मंदी की मार: जमशेदपुर के बाद टाटा का पुणे स्थित पिंपरी आटो प्लांट भी तीन दिनों के लिए बंद

नई दिल्ली। आटोमोबाइल में मंदी का असर अब जमीन पर दिखने लगा है। जमशेदपुर के बाद टाटा को अपना पुणे स्थित प्लांट भी तीन दिन के लिए बंद करना पड़ा है। पिंपरी चिंचवाड़ स्थित इस प्लांट में अगले तीन दिनों में कोई काम नहीं होना है।

टाइम्स आफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों का कहना है कि पिछले कई सालों में उन्होंने इस तरह की कोई बंदी नहीं देखी थी। कंपनी ने ऐसा मार्केट की स्थिति को देखते हुए किया है।

पिंपरी चिंचवाड़ प्लांट के बंदी की सूचना यूनियन द्वारा एक पत्र के जरिये दी गयी। इसमें कहा गया है कि “कंपनी 8 से 10 अगस्त के बीच बंद रहेगी। यह मेंटीनेंस और उत्पादन में कमी होने के चलते किया जा रहा है। इस दौरान 50 फीसदी खर्चे कंपनी उठाएगी औऱ बाकी कंपनी और यूनियन के बीच हुए समझौते के हिसाब से 50 फीसदी कर्मचारियों को उठाना होगा।”

टाटा मोटर्स कर्मचारी यूनियन के महासचिव संतोष दलवी ने कहा कि “पिछले कुछ दिनों से उत्पादन बहुत कम हो गया है। वेंडर्स के यहां से सप्लाई भी बहुत कम हो गयी है। ऐसा लगता है कि यह बंदी इन्हीं कारणों के चलते है। इंजन टेक्नालाजी में परिवर्तन (यूरो 4 से 6 किया जाना) भी एक बड़ी चुनौती है। कंपनी इसके पहले भी ब्लाक के हिसाब से बंदी करती रही है। लेकिन वे सब मेंटिनेंस के उद्देश्य से होते थे और महज एक दिन के लिए होते थे।”

टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने इस घटनाक्रम की पुष्टि की। उसने कहा कि “बाहरी माहौल अभी भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है जिसने मांग को बहुत कम कर दिया है। हमने अपने उत्पादन को मांग के हिसाब से बराबर कर लिया है। साथ ही शिफ्ट और ठेके वाली श्रमशक्ति को भी उसी हिसाब से समायोजित कर लिया है।”

इस मंदी के चलते जमशेदपुर में टाटा समेत 30 कंपनियों ने पिछले महीने बंदी का ऐलान किया था। बड़े उद्योगों के बंदी का विकल्प चुनने के बाद छोटे और मझोले उद्योगों को भी चोट पहुंची है। उनका कहना है कि उन्हें बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। और जल्द ही वो भी छटनी की शुरुआत कर देंगे।

हंसराज इंडस्ट्रीज के मालिक कार्तिक गोवर्धन जो आटोमोबाइल इंडस्ट्री को मेटल पार्ट सप्लाई करती है, ने दावा किया कि मांग की कमी के चलते उनकी कंपनी का प्रति महीने 5 से 6 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

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