बांदा में प्रेमी युगल को जिंदा जलाने की लोमहर्षक घटना से चौतरफा रोष

बुन्देलखंड के जिला बांदा के करछा गांव में प्रेमी युगल को जिंदा जलाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। यहां एक प्रेमी युगल को यातनाएं देने के बाद बर्बतापूर्वक जिंदा जला दिया गया। घटना इसी पांच अगस्त की है।  

जांच में पता चला है कि युवक-युवती को जलाने से पहले रस्सी से बांधकर कई घंटे तक यातनाएं दी गईं। इन यात्नाओं के कारण उनकी चीख-पुकार घर के बाहर तक गूंजती रही। इसके बावजूद उन्हें बचाने की हिम्मत गांव वाले नहीं दिखा सके।

जब उन्हें जिंदा जला दिया गया तब जाकर गांव के लोग उन्हें बचाने दौड़े, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। प्रेमी युगल की मौत के बाद गांव में मरघट सा सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव वाले घरों में कैद हैं और इलाके में लगातार पुलिस की आवाजाही है।

घटना के बारे में कोई भी गांव वाला कुछ भी बताने को बमुश्किल तैयार होता है। मृतक युवक के चाचा श्याम बाबू का कहना है कि लड़की के भाई लाखन सिंह और उसके घर वालों ने भोला आरख  (25) और प्रियंका (17) को आपत्तिजनक अवस्था में देखने के बाद पकड़ कर रस्सी से बांध लिया। इसके बाद घर के अंदर कैद करके परिवार के लोगों ने दोनों को जमकर यातनाएं दीं।

उन्होंने बताया कि उन्हें सवेरे 11 बजे ही पकड़ कर घर में कैद किया गया था और यातना देने का सिलसिला कई घंटे तक चलता रहा। भोला के घर वालों को घटना की जानकारी दोपहर तकरीबन एक बजे हुई। इसके बाद हम लोगों ने लड़की के मां-बाप को बुलाने की कोशिश की लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला।

उन्होंने बताया कि इस बीच पुलिस को भी फोन करने की कई बार कोशिश की गई, लेकिन नेटवर्क न होने से फोन नहीं लग पाया। हमें लग रहा था कि वह लोग उन्हें केवल मारपीट रहे थे लेकिन जब एक कमरे से आग की लपटें उठने लगीं तब पूरे गांव में शोर मचा और लोग आग बुझाने की कोशिश करने लगे और किसी तरह कमरे का दरवाजा तोड़कर दोनों को बाहर निकाला गया।

उन्होंने आरोप लगाया कि बाद में हमें पता चला कि लड़की के भाई ने भोला के सिर पर धारदार कुल्हाड़ी से हमला किया था जिससे उसकी हालत नाजुक थी। आग लगने में दोनों लोग गंभीर रूप से झुलस गए थे जिससे उनकी मौत हो गई।

मृतक के चाचा ने बताया कि युवक भोला और युवती प्रियंका दोनों स्वजातीय हैं। भोला सूरत में रहकर मजदूरी करता था। लॉक डाउन की वजह से गांव लौट आया था और अपनी प्रेमिका से शादी करना चाहता था, लेकिन लड़की वाले इस शादी के खिलाफ थे।

इस मामले में लड़की के माता-पिता और भाई समेत चार लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

उधर, युवक-युवती की बर्बर हत्या के संबंध में वामपंथी महिला संगठनों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर इस तरफ ध्यान आकर्षित कराया है। उत्तर प्रदेश के महिला संगठनों अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोशिएशन (ऐपवा), महिला फेडरेशन, एडवा और एनएपीएम ने राज्यपाल को भेजे पत्र में कहा है कि हम प्रदेश के महिला संगठनों के प्रतिनिधि बांदा के गांव में युवक और युवती की नृशंस हत्या से बहुत विचलित हैं ।

हम कहना चाहते हैं कि बांदा में युवक और नाबालिग युवती को यातना देकर दिनदहाड़े जलाए जाने की अमानुषिक घटना सभ्य समाज के लिए कलंक है और पितृसत्ता की बर्बरता का घृणित नमूना है।

