मुख्यमंत्री मान ने की जीरा शराब फैक्ट्री बंद, किसान आंदोलन की बड़ी जीत            

पंजाब में किसानों की एक और बड़ी जीत हुई है। 17 जनवरी की दोपहर को मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने जीरा की मलब्रोस शराब फैक्ट्री तत्काल प्रभाव से बंद करने के आदेश दिए हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लोगों से मुखातिब होते हुए मान ने दो टूक यह घोषणा की कि सूबे में प्रदूषण फैलाने वाले और बीमारियां पैदा करने वाले किसी भी प्रोजेक्ट को चलने नहीं दिया जाएगा। चाहे वह कितने भी बड़े औद्योगिक घराने की क्यों न हो।                

गौरतलब है कि जीरा शराब फैक्ट्री बंद करवाने को लेकर पंजाब के किसानों ने वहां पक्का मोर्चा लगाया हुआ था और धीरे-धीरे कई जत्थेबंदियों इससे सक्रिय तौर पर जुड़ गईं थीं। पहले जीरा के आसपास के गांव के चंद किसानों ने फैक्ट्री के खिलाफ मोर्चाबंदी की थी। स्थानीय किसानों और बाशिंदों का कहना था कि उक्त शराब फैक्ट्री की वजह से धरती के नीचे का पानी इस कदर जहरीला हो गया है कि उनके पशु लगातार मर रहे हैं और इंसानों को कैंसर जैसी लाइलाज अथवा महंगे इलाज वाली गंभीर बीमारियां हो रही हैं।

धीरे-धीरे मुट्ठी भर आंदोलनरत लोगों के साथ शेष पंजाब के लोग/किसान और अन्य जत्थेबंदियां आकर जुड़ते गईं। नया साल शुरू होने से ऐन पहले आंदोलन ने जबरदस्त रफ्तार पकड़ ली और यह भगवंत सिंह मान सरकार के लिए तगड़ी परेशानी का सबब बन गया। इन दिनों वहां दिल्ली की तर्ज पर पक्का मोर्चा लगा हुआ था कि मुख्यमंत्री ने आज दोपहर अचानक शराब फैक्ट्री बंद करने की घोषणा कर दी। यह एक तरह से संकेत है कि राज्य सरकार ने आंदोलनरत किसानों की यह अहम मांग बेशर्त मान ली है और वे भी तत्काल प्रभाव से धरना-प्रदर्शन खत्म कर दें।

पक्का मोर्चा लगाए हुए आंदोलनरत किसान संगठनों ने कहा था कि अगर पंजाब सरकार 17 जनवरी तक फैक्ट्री बंद करने के आदेश नहीं देती तो पूरे राज्य के किसान अपने-अपने इलाके में लामबंद होकर शासकीय कार्यालयों के आगे पक्के मोर्चे लगाएंगे और ट्रेन तथा बसों की आवाजाही भी रोकी जाएगी लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार ने यह नौबत नहीं आने दी।

चूंकि यह रिपोर्ट फाइल करने से महज कुछ पहले ही मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने फैक्ट्री बंद करने की घोषणा की है, इसलिए फिलवक्त उनकी घोषणा की कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। लेकिन तय है कि किसानों का मोर्चा खत्म हो जाएगा और इसे किसानों की बहुत बड़ी जीत माना जाएगा। पहले सरकार ऐसा कड़ा कदम उठाने से हिचकिचा रही थी। क्योंकि मलब्रोस शराब फैक्ट्री के मालिकान ‘बहुत ऊंची पहुंच’ रखते हैं।

बताया जाता है कि इस शराब फैक्ट्री का कारोबार पंजाब के साथ-साथ दिल्ली तथा अन्य राज्यों में भी बड़े पैमाने पर फैला हुआ है। आंदोलनरत किसानों और शिरकत करने वाले लोगों को मनाने-रिझाने की कई कोशिशें शराब फैक्ट्री वालों की तरफ से भी की गईं। राज्य सरकार के एक मंत्री और कुछ विधायक भी संघर्षरत लोगों को समझाने वहां गए लेकिन इर्द-गर्द के गांवों के लोग अधिक रहे कि किसी भी सूरत में शराब फैक्ट्री नहीं चलने दी जाएगी। कुछेक बार तो पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए जीरा में लाठीचार्ज भी किया और आंदोलनरत जत्थेबंदियों के तंबू जबरन उखाड़ दिए लेकिन किसान टस से मस नहीं हुए। समूचे पंजाब में चर्चा थी कि जीरा शराब फैक्ट्री बंद करवाने को लेकर लगा ‘पक्का मोर्चा’ डेढ़ साल पहले वाले दिल्ली बॉर्डर पर लगे किसान मोर्चे की राह अख्तियार कर लेगा, जिसने नरेंद्र मोदी जैसे जिद्दी राजनेता को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था!        

गौरतलब है कि यह मामला निचली अदालतों से होता हुआ पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंचा। इसमें फैक्ट्री मालिकों और आंदोलनरत लोगों के साथ-साथ राज्य सरकार भी एक पक्ष थी। इस बाबत आखिरी सुनवाई में राज्य सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इस मामले में दूषित पानी की जांच के लिए 3 कमेटियों का गठन किया गया है और तमाम कमेटियों में विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। प्रदर्शनकारियों का एक प्रतिनिधि भी इसमें रखा गया है।

उधर शराब फैक्ट्री की ओर से पेश हुए वकील ने मांग की कि उन्हें भी इन कमेटियों में प्रतिनिधित्व दिया जाए, जिस पर कोर्ट ने कहा कि यह कमेटियां कोर्ट ने नहीं बल्कि सरकार ने बनाई हैं और सरकार ही इस संबंध में अंतिम फैसला लेगी। सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं ने फैक्ट्री की मांग मान ली। फैक्ट्री के वकीलों का कहना था कि वह सारे मापदंड और औपचारिकताएं पूरी करते हैं। इसके बावजूद फैक्ट्री बंद पड़ी है। ग्रामीणों के सरपंच की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि वह शराब फैक्ट्री मालिकों को आमंत्रित करते हैं कि वे एक सप्ताह तक उनके बीच रहें और वह पानी पीकर दिखाएं, जो स्थानीय ग्रामीण पीते हैं। फैक्ट्री के वकीलों का तर्क था कि हो सकता है कि दूषित पानी किसी और वजह से आ रहा हो, जिसकी जांच को फैक्ट्री तैयार है।     

सरकार की ओर से गठित तीनों कमेटियों ने 3 हफ्ते में अपनी रिपोर्ट देनी थी लेकिन उससे पहले ही पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आनन-फानन में किसानों की मांगें मानते हुए फैक्ट्री बंद करने के आदेश लोगों से मुखातिब होते हुए दे दिए।        

पिछले हफ्ते जीरा में लगे पक्के मोर्चे के आयोजक संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा था कि जब तक शराब फैक्ट्री को स्थायी रूप से बंद नहीं किया जाता है और हमारे नजरबंद नेताओं को रिहा नहीं किया जाता है, तब तक संघर्ष जारी रहेगा।       

इन दिनों रिकॉर्ड तोड़ ठंड का कहर पंजाब में बरप रहा है। फिर भी प्रदर्शनकारी फैक्ट्री के बाहर डटे हुए हैं और फैक्ट्री को बंद करने की मांग कर रहे हैं। आज दोपहर यह  मांग पूरी हो गई। यकीनन यह एक बड़े किसान आंदोलन की बड़ी जीत है! 

(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक की रिपोर्ट)                               

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