ओबीसी-एससी-एसटी रिजर्वेशन के साथ तत्काल लागू किया जाए महिला आरक्षण: सोनिया गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस संसदीय दल की मुखिया सोनिया गांधी ने महिला आरक्षण विधेयक का समर्थन करते हुए उसमें ओबीसी-एससी-और एसटी कोटा को शामिल किए जाने की मांग की है। लोकसभा में आज विपक्ष की ओर से चर्चा की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि “धुंए से भरी हुई रसोई से लेकर रोशनी से जगमगाती हुई स्टेडियम तक भारत की स्त्री का सफर बहुत लंबा है, लेकिन आखिरकार उसने मंजिल को छू लिया है। उसने जन्म दिया, उसने परिवार चलाया, उसने पुरुषों के बीच तेज दौड़ लगाई और असीम धीरज के साथ अकसर खुद को हारते हुए लेकिन आखिरी बाजी में जीतते हुए देखा”। 

सदन में विपक्षी दलों के सदस्यों द्वारा मेजों की थपथपाहट के बीच कहा कि “भारत की स्त्री के हृदय में महासागर जैसा धीरज है, उसने खुद के साथ हुई बेईमानी की शिकायत नहीं की और सिर्फ अपने फायदे के बारे में कभी नहीं सोचा। उसने नदियों की तरह सबकी भलाई के लिए काम किया है और मुश्किल वक्त में हिमालय की तरह अडिग रही। स्त्री के धैर्य का अंदाजा लगाना नामुमकिन है, वह आराम को नहीं पहचानती और थक जाना भी नहीं जानती। हमारे महान देश की मां है स्त्री, लेकिन स्त्री ने हमें सिर्फ जन्म ही नहीं दिया है, अपने आंसुओं, खून-पसीने से सींच कर हमें अपने बारे में सोचने लायक बुद्धिमान और शक्तिशाली भी बनाया है”।

 कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने लोकसभा स्पीकर को संबोधित करते हुए कहा कि स्त्री की मेहनत, स्त्री की गरिमा और स्त्री के त्याग की पहचान करके ही हम लोग मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सकते हैं। आजादी की लड़ाई और नए भारत के निर्माण हर मोर्चे पर स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है। वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर गृहस्थी के बोझ के नीचे नहीं दबी।  सोनिया गांधी ने आजादी की लड़ाई में शामिल महिलाओं का जिक्र करते हुए कहा कि सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाखों महिलाओं से लेकर आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब आंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है। इंदिरा गांधी जी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है।

श्रीमती गांधी ने अपनी जिंदगी से जुड़े एक पक्ष का उदाहरण देते हुए कहा कि खुद मेरी जिंदगी का यह बहुत मार्मिक क्षण है। पहली दफा स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी जी ही लाए थे, वह लाए थे जो राज्य सभा में 7 वोटों से गिर गया था। बाद में  प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव जी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने ही उसे पारित कराया। आज उसी का नतीजा है कि देशभर के स्थानीय निकायों के जरिए हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। राजीव गांधी जी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है। इस बिल के पारित होने के साथ ही वह पूरा होगा।

 उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है। हमें इस बिल के पास होने से खुशी है, मगर इसके साथ-साथ एक चिंता भी है। मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं – पिछले 13 वर्षों से भारतीय स्त्रियां अपनी राजनीतिक जिम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं और अब उन्हें कुछ वर्ष और इंतजार करने के लिए कहा जा रहा है। कितने वर्ष- 2 वर्ष, 4 वर्ष, 6 वर्ष, 8 वर्ष, क्या भारत की स्त्रियों के साथ यह बर्ताव उचित है?

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की मांग है कि यह बिल फौरन अमल में लाया जाए, लेकिन इसके साथ ही कास्ट सेंसस कराकर शेड्यूल कास्ट, शेड्यूल ट्राइब, ओबीसी की महिलाओं के आरक्षण की व्यवस्था की जाए। सरकार को इसे साकार करने के लिए भी जो कदम उठाने की ज़रूरत है, वह उठाने ही चाहिए।

उन्होंने आखिर में कहा कि स्त्रियों के योगदान को स्वीकार करने और उसके प्रति आभार व्यक्त करने का यह सबसे उचित समय है। इस बिल को लागू करने में और देरी करना भारतीय स्त्रियों के साथ घोर नाइंसाफी है।

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