मणिपुर हिंसा में मारे गए 35 कुकियों के शवों को दफनाने को लेकर कुकी-मैतेई आमने-सामने

नई दिल्ली। तीन महीने बाद भी मणिपुर में हिंसक झड़पें रह-रहकर हो रहीं है। लाखों लोग अस्थायी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। मई में शुरू हुई हिंसा में कुकी-जोमी और मैतेई समुदाय के कम से कम 140 लोगों की जान चली गई है। राज्य के तीन मुर्दाघरों – इंफाल में जेएनआईएमएस और रिम्स और चुराचांदपुर जिला अस्पताल में बड़ी संख्या में शव लावारिस पड़े हुए हैं। चुराचांदपुर कुकी-जोमी तो इंफाल मैतेई प्रभुत्व वाला क्षेत्र है। इस तरह कोई भी पक्ष दूसरे समुदाय के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों की यात्रा करने से डर रहा है। राज्य में जातीय हिंसा शुरू होने के तीन महीने बाद भी मणिपुर की एन. बीरेन सिंह सरकार इतना भी नहीं कर सकी है कि हिंसा में मारे गए लोगों का अंतिम-संस्कार हो सके।

गुरुवार को एक बार फिर मणिपुर के चुराचांदपुर और बिष्णुपुर जिलों की सीमा पर तनाव पैदा हो गया। क्योंकि कुकी-जोमी समुदाय के लोग तीन महीने बाद, 35 कुकी-ज़ोमी लोगों को एक साथ सामूहिक कब्र में दफनाने जा रहे थे। मैतेई समुदाय की तरफ से विरोध होने पर गुरुवार को शाम तक रुक-रुक कर गोलीबारी जारी रही। क्योंकि कुकी-जोमी समुदाय जिस स्थान ‘तोरबुंग’ पर शवों को दफनाने का प्रस्ताव रखा था, वह कुकी-ज़ोमी प्रभुत्व वाले चुराचांदपुर जिले और मैतेई प्रभुत्व वाले बिष्णुपुर जिले की सीमा पर स्थित है। गौरतलब है कि टोरबुंग वही जगह है जहां राज्य के अन्य हिस्सों में फैलने से पहले 3 मई को पहली बार हिंसा भड़की थी।

चुराचांदपुर के मुर्दाघर में 35 शव कुकी-ज़ोमी समुदाय के लोगों के हैं, जो क्षेत्र में प्रभावशाली हैं, स्वदेशी जनजातीय नेताओं के मंच ने परिवारों को उन शवों पर दावा नहीं करने का निर्देश दिया था। इसका उद्देश्य राज्य सरकार पर यह सुनिश्चित करने के लिए दबाव डालना था कि इम्फाल में रखे गए शवों को चुराचांदपुर ले जाया जाए।

हालांकि, इस सप्ताह की शुरुआत में आईटीएलएफ ने घोषणा की कि 35 लोगों को “आदिवासी शहीदों को अंतिम श्रद्धांजलि” के रूप में 3 अगस्त को तोरबुंग में दफनाया जाएगा। स्थान के इस चयन ने क्षेत्र की विवादास्पद प्रकृति के कारण तनाव और हिंसा बढ़ने की संभावित आशंका के साथ सुरक्षा कर्मियों और गृह मंत्रालय को चिंतित कर दिया। 2 और 3 अगस्त की रात को कुकी-ज़ोमी संगठनों और सुरक्षा अधिकारियों और गृह मंत्रालय के बीच सुबह के शुरुआती घंटों में बैठकें हुईं, जिसमें बाद में नियोजित कार्यक्रम पर पुनर्विचार करने के लिए संगठनों पर दबाव डाला गया।

एक रक्षा अधिकारी ने कहा कि “हमने उनसे वहां ऐसा न करने को कहा क्योंकि यह एक विवादित क्षेत्र है। इस बीच, रात में बिष्णुपुर जिले में लोगों का जमावड़ा हो रहा था और सुबह तक जारी रहा।”

इस बीच, योजनाबद्ध कार्यक्रम को रोकने के लिए एक योजना और चल रही थी। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मैतेई फोरम (International Meeteis Forum) नामक एक संगठन ने कुकी-ज़ोमी संगठनों को उस स्थान को दफन स्थल के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए मणिपुर उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि यह सरकारी भूमि है जहां एक रेशम उत्पादन फार्म स्थित है।

इस मामले को गुरुवार को सुबह 10:30 बजे कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाना था, डिप्टी अटॉर्नी जनरल द्वारा अनुरोध किए जाने के बाद गुरुवार सुबह 6 बजे सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया था कि “ जिस भूमि पर दफनाने का प्रस्ताव है वहां को लेकर विवाद है”, दोनों समुदायों की एक बड़ी भीड़ वहां जमा हो गई है और किसी भी समय हिंसा हो सकती है।”

अदालत ने निर्देश दिया कि 9 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख तक विवादित भूमि की यथास्थिति बनाए रखी जाए, “पहले से ही अस्थिर कानून और व्यवस्था की स्थिति को खराब करने की संभावना और हिंसा और रक्तपात की एक नई लहर भड़कने की संभावना को ध्यान में रखते हुए।”

गुरुवार की सुबह, आईटीएलएफ ने एक बयान जारी किया कि उसने “गृह मंत्री के अनुरोध पर” दफनाने में पांच दिन की देरी करने का फैसला किया है।

आईटीएलएफ के एक नेता ने दावा किया, “गृह मंत्रालय ने हमसे एक सप्ताह के लिए इसे स्थगित करने का अनुरोध किया था और कहा था कि वे हमें वहां दफनाने देंगे और वे संबंधित भूमि को दफन स्थल के रूप में उपयोग करने को वैध कर देंगे।”

गुरुवार की सुबह चुराचांदपुर शहर में मृतकों को दफनाने के बजाय उनके लिए एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया था। हालांकि, कांगवई जिले की सीमा पर तनाव बना हुआ है। बड़ी संख्या में आंदोलनकारी मैतेई लोगों के आने की आशंका से बड़ी संख्या में कुकी-ज़ोमी महिलाएं और सशस्त्र स्वयंसेवक रात के दौरान कांगवई के करीब चले गए।

कांगवई में सुबह करीब 7 बजे दोनों पक्षों के बीच रुक-रुक कर गोलीबारी शुरू हो गई, जबकि भीड़ को रोकने के लिए सुरक्षाकर्मियों द्वारा आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए।

मैतेई ने लूटे 200 से अधिक असॉल्ट राइफलें और 19,000 से अधिक गोलियां

गुरुवार को चुराचांदपुर की ओर मार्च करने के लिए जमा हुई मैतेई समुदाय की भीड़ ने बिष्णुपुर जिले के नारानसैना स्थित द्वितीय इंडिया रिजर्व बटालियन (आईआरबी) के मुख्यालय पर धावा बोलकर ‘एके’ और ‘घातक’ श्रृंखला की असॉल्ट राइफलें और विभिन्न कैलिबर की 19,000 से अधिक गोलियों को लूट लिया।

इंडिया रिजर्व बटालियन के अधिकारियों ने बताया कि विभिन्न कैलिबर की 19,000 से अधिक राउंड गोलियां, एक एके सीरीज असॉल्ट राइफल, तीन ‘घतक’ राइफलें, 195 सेल्फ-लोडिंग राइफलें, पांच एमपी-5 बंदूकें, 16 9 मिमी पिस्तौल, 25 बुलेटप्रूफ जैकेट, 21 कार्बाइन, 124 हैंड ग्रेनेड को भीड़ ने लूट लिया।

प्रदीप सिंह

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