मोइत्रा मामले में शार्दुल और पल्लवी श्रॉफ ने कहा: हीरानंदानी के दावे पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं

नई दिल्ली। भारत की अग्रणी लॉ फर्मों में से एक, शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी (एसएएम) के अध्यक्ष शार्दुल श्रॉफ और एसएएम की मैनेजिंग पार्टनर पत्नी पल्लवी श्रॉफ और भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पीएन भगवती की बेटी ने शुक्रवार 20 अक्टूबर को हीरानंदानी ग्रुप के सीईओ दर्शन हीरानंदानी के दावे को खारिज कर दिया है। हीरानंदानी ने दावा किया था कि तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कारोबारी गौतम अडानी को बदनाम करने के लिए उनकी मदद मिल रही थी। एक बयान में उन्होंने हीरानंदानी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी।

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के मुताबिक दर्शन ही वह व्यवसायी थे, जिन्हें मोइत्रा ने सवाल पूछने के लिए अपने संसद लॉग इन और पासवर्ड दिए थे। भाजपा सांसद ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से शिकायत की थी और आरोप लगाया कि मोइत्रा को दर्शन से रिश्वत और महंगे उपहार मिले हैं।

दर्शन ने अपनी ओर से गुरुवार 19 अक्टूबर की शाम लोकसभा आचार समिति को एक हलफनामा सौंपा था और कहा था कि महुआ मोइत्रा प्रधानमंत्री और गौतम अडानी को निशाना बना रही थीं। उन्होंने कहा कि “सुचेता दलाल, शार्दुल श्रॉफ और पल्लवी श्रॉफ जैसे अन्य लोग मोइत्रा को मदद कर रहे थे, जो उनके संपर्क में थे, और जो उन्हें गौतम अडानी और उनकी कंपनियों से जुड़ी सभी प्रकार की असत्यापित जानकारी दे रहे थे।

शार्दुल और पल्लवी श्रॉफ ने अपने बयान में कहा कि “हमने अडानी परिवार या प्रधानमंत्री के खिलाफ उठाए जाने वाले किसी भी प्रश्न के लिए कोई जानकारी नहीं दी है या भुगतान नहीं किया है। यहां तक कि उनके खिलाफ इस तरह का आरोप लगाना भी बेहद दुखद है और पूरी तरह से दुर्भावना से भरी हुई है।”

शार्दुल श्रॉफ और पल्लवी श्रॉफ ने कहा कि “हीरानंदानी ने जो लिखा है वह पूरी तरह से लापरवाह चरित्र हनन है और उनके बयानों में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।” उन्होंने कहा कि, “उसने हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया है और हमारे खिलाफ दुर्भावना से भरे बयान दिये, जिससे हमारी प्रतिष्ठा पर आंच आई है। हमारे पास उसके खिलाफ मुकदमा चलाने का अधिकार सुरक्षित है।”

मामले में भले ही तृणमूल कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी हो लेकिन महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार 20 अक्टूबर को एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा कि “मैं सीबीआई और एथिक्स कमेटी (जिसमें भाजपा सदस्यों का पूर्ण बहुमत है) के सवालों के जवाब देने का स्वागत करती हूं, अगर वे मुझे बुलाएं। मेरे पास अडानी की ओर से निर्देशित मीडिया सर्कस ट्रायल चलाने या बीजेपी ट्रोल्स को जवाब देने के लिए न तो समय है और न ही रुचि।“ उन्होंने कहा कि वह “मैं नादिया में दुर्गा पूजा का आनंद ले रही हूं।“

अपने हलफनामे में, मुंबई के शीर्ष रियल्टर निरंजन हीरानंदानी के बेटे दर्शन हीरानंदानी ने कहा था कि, “महुआ मोइत्रा ने मुझसे अडानी ग्रुप पर अपने हमलों में उनका समर्थन जारी रखने का अनुरोध किया और मुझे अपना संसद लॉग इन और पासवर्ड दिया ताकि मैं ऐसा कर सकूं।

श्रॉफ दंपत्ति ने कहा कि, ”मेरे और मेरी पत्नी पल्लवी दोनों के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह झूठ हैं।”

