पश्चिमी देशों को नहीं पता कि भारत के अराजकता में फंसने के बाद बाजार भी नहीं रहेगा: अरुंधति

जी-20 शिखर सम्मेलन चल रहा है।

इसमें बाइडेन, मैक्रॉन जैसे वे सभी लोग हैं जो लोकतंत्र की बातें करते रहते हैं।

वे सभी यह बात जानते हैं कि यहां क्या हो रहा है।

उन्हें मालूम है कि यहां मुस्लिमों का नरसंहार हुआ है।

जो मुसलमान प्रदर्शनों में शामिल हुए थे, उनके घरों पर बुलडोजर चला दिये गये।

मुसलमानों को तंग मुस्लिम बस्तियों में रहने को मजबूर किया गया है।

उन्हें मालूम है कि यहां मुसलमानों को घेर कर मारने और उनकी हत्या के आरोपी लोग इन्हीं मुस्लिम बस्तियों से होकर धार्मिक जुलूस निकाल रहे हैं।

उन्हें मालूम है कि यहां गोरक्षक अपनी तलवारें लहराते हुए मुसलमानों के सफाये के लिए निकल पड़े हैं और मुस्लिम महिलाओं के सामूहिक बलात्कार की धमकी दे रहे हैं।

उन्हें यह सब मालूम है, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता

क्योंकि कुछ पश्चिमी देशों का रुख हमेशा ऐसा ही रहा है, जैसे कि हमारे लिए तो लोकतंत्र चाहिए

जबकि हमारे अश्वेत मित्रों के लिए तानाशाही, या कुछ भी चलेगा

उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता।

भारतीय राज्य का आचरण अत्यधिक मनमाना और अत्यधिक विवाद खड़ा करने वाला हो गया है।

हम ऐसी हालत में हैं, जिसमें संविधान को बिल्कुल परे रख दिया गया है।

मैं तो यह कहूंगी कि आपका यह सोचना बिल्कुल गलत होगा

कि यह 1.4 अरब लोगों का देश, जो कभी एक त्रुटिपूर्ण लोकतंत्र हुआ करता था, और जो अब फ़ासीवाद के चंगुल में फंसता जा रहा है

उसके बारे में अगर आप यह सोचते हैं कि इससे शेष दुनिया पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, तो आप बिल्कुल गलत सोच रहे हैं।

इसे कोई मदद की गुहार मत समझिएगा

यह बस इतना कहने की कोशिश है कि जरा अपने चारों ओर देखिए कि आप वास्तव में क्या रचने में मदद कर रहे हैं।

और यह बढ़ कर कितनी खतरनाक चीज में तब्दील हो चुकी है।

और इन लोगों को यह भी समझना चाहिए कि यह केवल भारत की समस्या तक सीमित नहीं रहने वाली।

हमें किसी से यह उम्मीद भी नहीं है कि वे इन बातों पर ध्यान देंगे,

खास करके कोई विदेशी ताकत

क्योंकि उन सबकी आंखों में तो डॉलर का निशान चमक रहा है।

और उनकी निगाहें 1 अरब लोगों के इस विशाल बाजार पर हैं।

उन्हें इस बात का अहसास नहीं है कि यह महान देश अगर अराजकता में फंस गया तो यह बाजार नहीं रह जाएगा।

(अरुंधति रॉय की यह टिप्पणी उनके एक वीडियो से लिया गया है। अनुवाद शैलेश ने किया है।)

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