इसने भाजपा राज में क़ानून व्यवस्था की कलई खोल कर रख दी है। जाहिर है कानून के राज का खौफ खत्म हो गया है।

महिला संगठनों पत्र में लिखा है कि मीडिया में छपी खबरों के अनुसार इस स्वजातीय युवक-युवती के बीच प्रेम-संबंध थे और वे शादी करने वाले थे, लेकिन जहरीले पितृसत्तात्मक विचारों के शिकार परिवारीजनों को यह नितांत स्वाभाविक मानवीय सम्बंध भी स्वीकार नहीं हुआ और उन्होंने इनकी नृशंसतापूर्वक हत्या कर दी।

हमारे समाज में पहले से मौजूद पितृसत्तात्मक वर्चस्व को हाल के वर्षों में RSS की महिला विरोधी, विचारधारा ने महिमामंडित करके पूरे वातावरण को और भी विषाक्त बना दिया है तथा ऐसा अपराध करने वालों को नैतिक बल, वैधता और तर्क मुहैया कराया है।

पत्र में कहा गया है, महिला संगठनों की पिछले कई सालों से “इज्जत के नाम पर हत्या” के खिलाफ एक अलग कानून की मांग रही है, किन्तु सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया है। इस संबंध में कानून का एक ड्राफ्ट भी महिला संगठनों के  द्वारा लॉ कमीशन को 2015 में दिया गया था। हमें बहुत अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि न तो केंद्र और न ही राज्य सरकारें इस मुद्दे पर गंभीर हैं बल्कि कहीं न कहीं हमारे समाज की पितृसत्तात्मक सोच ही पूरी व्यवस्था पर हावी है।

हमारा अनुभव रहा है कि प्रेमी जोड़ों के साथ पुलिस अपराधियों जैसा बर्ताव करती है, उन्हें सरकार द्वारा भी किसी प्रकार का संरक्षण नहीं मिलता और वे अमानवीय स्थितियों का सामना करते हुए इसी प्रकार नृशंसता का शिकार हो जाते हैं।

आज जिस प्रकार प्रगतिशील मूल्यों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, उसमें इन मासूमों की हत्या पर समाज अपनी मौन स्वीकृति देते हुए चुप्पी साध लेता है।

हम इन अपराधियों को कठोर सजा दिलाने के साथ ही, योगीराज में क़ानून व्यवस्था के ध्वंस के खिलाफ तथा RSS पोषित पितृसत्ता की बर्बरता के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

पत्र में महिला संगठनों ने मांग की है,
1. हम केंद्रीय कानून के साथ उप्र में “इज्जत के नाम पर हो रही हत्याओं” के खिलाफ एक अलग कानून की मांग करते हैं, जैसे राजस्थान सरकार ने बनाया है।
2. हम यह भी मांग करते हैं कि प्रदेश में सरकारी शेल्टर होम बनाए जाएं, जहां अपनी पसंद से विवाह करने वालों को संरक्षण मिले और उनके संवैधानिक अधिकार की रक्षा हो।
3. पुलिस का कानून सम्मत व्यवहार करना सुनिश्चित हो न कि वह अपनी पितृसत्तात्मक सोच से संचालित हो।
4. हम मांग करते हैं कि प्रेम विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रचार माध्यमों के द्वारा लोगों को जागरूक करे तथा प्रोत्साहित करे।
5. मृतक के परिवार को सरकार समुचित आर्थिक मदद सुनिश्चित कराए।
6. जिंदगी मौत से जूझ रही पीड़िता के इलाज की अच्छी व्यवस्था की जाए।

पत्र भेजने वाले महिला संगठनों में ऐपवा से कृष्णा अधिकारी, मीना सिंह, महिला फेडरेशन से आशा मिश्रा, कांति मिश्रा, एडवा से सुमन सिंह, मधु गर्ग और एनएपीएम से अरुंधती धुरु शामिल हैं।

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