रूपर्ट मर्डोक के साम्राज्य का अंत और हमारा गोदी मीडिया

किसी समय मीडिया के जगत का एकछत्र सम्राट कहे जाने वाले अमेरिका के रूपर्ट मर्डोक का साम्राज्य उसकी आंखों के सामने ही कैसे पूरी तरह से धराशायी हो गया, इसकी कहानी पर डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति काल पर सबसे सफल त्रयी के लेखक माइकल वुल्फ़ ने एक किताब लिखी है- The Fall : The End of Murdoch Empire । आज के ‘टेलीग्राफ’ अख़बार में अनीता जोशुआ ने उसकी एक समीक्षा की है।

अनीता ने समीक्षा के प्रारंभ में बताया है कि कैसे मर्डोक के Fox News ने कभी अमेरिकी समाज की कई प्रकार की धांधलियों पर से पर्दा उठा कर वहां के सर्वश्रेष्ठ समाचार केंद्र का रुतबा हासिल कर लिया था। यहां तक कि डोनाल्ड ट्रंप को व्हाइट हाउस में लाने में भी उसने एक बड़ी भूमिका अदा की, जबकि ट्रंप के बारे में मर्डोक की खुद की राय थी कि वह एक ‘f**king idiot’ है।

बहरहाल, वुल्फ़ लिखते हैं कि मर्डोक के नेटवर्क की यह ख्याति ही मर्डोक के लिए कांटों का ताज साबित हुई। इस नेटवर्क के एंकर कन्जर्वेटिव पार्टी के समर्थन से शुरू करके क्रमशः इतने भयानक दक्षिणपंथी होते चले गए कि वे रिपब्लिकन विचारों की सीमा से भी बहुत आगे निकल गए। यहीं से मर्डोक के साम्राज्य का तेज़ी से पतन शुरू हो गया। मर्डोक के पास इस पतन को चुपचाप देखने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था क्योंकि कभी इन बेवकूफ एंकरों की बदौलत ही उसने दुनिया का धन कमाया भी था।

मर्डोक और उसके न्यूज़ नेटवर्क के एंकरों की यह कहानी अनायास ही हमारा ध्यान अभी के भारत के गोदी मीडिया के शैतान एंकरों की ओर खींच लेती है, जो एक मूर्ख राजा को आसमान में उठाने की अपनी अंधी धुन में हमारे पूरे समाज को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंक दे रहे हैं।

यही वजह है कि आज गोदी मीडिया क्रमशः इस कदर तिरस्कृत मीडिया बनता जा रहा है कि इसके चलते टेलीविज़न न्यूज़ मात्र के दर्शकों की संख्या तेज़ी से कम होने लगी है। मोदी तक को इनकी शक्ति पर भरोसा नहीं बचा है और अब वे सोशल मीडिया पर अपना पूरा क़ब्ज़ा जमाने में लग गये हैं।

आज दिमाग़ से पूरी तरह बौड़म क़िस्म के लोगों के अलावा गोदी मीडिया की ओर बाक़ी लोगों ने ताकना भी बंद कर दिया है।

(अरुण माहेश्वरी वरिष्ठ लेखक और स्तंभकार हैं।)

अरुण माहेश्वरी
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