…तो ऑक्सीजन संकट पर शुतुरमुर्ग की तरह ज़मीन में मुंह छुपा रही है केंद्र सरकार!

तो वास्तव में केंद्र में पदारूढ़ मोदी सरकार राष्ट्रीय बेशर्म की सरकार बनकर रह गयी है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी से यह ध्वनि निकल रही है, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा है कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छिपा सकते हैं, हम ऐसा नहीं करेंगे। इसी तरह कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की कमी पर केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि लोग मर जाएं? हमें बताएं कि आप ऑक्सीजन कोटा कब बढ़ाने जा रहे हैं?

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कारण बताने को कहा कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति पर आदेश की तामील नहीं कर पाने के लिए उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए? हाई कोर्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही आदेश दे चुका है, अब हाई कोर्ट भी कह रहा है कि जैसे भी हो केंद्र को हर दिन दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होगी। दिल्ली हाई कोर्ट में करीबन चार घंटे की सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हमको जानकारी मिली है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार दिल्ली को उसकी मांग के मुताबिक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नहीं मुहैया करा रही है।

केंद्र सरकार के वकील ने सफाई देते हुए कोर्ट को ये बताने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सीधे तौर पर 700 मीट्रिक टन देने की बात कहीं नहीं कही। जिस पर हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश साफ है कि दिल्ली सरकार की जितनी जरूरत है उसको वह दी जाए। आज की तारीख में हम 976 मीट्रिक टन की बात नहीं कर रहे, लेकिन 700 मीट्रिक टन की मांग दिल्ली सरकार पहले से करती रही है और वह उसको दिया जाना चाहिए। केंद्र सरकार की दलील पर दिल्ली हाई कोर्ट में टिप्पणी करते हुए कि दिल्ली सरकार ने 300 एमटी की मांग की थी। सवाल ये है कि क्या इसका मतलब यह है कि दिल्ली के लोगों को प्रताड़ित होने दें? केंद्र सरकार इन छोटी-छोटी बातों में फंसी रहे और लोगों को मरने दें? दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि यह दुख की बात है कि केंद्र सरकार हलफनामा-हलफनामा खेलना चाहती है, वह भी तब जब लगातार लोगों की जान जा रही है।

इसी दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको कुछ नहीं पता, आप अपना सर एक शुतुरमुर्ग की तरह जमीन में छुपा सकते हैं, पर हम नहीं। यह हाल तब है जब हमारे पास रोज़ाना कोई न कोई अस्पताल आता है और ऑक्सीजन की किल्लत की बात करता है।

हाइ कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में भरोसा दिया था कि दिल्ली के लोगों को प्रताड़ित नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि अभी भी ऑक्सीजन की मांग को लेकर छोटे-छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम हमारे पास अर्जी लगा रहे हैं। हम केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज करते हैं, यह दुखद है कि केंद्र सरकार ऐसे मुद्दे पर भी इस तरीके की दलीलें दे रही है।

हाई कोर्ट ने कहा कि हालात ऐसे हो गए हैं कि अस्पताल अब अपने यहां बेड तक कम करने को मजबूर हो गए हैं। जरूरत इस बात की है कि हम आने वाले दिनों की जरूरतों को देखते हुए तैयारी को और पुख्ता करें, लेकिन यहां तो उल्टा जो कुछ है भी उसमें भी कमी हो रही है। लिहाज़ा केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा जा रहा है कि क्यों न उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू की जाए। कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्र सरकार के नोडल अधिकारियों को कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया।

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि आप सिर्फ कही सुनी बातों पर मत ध्यान दीजिए, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम सिर्फ बयानबाजी नहीं कर रहे हैं। क्या यह एक तथ्य नहीं है? आप अंधे हो सकते हो, हम नहीं हैं। आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं। कोर्ट की इस टिप्पणी पर केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि हमको भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह भावनात्मक मामला ही है, क्योंकि यहां पर लोगों की जान जा रही है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि अगर उनको लगता है कि इस दिक्कत के हल के लिए कुछ एक्सपर्ट की जरूरत है तो आईआईएम जैसे संस्थानों से जुड़े रहे एक्सपर्ट की मदद भी ली जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता यह है कि हमारे पास इतने संसाधन हैं, उनका अच्छे से अच्छा इस्तेमाल हो पाए।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि आज हालत यह हैं कि किसी दिन हमको छह टैंकर ऑक्सीजन मिलती है और किसी दिन 2-3 टैंकर भी नहीं मिल पाती। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली को फिलहाल कम से कम 10 टैंकर की और जरूरत है। अगर केंद्र उनको मुहैया करा दे तो हालात सुधर सकते हैं।

इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि दिल्ली में प्रति दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी को 3 मई की आधी रात तक या उससे पहले पूरी की जाए। यह आदेश 30 अप्रैल को सुरक्षित रखा गया था और इस आदेश को 2 मई को पारित किया गया। आदेश में कहा गया कि जीएनसीटीडी के लिए ऑक्सीजन का मौजूदा आवंटन प्रतिदिन 490 मीट्रिक टन है, जबकि अनुमानित मांग 133 फीसद बढ़कर 700 मीट्रिक टन प्रति दिन हो गई है और इसलिए इसके लिए उपाय की आवश्यकता है।

आदेश में कहा गया है कि केंद्र ने स्वयं उच्चतम  न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में स्वीकार किया है कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की अनुमानित मांग को 490 मीट्रिक टन प्रति दिन से 133 फीसद बढ़ाकर 700 मीट्रिक टन प्रतिदिन कर दिया है। कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी पर कहा कि इस स्थिति को सुधारने की जरूरत है।

उच्चतम न्यायालय ने कोविड से संबंधित मुद्दों पर उठाए गए स्वत: संज्ञान मामले में यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की ज़मीनी हालात दिल दहलाने वाली है। सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली की मेडिकल ऑक्सीजन की मांग पूरी होगी और राजधानी को परेशानी नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि केंद्र और जीएनसीटीडी दोनों को एक-दूसरे का सहयोग करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थिति को हल करने के लिए सभी संभव उपाय किए जा सकें।

कर्नाटक उच्च न्यायालय
इसी तरह कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की कमी पर केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि लोग मर जाएं? हमें बताएं कि आप ऑक्सीजन कोटा कब बढ़ाने जा रहे हैं? न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि राज्य में ऑक्सीजन की दैनिक आवश्यकता 1,792 मीट्रिक टन है, जबकि केंद्र सरकार ने 802 मीट्रिक टन से बढ़कर 865 मीट्रिक टन किया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कर्नाटक राज्य में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या और संबंधित मौतों के बावजूद ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता की कमी पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

… then the central government is hiding its face in the ground like an ostrich on the oxygen crisis!

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तो वास्तव में केंद्र में पदारूढ़ मोदी सरकार राष्ट्रीय बेशर्म की सरकार बनकर रह गयी है। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी से यह ध्वनि निकल रही है, जिसमें हाई कोर्ट ने कहा है कि आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में सिर छिपा सकते हैं, हम ऐसा नहीं करेंगे। इसी तरह कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की कमी पर केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि लोग मर जाएं? हमें बताएं कि आप ऑक्सीजन कोटा कब बढ़ाने जा रहे हैं?

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कारण बताने को कहा कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए दिल्ली को ऑक्सीजन की आपूर्ति पर आदेश की तामील नहीं कर पाने के लिए उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए? हाई कोर्ट ने कहा कि उच्चतम न्यायालय पहले ही आदेश दे चुका है, अब हाई कोर्ट भी कह रहा है कि जैसे भी हो केंद्र को हर दिन दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति करनी होगी। दिल्ली हाई कोर्ट में करीबन चार घंटे की सुनवाई के बाद केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि हमको जानकारी मिली है कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बावजूद अभी तक केंद्र सरकार दिल्ली को उसकी मांग के मुताबिक 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन नहीं मुहैया करा रही है।

केंद्र सरकार के वकील ने सफाई देते हुए कोर्ट को ये बताने की कोशिश की कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सीधे तौर पर 700 मीट्रिक टन देने की बात कहीं नहीं कही। जिस पर हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढ़ते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश साफ है कि दिल्ली सरकार की जितनी जरूरत है उसको वह दी जाए। आज की तारीख में हम 976 मीट्रिक टन की बात नहीं कर रहे, लेकिन 700 मीट्रिक टन की मांग दिल्ली सरकार पहले से करती रही है और वह उसको दिया जाना चाहिए।

केंद्र सरकार की दलील पर दिल्ली हाई कोर्ट में टिप्पणी करते हुए कि दिल्ली सरकार ने 300 एमटी की मांग की थी। सवाल ये है कि क्या इसका मतलब यह है कि दिल्ली के लोगों को प्रताड़ित होने दें? केंद्र सरकार इन छोटी-छोटी बातों में फंसी रहे और लोगों को मरने दें? दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि यह दुख की बात है कि केंद्र सरकार हलफनामा-हलफनामा खेलना चाहती है, वह भी तब जब लगातार लोगों की जान जा रही है।

इसी दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि आपको कुछ नहीं पता, आप अपना सर एक शुतुरमुर्ग की तरह जमीन में छुपा सकते हैं, पर हम नहीं। यह हाल तब है जब हमारे पास रोज़ाना कोई न कोई अस्पताल आता है और ऑक्सीजन की किल्लत की बात करता है।

हाइ कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में भरोसा दिया था कि दिल्ली के लोगों को प्रताड़ित नहीं होने दिया जाएगा, लेकिन उस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, क्योंकि अभी भी ऑक्सीजन की मांग को लेकर छोटे-छोटे अस्पताल और नर्सिंग होम हमारे पास अर्जी लगा रहे हैं। हम केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज करते हैं, यह दुखद है कि केंद्र सरकार ऐसे मुद्दे पर भी इस तरीके की दलीलें दे रही है।

