गुजरात के बालिग होने की निशानी है तलवारों की जगह तमंचा

(दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाकों में जली दुकानें हैं। गोलियों के निशान हैं। मौत का मातम है। घायलों की परेशानियां हैं। पीड़ितों के दर्द हैं। अनाथ बच्चे हैं। जली और टूटी इबादतगाहें हैं। अपने घरों से पलायन कर चुके लोग हैं। और भीषण किस्म की दहशत है।और भविष्य को लेकर पूरी अनिश्चितता है। वहां जाने पर यह सब कुछ बिल्कुल साफ-साफ देखा और महसूस किया जा सकता है। अल्पसंख्यक तबके की बेचारगी और बहुसंख्यक तबके का अहंकार सड़कों से लेकर दुकानों और मकानों से लेकर इबादतगाहों तक में फैला है। यह कोई दंगा नहीं बल्कि एक सुनयोजित नरसंहार था। जिसमें तमंचा वर्चस्व स्थापित करने के प्रमुख हथियार के तौर पर सामने आया है। गुजरात अब बालिग हो गया है। लिहाजा हथियारों में तरक्की होना लाजमी है। 

गोली मार सालों को…..नारा गगन नहीं अब शरीर भेदने के लिए लग रहा है। और जब यह राजधानी के हृदयस्थल में बेखौफ लगने लगे तो समझा जा सकता है कि हालात कहां पहुंच गए हैं। ऐसा नहीं है कि यहां सिर्फ खौफ ही खौफ है। उम्मीदों के तमाम धागे बिखरे पड़े हैं। जिन्हें मीडिया ने जोड़ना शुरू कर दिया है। और उसके बाद जो तस्वीर बनती दिख रही है अगर वह सामने आ गयी तो केंद्रीय सत्ता में बैठे लोगों को वह बेपर्दा कर देगी। कहीं कोई प्रेमकांत पड़ोसी मुसलमान के परिवार को बचाने के लिए अपनी जान पर खेल गया। तो कहीं कोई मुसलमान अपनी जान की परवाह किए बगैर एक मंदिर की रखवाली के लिए 24 घंटे पहरा देता रहा।

इन्हीं धागों को जोड़ने और मुकम्मल तस्वीर को सामने लाने के मकसद से आज जनचौक की टीम ने दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाके का दौरा किया। इसमें महेंद्र मिश्र, सुशील मानव और वीना शामिल थीं। मौजपुर का जानलेवा हमला भी सुशील मानव के जज्बे को नहीं तोड़ सका। चोट पूरी तरह से ठीक न होने के बावजूद वह फिर से अपने मिशन में उतर पड़े हैं। वीना लगातार दंगे के सच को बाहर लाने की कोशिश कर रही हैं। आज इस टीम ने दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट में स्थित घोंडा, ब्रह्मपुरी, गोकुलपुरी, ब्रजपुरी आदि इलाकों का दौरा किया। इस दौरान टीम के सदस्यों ने जगह-जगह फेसबुक लाइव किया। इस टीम में हम लोगों के साथ न्यूयार्क से निकलने वाले जगरनाट की रिपोर्टर मखाइल भी मौजूद थीं। इसके अलावा सुशील मानव के साथ चोट खाने वाले रंगकर्मी अवधू आजाद भी लगातार साथ बने रहे। लाइव के इन सारे वीडियो को एक-एक कर यहां दिया जा रहा है-संपादक)

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