कवि और एक्टिविस्ट वरवर राव बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे, मामले की अर्जेंट सुनवाई के लिए की अपील

नई दिल्ली। गंभीर रूप से बीमार कवि, लेखक और एक्टिविस्ट वरवर राव ने एक बार फिर कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने 26 जून के एनआईए कोर्ट के आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी है। एनआईए कोर्ट ने 81 वर्षीय एक्टिविस्ट की मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत की अर्जी को खारिज कर दिया था। उन्होंने जमानत के लिए अपनी लगातार गिरती स्वास्थ्य की स्थिति तथा कोविड-19 को प्रमुख आधार बताया था। राव ने एनआईए कोर्ट के आदेश को रद्द करने की मांग की है। इसके पहले स्पेशल कोर्ट ने इसी भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार 61 वर्षीय प्रोफेसर शोमा सेन की अंतरिम जमानत की याचिका को भी खारिज कर दिया था।

आपको बता दें कि मुंबई स्थित तलोजा जेल में बंद वरवर राव की हालत बेहद गंभीर है। इसकी जानकारी तब मिली जब जेल से उनके परिजनों को फोन गया। कल उनके परिजनों ने प्रेस कांफ्रेंस कर के वरवर राव को तत्काल बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने की मांग की है। इसी वजह से उनके वकील ने रविवार को ही एक अर्जेंट आवेदन कोर्ट में दिया है जिसमें उन्होंने राव के मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की है। आपको बता दें कि इस मामले की रेगुलर सुनवाई 17 जुलाई को होनी है।

इसके अलावा राव ने आज अपने वकीलों आर सत्य नारायन और सुजेन अब्राहम के जरिये जेल अधिकारियों के खिलाफ एक अर्जेंट आवेदन दिया है जिसमें उन्होंने कहा है कि राव के मेडिकल चेकअप के सिलसिले में जेल अधिकारियों ने जेजे अस्पताल द्वारा दिए गए निर्देशों को पूरा नहीं किया है।

याचिका में कोर्ट से जेल अथारिटीज को यह निर्देश देने की मांग की गयी है कि वो राव के इलाज संबंधी पूरी रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करें। और इस सिलसिले में अगर जरूरी हो तो एडवांस चेकअप के लिए उन्हें प्राइवेट अस्पताल में भेजें।

एनआईए ने विशेष अदालत के सामने उनकी अंतरिम जमानत की याचिका का यह कहते हुए विरोध किया था कि चूंकि वह यूएपीए जैसी संगीन धाराओं के अभियुक्त हैं लिहाजा उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि साथ ही एनआईए ने कोर्ट को यह भी कहा था कि वह उनके स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के सिलसिले में जेल अधिकारियों को जरूरी निर्देश दे सकती है।

राव इस साल मई के आखिरी सप्ताह में जेल में अचानक बेहोश हो गए थे। जिसके बाद 26 मई को उन्हें जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। लेकिन स्वास्थ्य दुरुस्त होने से पहले ही अस्पताल से उन्हें जेल वापस भेज दिया गया। जिसके चलते उनका उचित इलाज नहीं हो सका। और इस सिलसिले में जेजे अस्पताल द्वारा जेल अधिकारियों को दिए गए निर्देशों के पूरा न होने से उनकी हालत और खराब हो गयी। जिसका नतीजा है कि उनके शरीर में आवश्यक सोडियम और पोटैशियम की मात्रा कम हो गयी है। जैसा कि कल उनके परिजनों ने बताया।

(कुछ इनपुट इंडियन एक्सप्रेस से लिए गए हैं।)

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