इससे पहले, 19 अक्टूबर गुरुवार शाम को, मोइत्रा ने हीरानंदानी के पत्र को “एक मजाक” करार दिया था और कहा था, “शार्दुल श्रॉफ सिरिल श्रॉफ के भाई हैं, जिनका उनसे बिजनेस में कड़वाहट के साथ अलगाव हो गया है। उन्होंने कहा कि, सिरिल श्रॉफ गौतम अडानी के ‘समधी’ हैं और हितों के टकराव के मामले में सेबी की समिति में थे।

सिरिल श्रॉफ की बेटी परिधि की शादी गौतम अडानी के बेटे करण से हुई है। शार्दुल और पल्लवी श्रॉफ ने बयान में कहा कि, “मिस्टर अडानी के बेटे की शादी मेरी भतीजी परिधि से हुई है और हम दोनों के मन में करण और परिधि के लिए केवल सद्भावना और स्नेह है और हम कभी भी अडानी परिवार की अगली पीढ़ी को नुकसान पहुंचाने के बारे में सपने में भी नहीं सोचेंगे।”

शार्दुल और सिरिल, दोनों हाई-प्रोफाइल वकील, 2015 में पारिवारिक फर्म अमरचंद एंड मंगलदास में विभाजन के बाद हो गए थे, जो देश की एक अग्रणी लॉ फर्म थी।

श्रॉफ दंपति ने एक बयान में कहा कि “महुआ मोइत्रा ने अडानी परिवार या प्रधानमंत्री पर हमला करने और उन्हें नुकसान पहुंचाने में मदद करने या उन्हें सुविधा प्रदान करने के लिए हमसे कभी कोई मदद नहीं मांगी है। हम ऐसे प्रयास में कभी भी भाग नहीं लेंगे। हमने कभी भी किसी राजनीतिक दल या व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में भाग नहीं लिया या पक्ष या आक्रामक रुख नहीं अपनाया।“

बयान में कहा गया है कि “हम इसे कल्पना से परे नहीं रखते हैं कि कानूनी पेशे में प्रतिद्वंद्वी कंपनियां या हमारे खिलाफ दुश्मनी रखने वाले व्यक्ति हमारे खिलाफ इस तरह के झूठे आरोप लगाने के लिए हीरानंदानी को खड़ा कर सकते हैं। इसकी जांच की जानी चाहिए क्योंकि यह साफ-साफ हमारी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश है।”

श्रॉफ ने कहा कि वे “हीरानंदानी की कंपनियों के लिए काम नहीं करते हैं और दर्शन हीरानंदानी के वकील नहीं हैं।“ उन्होंने कहा कि हम “महुआ मोइत्रा के लिए काम नहीं करते हैं और उनके वकील नहीं हैं। हम किसी भी राजनेता को कोई डेटा या प्रश्न या विवादास्पद व्यावसायिक जानकारी प्रदान या फ़ीड नहीं करते हैं जो एक विनाशकारी राजनीतिक बहस को बढ़ावा दे।”

हीरानंदानी के हलफनामे पर प्रतिक्रिया देते हुए, पत्रकार और मनीलाइफ की प्रबंध संपादक सुचेता दलाल ने कहा कि “यह तथ्य कि दर्शन हीरानंदानी ने मेरा नाम लिया है, यह पूरा पत्र और उनके ‘गंभीर’ बयान को एक दिखावा बनाता है। मुझे लगता है कि महुआ इसकी पुष्टि कर सकती हैं। उनकी मदद करने का सवाल ही नहीं उठता, न ही उन्होंने कभी मुझसे कोई मदद मांगी।”

दरअसल, हीरानंदानी समूह ने मंगलवार 17 अक्टूबर को बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के इन आरोपों का खंडन किया था कि मोइत्रा ने सवाल पूछने के लिए दर्शन हीरानंदानी को अपना संसद लॉग इन और पासवर्ड दिया था। समूह के प्रवक्ता ने कहा था  कि “हम हमेशा व्यवसाय में रहे हैं, राजनीति के व्यवसाय में नहीं। हमारे समूह ने हमेशा देश के हित में सरकार के साथ काम किया है और आगे भी करते रहेंगे।”

मोइत्रा ने गुरुवार 19 अक्टूबर को इस ओर इशारा किया था और आरोप लगाया था कि हीरानंदानी का मसौदा “पीएमओ की ओर से भेजा गया था और उन्हें (दर्शन) इस पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया था।” उन्होंने दावा किया कि, “यह सरकार की ओर से सीबीआई जांच नहीं करने या उनके व्यवसायों पर आक्रामक हमला नहीं करने के बदले में है।”

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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