नई दिल्ली। बीजेपी के बारे में कहा जा रहा है कि वो एक ऐसी लांड्री बन गयी है जिसमें शामिल होकर कोई भी अपना भ्रष्टाचार, अपराध और गुनाहों के दाग धुल सकता है। आज उसने एक बार फिर महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे को राज्यसभा का टिकट देकर और सपा के पूर्व नेता नरेश अग्रवाल को बीजेपी में शामिल कर इसी बात को साबित कर दिया है। इन दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। नारायण राणे पहले बीजेपी के निशाने पर थे। लेकिन अब पार्टी में शामिल होने के बाद उनके सारे गुनाह माफ हो गए हैं।
कभी चाल, चेहरा और चरित्र की बात करने वाली बीजेपी के लिए अब शायद सत्ता ही मूलमंत्र हो गया है। और उसको हासिल करने के लिए उसे किसी भी तरह के समझौते से कोई परहेज नहीं है। इन दोनों नेताओं की पार्टी में एंट्री उसका ताजा उदाहरण है।
नरेश अग्रवाल के बारे में सोशल मीडिया पर जमकर टिप्पणियां हो रही हैं। इस मौके पर लोग उनके द्वारा बीजेपी के खिलाफ राज्यसभा में दिए गए बयानों को सामने ला रहे हैं तो दूसरी तरफ उनके खिलाफ बीजेपी नेताओं और प्रवक्ताओं की टिप्पणियों की झड़ी लगा दी गयी है।
सदन में नरेश अग्रवाल ने कभी भगवान राम को लेकर एक टिप्पणी की थी। जिसमें उन्होंने राम को रम से जोड़ दिया था। और अब अग्रवाल उन्हीं राम भक्तों की कतार में खड़े हो गए हैं।
कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने इसका जिक्र करते हुए इसे पाखंड की इंतहा करार दिया।
अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब बीजेपी आईटी सेल के मुखिया अमित मालवीय ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाने पर नरेश अग्रवाल को पाकिस्तान का प्रवक्ता करार दिया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि यूपीए के रहते क्या किसी शत्रु की जरूरत भी है।
पत्रकार अभिसार शर्मा ने इस पर अपने तरीके से चुटकी ली है।
संघ से जुड़े आरके सिन्हा ने इससे भी दो कदम आगे जाते हुए पाकिस्तान के साथ नरेश के रिश्तों की एनआईए और रॉ से जांच की मांग तक कर डाली थी।
हद तो तब हो गयी जब नरेश अग्रवाल ने प्रेस के सामने सपा छोड़ने के पीछे के कारणों को बताया। उन्होंने कहा कि “फिल्म में काम करने वाली से मेरी हैसियत कर दी गयी, उनके नाम पर हमारा टिकट काटा गया…”
नरेश अग्रवाल का ये बयान न सिर्फ महिला विरोधी है बल्कि कला विरोधी भी है। ये उनकी पूरी स्तरहीन सोच को दर्शाता है। फिल्म जगत को देखने के उनके ओछे नजरिये को बताता है। और इस मामले में फिल्म जगत से बीजेपी में आयी स्मृति ईरानी और हेमा मालिनी समेत तमाम कलाकारों को जरूर अपनी राय रखनी चाहिए।
हालांकि नरेश अग्रवाल की जया बच्चन के बारे में टिप्पणी का विरोध भी शुरू हो गया। बीजेपी की वरिष्ठ नेता और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ट्वीट कर इस पर कड़ा एतराज जाहिर किया है।
बीजेपी में किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने और उसे बनाए रखने की भूख किस कदर हावी है उसका एक उदाहरण फूलपुर लोकसभा का उपचुनाव भी है। जहां उसने विपक्षी वोटों में बंटवारे के लिए माफिया अतीक अहमद के साथ समझौता किया और उन्हें चुनाव लड़ने की शर्त पर देवरिया जेल से ट्रांसफर कराकर इलाहाबाद लाया गया। इसके अलावा उनके साथ और क्या-क्या समझौते हुए हैं उसको अभी सामने आना बाकी है।
लेकिन इससे बीजेपी के पाखंड की कलई जरूर खुल गयी है। पूरे सूबे में छुटभैया ‘बदमाशों’ के एनकाउंटर का नाटक चल रहा है जबकि बड़े अपराधियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है। यही है बीजेपी की असलियत।