अमृतपाल के संगठन का ‘आर्थिक नेटवर्क’ खंगाल रही हैं एजेंसियां

अस्सी हजार के लगभग पंजाब पुलिसकर्मी और केंद्रीय सुरक्षाबलों के जवान पंजाब में दिन-रात एक करके ‘ऑपरेशन अमृतपाल सिंह खालसा’ चलाए हुए हैं। लेकिन छठवें दिन भी पुलिस खाली हाथ है यानी अमृतपाल सिंह उनकी गिरफ्त से बाहर है। अब उसकी अगुवाई वाले अलगाववादी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ पर प्रतिबंध लगाने की कवायद भी शुरू हो गई है।

केंद्र सरकार किसी भी वक्त इस संगठन पर प्रतिबंध लगाकर इसे गैरकानूनी और देश विरोधी घोषित कर सकती है। भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों ने पंजाब पुलिस और खुफिया विभाग से इस बाबत विस्तृत रिपोर्ट ली है। इसलिए भी कि डोजियर तैयार किया जा सके।

केंद्रीय एजेंसियों ने पंजाब में पड़ाव डाल कर संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ और अमृतपाल सिंह के खिलाफ बाकायदा कई पुख्ता सुबूत इकट्ठा किए हैं। एजेंसियों को छानबीन में यह भी मिला है कि अमृतपाल सिंह को विदेशों से फंडिंग हो रही थी। ऐसे लगभग 160 बैंक खाते चिन्हित किए गए हैं। जब से अमृतपाल सिंह खालसा पंजाब में अलगाववाद को हवा देने लगा, तब से इन खातों में विदेशों से करोड़ों रुपए आने की बात कही जा रही हैं। यह बैंक खाते मुख्य तौर पर माझा और मालवा की विभिन्न ब्रांचों में हैं।

सूत्रों के मुताबिक जांच एजेंसियों ने बैंक अकाउंट खोलने के दौरान जमा करवाए गए दस्तावेज तलब कर लिए हैं। सूक्ष्मता से छानबीन की जा रही है कि खाता कब खोला गया, पहली ट्रांजैक्शन कब हुई और किस-किस देश से कितने पैसे आए। इस पर भी खास फोकस बनाया गया है कि जिनको आगे पैसा भेजा गया, उन्होंने कब-कब किस मकसद से पैसा निकलवाया। जांच के दायरे में यह भी है कि जिसके नाम पर बैंक का अकाउंट खोला गया था, क्या वही उसे ऑपरेट कर रहा था या अलगाववादी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ का कोई पदाधिकारी या समर्थक?

‘वारिस पंजाब दे’ के तमाम पदाधिकारियों और सक्रिय समर्थकों की संपत्तियों की जांच की जा रही है। इसके लिए अमृतसर, तरनतारन, जालंधर, गुरदासपुर और कपूरथला जिलों के सिविल व पुलिस प्रशासन के आला अधिकारी संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। पंजाब पुलिस के आईजी (मुख्यालय) डॉक्टर सुखचैन सिंह गिल कहते हैं कि अमृतपाल व उसके साथियों को किस देश से कितना फंड आया, कौन-कौन से खाते हैं, हर पहलू की जांच की जा रही है।

बुधवार को पंजाब पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों ने अमृतपाल सिंह के गांव जल्लूपुर खेड़ा जाकर उसके माता-पिता और पत्नी किरणदीप कौर से बंद कमरे में तकरीबन दो घंटे तक पूछताछ की थी। हालांकि परिजनों ने यही दोहराया कि उन्हें नहीं मालूम की अमृतपाल कहां है। उसके माता-पिता और दादी पहले ही मीडिया से कह चुके हैं कि वह पुलिस की हिरासत में है लेकिन किसी नीति के तहत इसे जगजाहिर नहीं किया जा रहा।

इस बीच अमृतपाल सिंह के घर से कंप्यूटर भी उठा लिए गए हैं। इस पहलू से भी जांच की जा रही है कि अमृतपाल सिंह खालसा ने किसान आंदोलन के दौरान भी धन जुटाया और उसे अपने पास रख लिया। उसकी पत्नी किरणदीप कौर पर भी विदेशों से खालिस्तान के नाम से फंड इकट्ठा करने के आरोप हैं। विदेशों से फंड जुटाने की मुहिम हाल-फिलहाल तक जारी थी।

पुलिस का दावा है कि अमृतपाल सिंह खालसा बैसाखी के दिन आनंदपुर खालसा फोर्स (एकेएफ) की घोषणा करने वाला था। इस संगठन के जरिए उसने सिख नौजवानों को हथियारबंद होकर अलहदा देश के लिए संघर्ष करने को संगठित करना था।

(वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट।)

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