पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत मान और एसजीपीसी आमने-सामने

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और सर्वोच्च सिख संस्था एसजीपीसी (शिरोमणी गुरद्वारा प्रबंधक कमेटी) में ठन गई है। गौरतलब है कि मान ने संगरूर में दिए अपने एक बयान में कहा था कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का नाम बदल कर ‘शिरोमणि गुल्लक कमेटी’ रख दिया जाना चाहिए। वह बोले थे कि अगर गुरुद्वारों से श्रद्धालुओं द्वारा भेंट राशि डालने वाले बक्से, जिन पर एसजीपीसी का कब्जा है, हटा लिया जाएं तो आधे से ज्यादा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी सदस्य अपने पदों से इस्तीफा दे दें। मुख्यमंत्री का सीधा आरोप था कि एसजीपीसी में भ्रष्टाचार व्याप्त है।

भगवंत मान के इस बयान का एसजीपीसी ने बेहद बुरा मनाया है। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के साथ-साथ आम सिखों में भी इसे लेकर भारी रोष पाया जा रहा है और सुदूर विदेशों से भी मुख्यमंत्री के खिलाफ इसे लेकर मुहिम शुरू हो गई है।

अपना रोष जाहिर करने के लिए शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्यों ने पंजाब भर के जिला मुख्यालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन किए और जिलाधीशों ज्ञापन सौंपकर मुख्यमंत्री भगवंत मान को इस प्रकरण पर सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के लिए कहा है। कमेटी के पदाधिकारियों का कहना है कि मुख्यमंत्री खुद कह चुके हैं कि उन्होंने बतौर सांसद लोकसभा में भी कहा था कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का नाम बदलकर शिरोमणि गुल्लक कमेटी रख दिया जाना चाहिए।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का कहना है कि गुरु की गुल्लक, लंगर, संगत-पंगत और दसवंद निकालकर गुल्लक में डालने की प्रथा शुरू से चली आ रही है। इन प्रथाओं से व्यापक सिख समुदाय की धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुईं हैं, जिन्हें अपने बयान से मुख्यमंत्री ने आहत किया है। उन्हें फौरन माफी मांगनी चाहिए। नहीं तो श्रद्धालु सिख इस बाबत बड़े पैमाने पर आंदोलन करेंगे।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी कहते हैं, “पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने उन सिख श्रद्धालुओं का मजाक बनाया है जो श्रद्धा के साथ गुरु घरों में सेवा करते हैं और गुल्लक में भेंट राशि अर्पित करते हैं। वह अपनी राजनीति चमकाने के लिए एसजीपीसी को निशाना बना रहे हैं और सिख भावनाओं को ठेस पहुंचा रहे हैं। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। गुल्लकों की राशि गुरुद्वारों पर ही खर्च की जाती है तथा इसी से एसजीपीसी मुलाजिमों को वेतन आदि दिया जाता है। विभिन्न हितकारी सिख संस्थाएं भी इसी राशि से चलती हैं। सरकार से कोई ग्रांट नहीं ली जाती और न ही एसजीपीसी के पदाधिकारी एक पैसा भी गुल्लक से लेते हैं। मुख्यमंत्री को तथ्यों के आधार पर बात करनी चाहिए।”

शिरोमणि अकाली दल प्रधान एवं राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के मुताबिक, “जो व्यक्ति (भगवंत मान) शराब का सेवन करके गुरुद्वारों की मर्यादा भंग करने का दोषी हो, उससे सिख परंपराओं की जानकारी होने की अपेक्षा रखना बेकार है। ऐसे बयान देकर मान सिख भावनाओं को आहत कर रहे हैं।”

उधर, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के महासचिव भाई गुरचरण सिंह ग्रेवाल के अनुसार पंजाब के संवेदनशील माहौल के मद्देनजर मुख्यमंत्री भगवंत मान को ऐसी बेहूदा बयानबाजी से बचना चाहिए।

हासिल जानकारी के मुताबिक शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी इस पूरे प्रकरण को श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के आगे रखकर उनसे निवेदन करेगी कि भगवंत मान को श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब किया जाए और सजा दी जाए। पंजाब में मुख्यमंत्री के बयान पर किए जा रहे रोष प्रदर्शन पर फिलहाल सरकार और आम आदमी पार्टी पूरी तरह खामोश है। अलबत्ता भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अश्वनी शर्मा ने जरूर कहा है कि मुख्यमंत्री की गद्दी पर बैठे शख्स को ऐसी बातें शोभा नहीं देतीं, जो श्रद्धालुओं की भावनाओं से खिलवाड़ करती हों।

(पंजाब से अमरीक की रिपोर्ट)

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