जब इंजन ही फेल है तब डिब्बे बदलने से क्या फायदा : दीपंकर भट्टाचार्य

महामारी के दौर में हर मोर्चे पर अपनी सरकार की विफलता को छुपाने के लिए बड़े पैमाने पर केन्द्रीय कैबिनेट में बदलाव नरेन्द्र मोदी द्वारा बलि का बकरा ढूढ़ने की हताश कोशिश भर है। स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण, श्रम, कानून व न्याय, सूचना और प्रसारण आदि सारे ही विभागों के मंत्री महामारी के दौर में नाकारा साबित हुए हैं तो इसका एकमात्र मतलब है कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से पूरी तरह भाग खड़ी हुई है।

जो बदलाव हुए और जिस तरह नये मंत्री बनाये गये उससे न केवल चुनावी व सांगठनिक प्राथमिकतायें उजागर हो रही हैं, बल्कि अपनी नाकामियों को न मानने की वह निर्लज्ज कोशिश भी साफ दिख रही है जोकि मोदी सरकार की पहचान बन चुका है। दिल्ली चुनावों में ‘गोली मारो’ का भड़काऊ नारा देने वाले अनुराग ठाकुर, जिन पर चुनाव आयोग ने रोक लगाई थी, को नया सूचना व प्रसारण मंत्री बनाना, या केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री के रूप में मनसुख मंडाविया के चयन को और कैसे समझा जा सकता है।

वस्तुत: मोदी और शाह ही इस सरकार में ‘डबल इंजन’ हैं और इतने बड़े पैमाने पर केन्द्रीय केबिनेट का विस्तार करके यह डबल इंजन अपनी नाकामियों को छुपाने में कामयाब नहीं हो पायेगा।

जब इंजन ही फेल है तब डिब्बे बदलने का कोई फायदा नहीं!

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