इलाहाबादः एमएनएनआईटी में 40 करोड़ का प्रोजेक्ट, बिना काम नौ करोड़ का भुगतान, नक्शा तक पास नहीं

क्या आप कल्पना कर सकते हैं की केंद्र सरकार के एक संस्थान में 40 करोड़ की लागत से होने वाले निर्माण की एनओसी संबंधित विभागों से प्राप्त किए बिना मनमाने ढंग से केंद्र सरकार की ही एक कार्यदायी संस्था को सौंप दिया जाए! और तमाम आपत्तियों को दरकिनार करते हुए भूमि पूजन किया जाए! सौ से अधिक हरे पेड़ बिना संबंधित विभाग की अनुमति से काट दिए जाएं! पार्क में आवासीय निर्माण किया जाए और बिना कोई काम किए संस्थान द्वारा कार्यदायी संस्था को नौ करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान किया जाए! नहीं न! लेकिन ऐसा मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान इलाहाबाद (प्रयागराज), जिसे आम बोलचाल में एमएनएनआईटी कहा जाता है, में डंके की चोट पर किया जा रहा है।

मानव संशाधन विकास मंत्रालय के आदेश के अनुपालन में, जो कि 13 अगस्त 18 में भेजा गया था, कोई भी निर्माण नहीं हो रहा है। इस निर्माण में मल्टी फैकल्टी अपार्टमेंट भी शामिल है। संस्थान के पास कई वैकल्पिक जगह उपलब्ध है, फिर भी एबी पार्क के आधे हिस्से में बिना अनुमति के 119 हरे पेड़ को काट दिए गए हैं, ताकि मल्टी फैकल्टी अपार्टमेंट का निर्माण किया जा सके।

यही नहीं प्रोजेक्ट मानीटरिंग ग्रुप (पीएमजी)  ने साइट बदलने के लिए कहा था, फिर भी  निदेशक ने 23 अगस्त को काम शुरू करा दिया और सभी नियमों को ताख पर रख दिया। लगभग 40 करोड़ का प्रोजेक्ट है, जिसमें से इलाहाबाद विकास प्राधिकरण से  बिना नक्शा पास कराए और एनओसी लिए नौ करोड़ एडवांस दे दिया है।

एमएचआरडी ने आदेशित किया था कि निर्माण स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर के तहत जारी दिशा-निर्देशों का अनुपालन करते हुए किया जाए, ताकि ज्यादा समय न लगे और लागत में वृद्धि न हो, लेकिन एमएनएनआईटी में हो रहे निर्माण में इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि कानून में प्रस्तावित एनओसी प्रयाग डेवलपमेंट अथॉरिटी से नहीं लिया गया है। जानकार सूत्रों का कहना है कि लेक्चर हॉल संकुल का प्रस्ताव पीएमजी की सिफारिश के बिना भेज दिया गया है। यही नहीं नए एकेडमिक ब्लॉक के निर्माण का प्रस्ताव पीएमजी के अनुमोदन के बिना प्रस्तावित किया गया है। इसके अलावा ब्वायज हॉस्टल के निर्माण में काम से अधिक का भुगतान कर दिया गया है।

उत्तर प्रदेश नगर नियोजन और विकास अधिनियम 1973 के तहत नियोजित विकास के लिए प्रस्तावित निर्माण का मानचित्र प्रयागराज विकास प्राधिकरण से स्वीकृत कराकर तथा एनओसी प्राप्त करके ही शुरू किया जा सकता है। इसके लिए मानकों के अनुसार प्रयागराज विकास प्राधिकरण में निर्धारित शुल्क भी जमा करना पड़ता है। इसका अनुपालन किए बगैर तथा बिना एनओसी लिए बहुमंजिली फैकल्टी अपार्टमेंट का निर्माण किया जा रहा है।

आम नागरिकों के निर्माण को अवैध बता कर धनउगाही, कागज में चालान काटने और मौका पड़ने पर ध्वस्तीकरण में सिद्धहस्त प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने इस पर चुप्पी साध रखी है और कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है।

पता चला है कि वाइस चेयरमैन प्रयागराज विकास प्राधिकरण अंकित अग्रवाल की तरफ से एक इमेल एमएनएनआईटी के निदेशक-रजिस्ट्रार के पास भेजा गया है कि संबंधित आवासीय परिसर का स्वीकृत लेआउट प्रस्तुत नहीं किया गया है। आवासीय आवास मौजूदा पार्क और आवासीय परिसर के सड़क हिस्से पर योजना/प्रस्तावित है। सक्षम स्तर से लेआउट में संशोधन करने के लिए प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया गया है। पूरे आवासीय परिसर के लिए आवश्यक पार्क नियमों के अनुसार उपलब्धता सुनिश्चित नहीं की गई है।

ग्रुप हाउसिंग में मौजूदा पार्क के साथ-साथ उस मार्ग को भी शामिल करने का प्रस्ताव दिया गया है, जो अमान्य है। प्रस्तावित समूह आवास के लिए आवश्यक पार्क का 6.15 फीसद प्रस्तावित नहीं किया गया है। जेई-एई की रिपोर्ट के अनुसार साइट का निर्माण शुरू हो चुका है, जो कि उक्त मानकों के पूरा होने और एनओसी मिलने के पहले अवैध है।

आरोप है कि संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ. एसके तिवारी के स्तर से एमएचआरडी के 3 जून 20 के सर्कुलर का उल्लंघन किया जा रहा है। 20 नवंबर 17 के मंत्रालय द्वारा गठित पीएमजी की सिफारिशों की अनदेखी की जा रही है। इसके अलावा अन्य सुसंगत प्रावधानों का भी खुला उल्लंघन किया जा रहा है। संस्थान को चलाने में मनमानी की जा रही है और निर्माण के सभी मानकों को ताख पर रख दिया गया है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और वह इलाहाबाद में रहते हैं।)

जेपी सिंह
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