पेगासस जासूसी कांड पर सुप्रीम कोर्ट का केंद्र को नोटिस

उच्चतम न्यायालय में केंद्र ने इस बात का खुलासा करने से इनकार कर दिया कि उसने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं। इस पर उच्चतम न्यायालय ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि क्या आप सुनिश्चित हैं कि आप और कुछ नहीं कहना चाहते हैं? मेहता ने जवाब दिया कि वह सार्वजनिक डोमेन में जानकारी नहीं दे सकते कि सरकार ने किस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं, क्योंकि बाद में जिन लोगों को कानूनी रूप से इंटरसेप्ट किया जा रहा है, वे इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकते हैं। आप पाठक स्वयं निर्णय करें कि क्या यह प्रकारान्तर से सरकार की स्वीकारोक्ति नहीं है कि जासूसी तो हुई है और आज भी हो रही है?

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह मामला सार्वजनिक बहस का विषय नहीं हो सकता। उन्होंने पीठ से कहा कि ये सॉफ्टवेयर हर देश द्वारा खरीदे जाते हैं और याचिकाकर्ता चाहते हैं कि इसका खुलासा किया जाए कि क्या सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल नहीं किया गया। अगर हमने इसकी जानकारी दे दी तो आतंकी एहतियाती कदम उठा सकते हैं। ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे हैं और हम अदालत से कुछ भी छिपा नहीं सकते।

चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की पीठ ने नागरिकों की जासूसी करने के लिए पेगासस स्पाईवेयर के कथित इस्तेमाल की जांच की मांग वाली याचिकाओं पर मंगलवार को याचिकाओं को विचारार्थ स्वीकार करने से पहले केंद्र को नोटिस जारी करते हुए कहा कि केंद्र का दो पन्नों का हलफनामा विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं है। चीफ जस्टिस ने मामले में 10 दिन बाद की तारीख देते हुए कहा कि हमें एक व्यापक उत्तर की उम्मीद थी। पीठ ने केंद्र से कहा कि उसे इस मामले में व्यापक जवाब की उम्मीद है, हालांकि सरकार ने 2 पेज का सीमित हलफनामा दायर किया। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 10 दिन बाद तय की है।

चीफ जस्टिस रमना ने कहा कि नोटिस 10 दिनों के बाद सूची दें। इस बीच, हम आगे की कार्रवाई के बारे में सोचेंगे, सरकार को नोटिस जारी करें। पीठ में शामिल जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस ने भी कहा कि केंद्र का दो पन्नों का हलफनामा विभिन्न याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए मुद्दों को संतुष्ट करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार तटस्थ और स्वतंत्र विशेषज्ञों की एक तकनीकी समिति के समक्ष सभी तथ्य रखने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ समिति तथ्यों की जांच कर सकती है और शीर्ष अदालत में एक रिपोर्ट पेश कर सकती है। केंद्र सरकार पेगासस मुद्दे पर कोई अतिरिक्त हलफनामा दाखिल नहीं करना चाहती, क्योंकि इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के पहलू शामिल हैं। केंद्र ने कहा कि वह मुद्दों की जांच के लिए उसके द्वारा गठित की जाने वाली प्रस्तावित विशेषज्ञ समिति के समक्ष विवरण रखने को तैयार है। लेकिन हम देश की सुरक्षा से संबंधित विवरण नहीं दे सकते।

सुनवाई के दौरान केंद्र ने पीठ के सामने इस बात का खुलासा करने से इंकार कर दिया कि उसने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं। इस पर जस्टिस बोस ने मेहता से पूछा कि क्या आप सुनिश्चित हैं कि आप और कुछ नहीं कहना चाहते हैं? मेहता ने जवाब दिया कि वह सार्वजनिक डोमेन में जानकारी नहीं दे सकते कि सरकार ने किसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया या नहीं, क्योंकि बाद में जिन लोगों को कानूनी रूप से इंटरसेप्ट किया जा रहा है, वे इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर सकते हैं।

पीठ ने कहा कि वह नहीं चाहती कि केंद्र ऐसी किसी बात का खुलासा करे जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा या देश की रक्षा से समझौता हो। पीठ ने कहा कि लेकिन सक्षम अधिकारी यह कहते हुए हलफनामा दाखिल कर सकते हैं कि वे क्या कर सकते हैं, हम नोटिस जारी कर सकते हैं और हलफनामा मांग सकते हैं।

पीठ ने पेगासस स्पाइवेयर के जरिए कार्यकर्ताओं, राजनेताओं, पत्रकारों और संवैधानिक इकाई के सदस्यों की कथित जासूसी की रिपोर्टों की न्यायिक जांच की मांग की विशेष जांच दल या अदालत की निगरानी में कराने की मांग कर रही याच‌िकाओं के बैच की सुनवाई 10 दिनों के लिए आगे बढ़ा दी है।

