सुप्रीम कोर्ट ने कहा- सरकार मणिपुर में कार्रवाई के लिए समय तय करे अन्यथा हम हस्तक्षेप करेंगे

नई दिल्ली। कुकी-जोमी महिलाओं का नग्न वीडियो वायरल होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सख्त रूख अपनाया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा कि “यह बिल्कुल अस्वीकार्य है। सांप्रदायिक झगड़े में महिलाओं को एक उपकरण के रूप में उपयोग करना। यह संवैधानिक दुरुपयोग का सबसे बड़ा मामला है…अगर सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तो हम करेंगे।”

शीर्ष अदालत ने केंद्र और मणिपुर सरकार से कहा कि वे अपराधियों को सजा दिलाने के लिए की गई कार्रवाई से अदालत को अवगत कराएं। अदालत ने आदेश दिया कि “मीडिया में दिखाई देने वाले दृश्य गंभीर संवैधानिक उल्लंघन और महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में उपयोग करके मानव जीवन का उल्लंघन दर्शाता है, जो संवैधानिक लोकतंत्र के खिलाफ है। केंद्र और राज्य उठाए गए कदमों से अदालत को अवगत कराएं।”

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उस भयावह वीडियो पर स्वत: संज्ञान लिया है जिसमें मणिपुर में भीड़ द्वारा दो महिलाओं को नग्न अवस्था में घुमाने और राज्य में जातीय संघर्ष के बीच यौन हिंसा का शिकार होते दिखाया गया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से अपराधियों को कानून के दायरे में लाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने आज सुबह भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की उपस्थिति की मांग की थी। जब कोर्ट शुरू हुआ, तो एजी और एसजी को संबोधित करते हुए, सीजेआई ने कहा कि “हम उन वीडियो से बहुत परेशान हैं जो कल मणिपुर में दो महिलाओं की परेड के बारे में सामने आए हैं। हम अपनी गहरी चिंता व्यक्त कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार वास्तव में कदम उठाए और कार्रवाई करे। यह बिल्कुल अस्वीकार्य है।”

सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्चूड़ ने कहा कि “सांप्रदायिक संघर्ष के क्षेत्र में लैंगिक हिंसा भड़काने के लिए महिलाओं को साधन के रूप में इस्तेमाल करना बेहद परेशान करने वाला है। यह मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन है। हालांकि वीडियो 4 मई का था, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।”

सीजेआई ने कहा, “हम सरकार को कार्रवाई करने के लिए थोड़ा समय देंगे अन्यथा हम हस्तक्षेप करेंगे।” सीजेआई ने अपराधियों पर मामला दर्ज करने के लिए मई से अब तक अधिकारियों द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण मांगने के बाद चेतावनी दी। सीजेआई ने यह भी पूछा कि सरकार ने यह सुनिश्चित करने के लिए क्या कार्रवाई की कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। सीजेआई ने कहा, “कौन जानता है कि यह अलग-थलग घटना था या कोई पैटर्न है।”

सीजेआई ने अधिकारियों से कहा कि अदालत मणिपुर हिंसा से संबंधित चल रहे मामलों में विचार के लिए इस मुद्दे पर ध्यान दे रही है। इस मामले पर अगले शुक्रवार को विचार किया जाएगा।

सीजेआई ने निम्नलिखित आदेश दिया: “न्यायालय मणिपुर में महिलाओं पर यौन उत्पीड़न और हिंसा के अपराध के बारे में कल से मीडिया में आए वीडियो के दृश्यों को देखकर बहुत परेशान है। हमारा विचार है कि न्यायालय को उठाए गए कदमों से अवगत कराया जाना चाहिए।” सरकार अपराधियों को दंडित करेगी और यह भी सुनिश्चित करेगी कि मणिपुर में ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं। मीडिया में दिखाए गए दृश्य गंभीर संवैधानिक उल्लंघन और मानवाधिकारों के उल्लंघन को दर्शाते हैं। हिंसा को अंजाम देने के लिए महिलाओं को साधन के रूप में इस्तेमाल करना संवैधानिक लोकतंत्र में बिल्कुल अस्वीकार्य है। हम केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश देते हैं कि वे अदालत को यह बताने के लिए तत्काल कदम उठाएं कि क्या कार्रवाई की गई है।”

प्रदीप सिंह
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