दोनों के नेता एक-दूसरे पर किसान आंदोलन कमजोर करने के आरोप-प्रत्यारोप लग रहे हैं। कतिपय किसान संगठन ऐसे भी हैं-जो दोनों ग्रुपों में सुलह की कवायद कर रहे हैं।

उधर, पंजाब कांग्रेस ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डटे आंदोलनरत किसानों की हिमायत में पूरे सूबे में ट्रैक्टर मार्च निकाला। इससे कई जगह ट्रैफिक जाम हो गया। हासिल जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के ट्रैक्टर मार्च में 11 सौ ट्रैक्टरों को शामिल किया गया। कई जिलों में 50 से लेकर 60 किलोमीटर तक ट्रैक्टर मार्च निकाला गया।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग कहते हैं, “सूबे कर व्यक्ति किसानों के साथ खड़ा है। कांग्रेस किसान आंदोलन-2 का खुला समर्थन करती है। मुख्यमंत्री भगवंत मान केंद्र की भाजपा सरकार से खौफजदा हैं। इसीलिए वह बार-बार पैंतरा बदल रहे हैं। भाजपा शासन वाले हरियाणा की पुलिस पंजाब की ओर आकर किसानों पर अत्याचार कर रही है, गोलियां बरसा रही है लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार खामोश है। राज्य सरकार को आंदोलन कर रहे किसानों की हिफाजत के लिए आगे आना चाहिए।”

(पंजाब से अमरीक की रिपोर्ट।)

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