पीठ ने कल यह तय करने के लिए सुनवाई आज के लिए स्थगित कर दी थी कि क्या केंद्र सरकार मामले में एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करना चाहती है। ऐसा याचिकाकर्ताओं द्वारा इस बात पर प्रकाश डालने के बाद था कि केंद्र द्वारा दायर सीमित हलफनामे ने इस सवाल को टाल दिया है कि क्या सरकार या उसकी एजेंसियों ने कभी पेगासस का इस्तेमाल किया है, किया गया ‌था। भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आज अदालत को बताया कि मामले में केंद्र द्वारा पहले से दायर किया गया हलफनामा पर्याप्त है और एक और हलफनामे की आवश्यकता नहीं है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सरकार प्रस्तावित तकनीकी समिति के समक्ष सभी विवरण रखेगी, जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया कि केवल तटस्थ अधिकारी शामिल होंगे। एसजी ने कहा, “हमने पिछले हलफनामे में जो कुछ भी प्रस्तुत किया है, वह मामले को कवर करता है। मैंने जो हलफनामा दायर किया है वह पर्याप्त है। मैं समझाता हूं कि क्यों। मैं इस देश की सर्वोच्च संवैधानिक अदालत के समक्ष हूं। श्री सिब्बल ने कल बहुत सही कहा था कि इंटरसेप्‍शन की अनुमति के लिए एक वैधानिक योजना है। ये सभी राष्ट्रीय सुरक्षा को संबोधित करने, आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए आवश्यक हैं।

याचिकाकर्ता चाहते हैं कि सरकार यह बताए कि किसी सॉफ्टवेयर का उपयोग नहीं किया गया था। यदि ऐसा होता है, तो आतंकवादी गतिविधियों आदि के लिए जिन लोगों को इंटरसेप्ट किए जाने की संभावना है, वे पूर्व-निवारक या सुधारात्मक कदम उठा सकते हैं। हमारे पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। कौन सा सॉफ़्टवेयर उपयोग किया जाता है या कौन सा सॉफ़्टवेयर उपयोग नहीं किया जाता है – ये राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे हैं। यह हलफनामा और सार्वजनिक बहस का मामला नहीं हो सकता है।

पीठ ने कहा कि वह सरकार को किसी भी जानकारी का खुलासा करने या राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के लिए मजबूर नहीं करना चाहती। पीठ ने कहा कि वह केवल नागरिकों के फोन को कथित रूप से इंटरसेप्ट करने के लिए आदेश दिए जाने के बारे में जानकारी चाहती है। यहां मुद्दा अलग है, लोग अपने फोन हैकिंग का आरोप लगा रहे हैं। नागरिकों के मामले में भी अनुमति (इंटरेसेप्‍शन) के नियम हैं, केवल सक्षम प्राधिकारी द्वारा अनुमति है। यदि वह सक्षम प्राधिकारी हमारे सामने एक हलफनामा दायर करता है, तो समस्या क्या है? हम नहीं चाहते कि आप राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित कुछ भी कहें!

सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता किसी भी राष्ट्रीय सुरक्षा संबंधी जानकारी की मांग नहीं कर रहे हैं और केवल यह जानना चाहते हैं कि क्या सरकार ने पेगासस का उपयोग करके इंटरेसेप्‍शन को अधिकृत किया है। सिब्बल ने कहा कि हम नहीं चाहते कि वे राज्य की सुरक्षा के बारे में कोई जानकारी दें। अगर पेगासस को एक तकनीक के रूप में इस्तेमाल किया गया तो उन्हें जवाब देना होगा।

इस अवसर पर न्यायाधीशों ने आपस में संक्षिप्त चर्चा की। उसके बाद पीठ ने कहा कि वह सरकार को एडमिशन से पहले नोटिस जारी कर रही है। पीठ ने कहा कि याचिकाओं पर वह दस दिनों के बाद इस मामले को सुनेगी और देखेगी कि इसमें क्या प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए।

पीठ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका सहित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और अरुण शौरी एवं गैर सरकारी संगठन कॉमन काज भी शामिल है। इन याचिकाओं में मामले की स्वतंत्र जांच कराने की मांग की गई है। अन्य याचिकाकर्ताओं में पत्रकार शशि कुमार, राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास, पेगासस स्पाइवेयर के पुष्ट पीड़ित पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता और एसएनएम अब्दी और स्पाइवेयर के संभावित लक्ष्य पत्रकार प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी शामिल हैं। ये याचिकाएं इजराइली कंपनी एनएसओ समूह के जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस का इस्तेमाल सरकारी एजेंसियों द्वारा कथित तौर पर प्रमुख नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की जासूसी से संबंधित है।

द वायर सहित अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने पेगासस प्रोजेक्ट के तहत यह खुलासा किया था कि इजरायल की एनएसओ ग्रुप कंपनी के पेगासस स्पायवेयर के जरिये नेता, पत्रकार, कार्यकर्ता, सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों की के फोन कथित तौर पर हैक कर उनकी निगरानी की गई या फिर वे संभावित निशाने पर थे।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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