सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से कहा- नया कांग्रेस अध्यक्ष तलाश लें

नई दिल्ली। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठाने जैसी अभूतपूर्व परिस्थितियों का सामना कर रहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने सहयोगियों से पार्टी का नया चीफ ढूंढ लेने की बात कही है। और खुद अध्यक्ष पद से हट जाने की इच्छा जाहिर की है। बताया जा रहा है कि यह इच्छा उन्होंने एक पत्र में जाहिर की है।

हालांकि कांग्रेस चीफ के पत्र के भीतर क्या कुछ है उसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। लेकिन इस पहल ने ढेर सारे वरिष्ठ नेताओं मसलन पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद को श्रीमती गांधी के समर्थन में बाहर लाकर खड़ा कर दिया है। आपको बता दें कि कल कांग्रेस वर्किंग कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है।

‘द हिंदू’ में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने इस मुद्दे पर बात करने के लिए एक आपातकालीन बैठक की है। इस बात ज्यादातर राज्यों की इकाइयों के गांधी के समर्थन में होने की उम्मीद है।

पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एक बयान में कहा है कि “मौजूदा समय में कांग्रेस में कोई दूसरा नेता पार्टी को एक मजबूत नेतृत्व नहीं दे सकता है”। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पार्टी को बांटने या फिर अपदस्थ करने की कोई भी कोशिश तानाशाह ताकतों को फायदा पहुंचाएगी।

 श्रीमती गांधी का पत्र दरअसल पार्टी के तकरीबन 23 वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र का जवाब है। जिसमें इन नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष से ऊपर से लेकर नीचे तक आमूल-चूल परिवर्तन करने की मांग की है। हिंदू के सूत्रों के मुताबिक इन वरिष्ठ नेताओं द्वारा लिखे गए पत्र पर देश की विभिन्न इकाइयों के तकरीबन 300 पदाधिकारियों की सहमति है। और बताया जा रहा है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक पर निर्भर करता है कि इसे सार्वजनिक किया जाए या नहीं।

यह पत्र एक प्रमुख अखबार के पास पहुंच गया था। बताया जा रहा है कि यह समूह पार्टी की कमान को फिर से पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को दिए जाने का विरोध कर रहा है। उसका कहना है कि निर्णय संसदीय बोर्ड के जरिये लिए जाएं।

दूसरे जो नेता गांधी का समर्थन कर रहे हैं उनका पत्र के बारे में कहना है कि निजी हित पार्टी के हितों पर भारी पड़ रहे हैं। और इसी बात ने इस पत्र को लिखने की उन्हें प्रेरणा दी।

गांधी के प्रति समर्पित एक नेता ने कहा कि “आजाद का राज्यसभा कार्यकाल अगले साल की शुरुआत में खत्म हो रहा है। और वह अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उसी तरह से लोकसभा के सांसद इस बात को लेकर नाराज हैं कि उनको बाई पास कर पार्टी नेताओं के पदों को तवज्जो दिया जाता है। ”

पत्र में उठाए गए कुछ बिंदुओं को मनीष तिवारी और शशि थरूर सार्वजनिक तरीके से जाहिर कर चुके हैं। 2 अगस्त को दि हिंदू को दिए एक साक्षात्कार में तिवारी से जब पूछा गया कि क्या चीज पार्टी को पुनर्जीवित कर सकती है तो उन्होंने कहा कि “एक पूर्णकालिक अध्यक्ष जिसे संविधान (पार्टी) के आर्टिकिल 18 (एच) के हिसाब से एआईसीसी द्वारा चुना गया हो।“ 

आगे उन्होंने कहा कि “विकल्प हैं: (ए) राहुल गांधी अपना इस्तीफा वापस ले सकते हैं। (बी) अगर वह किन्हीं कारणों से हिचकते हैं तो उसके बाद श्रीमती सोनिया गांधी को जारी रहने के लिए मनाया जाना चाहिए उनके इस काम को न करने की ज्ञात इच्छा के बावजूद। (सी) अगर दोनों चीजें नहीं हो पातीं तो फिर अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होना चाहिए।”

तिवारी ने कहा कि “सीडब्ल्यूसी में चुने जाने वाले पदों को चुनाव के जरिये ही भरा जाना चाहिए। कांग्रेस संसदीय समिति को फिर से जिंदा किया जाना चाहिए। पिछले सालों की तरह एआईसीसी का सत्र दो साल में एक बार होना ही चाहिए। और आंतरिक चुनावों को बाहर से सुवरवाइज किया जाना चाहिए जैसा कि आईवाईसी में हुआ। हालांकि जो चीज सबसे महत्वपूर्ण है वह यह कि आगे बढ़ने के लिए वैचारिक और रणनीतिक स्पष्टता बहुत जरूरी है।”

(द हिंदू की रिपोर्ट पर आधारित।)

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