हाई कोर्ट ने कहा कि हालात ऐसे हो गए हैं कि अस्पताल अब अपने यहां बेड तक कम करने को मजबूर हो गए हैं। जरूरत इस बात की है कि हम आने वाले दिनों की जरूरतों को देखते हुए तैयारी को और पुख्ता करें, लेकिन यहां तो उल्टा जो कुछ है भी उसमें भी कमी हो रही है। लिहाज़ा केंद्र सरकार को नोटिस भेजकर जवाब मांगा जा रहा है कि क्यों न उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश का पालन न करने पर कोर्ट की अवमानना के तहत कार्रवाई शुरू की जाए। कोर्ट ने इसके साथ ही केंद्र सरकार के नोडल अधिकारियों को कोर्ट के सामने पेश होने का आदेश दिया।

केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि आप सिर्फ कही सुनी बातों पर मत ध्यान दीजिए, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम सिर्फ बयानबाजी नहीं कर रहे हैं। क्या यह एक तथ्य नहीं है? आप अंधे हो सकते हो, हम नहीं हैं। आप इतने असंवेदनशील कैसे हो सकते हैं। कोर्ट की इस टिप्पणी पर केंद्र सरकार के वकील ने कोर्ट से कहा कि हमको भावनाओं में नहीं बहना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि यह भावनात्मक मामला ही है, क्योंकि यहां पर लोगों की जान जा रही है।

सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सलाह दी कि अगर उनको लगता है कि इस दिक्कत के हल के लिए कुछ एक्सपर्ट की जरूरत है तो आईआईएम जैसे संस्थानों से जुड़े रहे एक्सपर्ट की मदद भी ली जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि हमारी चिंता यह है कि हमारे पास इतने संसाधन हैं, उनका अच्छे से अच्छा इस्तेमाल हो पाए।

दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि आज हालत यह हैं कि किसी दिन हमको छह टैंकर ऑक्सीजन मिलती है और किसी दिन 2-3 टैंकर भी नहीं मिल पाती। दिल्ली सरकार के वकील ने कहा कि दिल्ली को फिलहाल कम से कम 10 टैंकर की और जरूरत है। अगर केंद्र उनको मुहैया करा दे तो हालात सुधर सकते हैं।

इसके पहले उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि दिल्ली में प्रति दिन 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की कमी को 3 मई की आधी रात तक या उससे पहले पूरी की जाए। यह आदेश 30 अप्रैल को सुरक्षित रखा गया था और इस आदेश को 2 मई को पारित किया गया। आदेश में कहा गया कि जीएनसीटीडी के लिए ऑक्सीजन का मौजूदा आवंटन प्रतिदिन 490 मीट्रिक टन है, जबकि अनुमानित मांग 133 फीसद बढ़कर 700 मीट्रिक टन प्रति दिन हो गई है और इसलिए इसके लिए उपाय की आवश्यकता है।

आदेश में कहा गया है कि केंद्र ने स्वयं उच्चतम  न्यायालय में दायर अपने हलफनामे में स्वीकार किया है कि दिल्ली सरकार ने ऑक्सीजन की अनुमानित मांग को 490 मीट्रिक टन प्रति दिन से 133 फीसद बढ़ाकर 700 मीट्रिक टन प्रतिदिन कर दिया है। कोर्ट ने ऑक्सीजन की कमी पर कहा कि इस स्थिति को सुधारने की जरूरत है।

उच्चतम न्यायालय ने कोविड से संबंधित मुद्दों पर उठाए गए स्वत: संज्ञान मामले में यह आदेश पारित किया। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की ज़मीनी हालात दिल दहलाने वाली है। सॉलिसिटर-जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली की मेडिकल ऑक्सीजन की मांग पूरी होगी और राजधानी को परेशानी नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि केंद्र और जीएनसीटीडी दोनों को एक-दूसरे का सहयोग करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि स्थिति को हल करने के लिए सभी संभव उपाय किए जा सकें।

कर्नाटक उच्च न्यायालय
इसी तरह कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन की कमी पर केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आप चाहते हैं कि लोग मर जाएं? हमें बताएं कि आप ऑक्सीजन कोटा कब बढ़ाने जा रहे हैं? न्यायालय को मंगलवार को सूचित किया गया कि राज्य में ऑक्सीजन की दैनिक आवश्यकता 1,792 मीट्रिक टन है, जबकि केंद्र सरकार ने 802 मीट्रिक टन से बढ़कर 865 मीट्रिक टन किया है। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कर्नाटक राज्य में कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या और संबंधित मौतों के बावजूद ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता की कमी पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार और कानूनी मामलों के जानकार हैं। वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

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