ह्वाइट हाउस ने नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर अनफॉलो किया, धार्मिक स्वतंत्रता पर आई रपट के बाद उठाया ह्वाइट हाउस ने बड़ा कदम

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यालय ह्वाइट हाउस ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ट्विटर पर अपनी फॉलोइंग लिस्ट से हटा दिया है। ह्वाइट हाउस ने आज से महज तीन हफ्ते पहले ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री कार्यालय और वॉशिंगटन में मौजूद भारतीय दूतावास को ट्विटर पर फॉलो किया था। अब ह्वाइट हाउस ने इन सभी को ट्विटर पर अनफॉलो कर दिया है। भारतीय मीडिया संस्थान इंडिया टुडे का मानना है कि ऐसा ट्रंप के हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन पर दी गई धमकी के मद्देनजर किया गया है।

लेकिन 28 अप्रैल को अमेरिका के यूएस कमिशन फॉर रिलीजियस फ्रीडम की एक रिपोर्ट आई, जिसमें कहा गया कि नरेंद्र मोदी ने भारत में धार्मिक आजादी को खत्म करने को किसी न किसी तरह से बढ़ावा दिया, जिसके बाद साल 2004 के बाद साल 2020 में भारत में धार्मिक आजादी सबसे ज्यादा खतरे में है और अल्पसंख्यकों पर हमले लगातार बढ़े हैं।

10 अप्रैल को अमेरिका की राजधानी वॉशिंगटन स्थित ह्वाइट हाउस ने अपने ट्विटर हैंडल से भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय और वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास के ट्विटर हैंडल को ट्विटर पर फॉलो किया था। इसके अलावा ह्वाइट हाउस ने ट्विटर पर मौजूद अमेरिका के नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास को भी फॉलो किया था। माना जाता है कि ऐसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रगाढ़ होते रिश्तों के मद्देनजर किया गया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पीएमओ और वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास दुनिया भर में इकलौते ऐसे नॉन अमेरिकी ट्विटर हैंडल थे, जिन्हें ह्वाइट हाउस ने फॉलो किया था। इसके साथ ही दुनिया भर में ह्वाइट हाउस जिन्हें फॉलो करता है, उनकी संख्या 19 तक पहुंच गई थी। 10 अप्रैल से लेकर 27 अप्रैल तक तक ह्वाइट हाउस इन्हें फॉलो करता रहा, लेकिन अब इसने इन्हें अनफॉलो कर दिया है। अब ह्वाइट हाउस कुल 13 लोगों को ट्विटर पर फॉलो करता है, जिसमें एक भी भारतीय नहीं है।

दो दिन पहले ही खबर आई थी कि 2020 की वार्षिक रिपोर्ट में यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने कहा है कि मई में दोबारा सत्‍ता में आने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने संसदीय बहुमत का इस्तेमाल राष्ट्रीय स्तर पर ऐसी नीतियों को तैयार करने में किया है, जिससे भारत भर में धार्मिक स्वतंत्रता, खासतौर से मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन हुआ है। आयोग का आरोप है कि केंद्र सरकार ने अल्पसंख्यकों और उनके प्रार्थना स्थलों के खिलाफ होने वाली हिंसा को जारी रहने दिया और नफरत भरे और हिंसा के लिए भड़काने वाले भाषणों को ना सिर्फ चलते रहने दिया, बल्कि उसमें हिस्सा भी लिया।

आयोग ने विशेष रूप से नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का जिक्र किया है और कहा है कि इनसे लाखों लोगों की नागरिकता पर प्रश्न चिन्ह लग जाएगा लेकिन अकेले मुसलमानों को ही संभावित राष्ट्रीयता हीनता यानी किसी भी देश का नागरिक ना होने के परिणाम और तिरस्कार झेलना पड़ेगा। आपको बता दें कि यूनाइटेड स्टेट्स कमीशन ऑन इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम अमेरिकी सरकार का एक संघीय आयोग है, जिसे 1998 के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत गठित किया गया है। इस आयोग के आयुक्तों को राष्ट्रपति, सीनेट और प्रतिनिधि सभा में दोनों राजनीतिक दलों के नेतृत्व द्वारा नियुक्त किया जाता है।

ऐसा लगता है कि इस आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही ह्वाइट हाउस की ओर से भारतीय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय सहित वॉशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास को ट्विटर पर अनफॉलो किया गया है। हालांकि आयोग की इस रिपोर्ट पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि वे यूएससीआईआरएफ की सालाना रिपोर्ट में भारत को लेकर की गयी टिप्पणियों को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ उसके ये पूर्वाग्रह वाले और पक्षपातपूर्ण बयान नए नहीं हैं, लेकिन इस मौके पर उसकी गलत बयानी नए स्तर पर पहुंच गयी है।

(राइजिंग राहुल की रिपोर्ट।) 

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