किरण बेदी पुडुचेरी के उपराज्यपाल पद से बर्खास्त

पुडुचेरी में राजनीतिक संकट के बीच किरण बेदी को एलजी पद से हटा दिया गया है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बेदी को तुरंत प्रभाव से हटाते हुए तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सौंदरराजन को पुडुचेरी का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है। बेदी को ऐसे समय पर हटाया गया है जब केंद्र शासित प्रदेश में एक और विधायक के सदस्यता से इस्तीफे के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया है। मौजूदा सदन में कांग्रेस नीत गठबंधन के अब 14 विधायक रह गए हैं। पुडुचेरी विधानसभा के लिए अगले कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं।

राष्ट्रपति भवन ने एक बयान जारी कर यह जानकारी दी है। बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने आदेश दिया है कि किरण बेदी पुडुचेरी के लेफ़्टिनेंट गवर्नर पद पर अब नहीं रहेंगी, तेलंगाना की राज्यपाल तमिलिसाई सुंदरराजन से कहा गया है कि वे अपने मौजूदा काम के अलावा पुडुचेरी के लेफ़्टनेंट गवर्नर के दायित्वों का भी निर्वाह करें। वे यह काम तब तक देखती रहें जब तक नए लेफ़्टिनेंट गवर्नर को नियुक्त नहीं कर दिया जाता है। किरण बेदी को 29 मई 2016 को उपराज्यपाल नियुक्त किया गया था और 21 मई 2021 को उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था।

इस मौके का लाभ उठाते हुए विपक्ष ने मुख्यमंत्री वी नारायणसामी से इस्तीफा मांगते हुए कहा कि सरकार अल्पमत में है। पुडुचेरी की 33 सदस्यीय विधानसभा में अब विपक्ष के सदस्यों की संख्या भी 14 है। हालांकि, नारायणसामी ने विपक्ष की मांग को खारिज करते हुए दावा किया कि उनकी सरकार को सदन में ‘बहुमत हासिल है। 

पुडुचेरी के कांग्रेस विधायक ए जॉन कुमार ने मंगलवार को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, इसके साथ ही गत एक महीने में वह चौथे विधायक हो गए हैं जिन्होंने विधायक पद छोड़ा है। कुमार के इस्तीफे के साथ ही विधानसभा में स्पीकर सहित कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 10 रह गई है। जबकि उसके सहयोगी द्रमुक के तीन सदस्य हैं एवं निर्दलीय सदस्य भी नारायणसामी की सरकार को समर्थन दे रहा है।

सदन में प्रभावी सदस्यों की संख्या के आधार पर बहुमत का आंकड़ा 15 है। पुडुचेरी विधानसभा का चुनाव अप्रैल में होने की उम्मीद है क्योंकि मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 21 जून 2021 को समाप्त हो रहा है। कांग्रेस विधायक के इस्तीफे का घटनाक्रम पार्टी नेता राहुल गांधी के चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत करने आने के एक दिन पहले हुआ है।

कुमार के इस्तीफा के बाद मंगलवार को विधानसभा में कांग्रेस के 10, द्रमुक के तीन, ऑल इंडिया एनआर कांग्रेस के सात, अन्नाद्रमुक के चार, भाजपा के तीन (सभी नामांकित एवं मत देने का अधिकार रखते हैं) और एक निर्दलीय विधायक रह गया है। कांग्रेस के चार विधायकों ने इस्तीफा दिया है जबकि एक विधायक को अयोग्य ठहराया गया है।

नारायणसामी के विश्वासपात्र माने जाने वाले कुमार वर्ष 2019 में ही कामराज सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। पार्टी सूत्रों ने संकेत दिया कि संभव है कि कुमार भाजपा में शामिल हों, क्योंकि माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में भाजपा ने जिस तरह से तृणमूल नेताओं को पार्टी में शामिल कराया है उसी को वह पुडुचेरी में दोहराएगी, हालांकि, यहां पर यह बड़े पैमाने पर नहीं होगा।

पिछले महीने भाजपा अध्यक्ष ने यहां एक रैली को संबोधित करते हुए आरोप लगाया था कि कांग्रेस भ्रष्टाचार में डूबी है और उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में 30 में से 23 से अधिक सीटों पर जीतकर सत्ता में आने का दावा किया था। कांग्रेस से विधायकों के इस्तीफे की शुरुआत पिछले महीने मंत्री ए नमास्सिवयम और ई थीप्पैनजान से शुरू हुई बाद में दोनों भाजपा में शामिल हो गए। मंत्री मल्लाड़ी कृष्णा राव ने भी सरकार से पहले इस्तीफा दिया और फिर सोमवार को विधायक पद से इस्तीफा दे दिया। पिछले साल जुलाई में एन धानवेलु को पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से अयोग्य करार दिया गया था।

भाजपा इस बार केरल, तमिलनाडु के साथ ही पुडुचेरी में भी पूरी ताक़त के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। मुख्यमंत्री ने दस फरवरी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन सौंपकर उनसे आग्रह किया था कि पूर्व आईपीएस अधिकारी को वापस बुला लिया जाए। उन्होंने दावा किया कि वह ‘तुगलक दरबार’ चला रही हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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