कांग्रेस ने शुरू की केंद्र सरकार की चौतरफा घेरेबंदी, वरिष्ठ नेता उतरे मैदान में

लखनऊ/इंदौर। कांग्रेस ने केंद्र सरकार की हर तरीके से घेरेबंदी शुरू कर दी है। इस लिहाज से उसने अपने सभी नेताओं को उतार दिया है। और सबसे खास बात यह है कि इसकी जिम्मेदारी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गयी है। इसी कड़ी में पार्टी के महासचिव और राजस्थान के प्रभारी अजय माकन यूपी की राजधानी लखनऊ पहुंचे। जहां उनकी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर ने न केवल अगवानी की बल्कि उनके पायलट की भी भूमिका निभाई।  

बीजेपी के देश बेचो अभियान की पोल खोलने के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रीय स्तर पर इस अभियान के सिलसिले में लखनऊ पहुंचे अजय माकन ने कहा कि मोदी सरकार ने बनाया कुछ नहीं लेकिन पिछले 70 सालों में जो कुछ बना था उसको बेचने का अभियान जरूर छेड़ दिया है। उन्होंने सरकार के इस कृत्य को राष्ट्रद्रोह की संज्ञा दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के इस अभियान को किसी भी कीमत पर रोकेगी।

इस मौके पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश उपाध्यक्ष व प्रशासन प्रभारी योगेश दीक्षित, मीडिया विभाग के चेयरमैन व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व विधायक सतीश अजमानी, मीडिया विभाग के संगठन संयोजक ललन कुमार, संयोजक प्रिंट मीडिया अशोक सिंह, प्रोटोकाल प्रभारी रमेश मिश्रा आदि मौजूद थे।

इसी तरह का एक कार्यक्रम आज इंदौर में आयोजित किया गया। जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम मध्य प्रदेश में होने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर आधारित था। कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह ने कहा कि मालवा भाजपा और आरएसएस का गढ़ रहा है, लेकिन अब आदिवासी, अल्पसंख्यक और दलित इनके खिलाफ होने लगे हैं। जिस कारण अपनी खिसकती जमीन को बचाने के लिए भाजपा समर्थक मॉबलिंचिंग की घटनाओं को अंजाम देकर सांप्रदायिकता भड़काने की कोशिश कर रहे हैं। उनका कहना था कि अगर धर्मनिरपेक्ष लोग एकजुट रहें तो यह सफल नहीं हो पाएंगे।

उन्होंने कहा कि सम्मेलन में मौजूद कार्यकर्ताओं को आह्वान किया कि देश की गंगा जमुनी संस्कृति को तोड़ने की कोशिश कर रहे भाजपा को एकजुटता के साथ मुंह तोड़ जवाब दें। करीब आधे घंटे से ज्यादा के अपने भाषण में दिग्विजय सिंह ने कहा कि आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी का कभी भी संविधान में भरोसा नहीं रहा है। जिसके चलते इनकी केंद्र और प्रदेश की सरकार संविधान का मखौल बना रही है। देश में आज ऐसी पहली सरकार है जो संवैधानिक मर्यादाओं को तहस-नहस कर रही है। संविधान और देश बचाने के लिए अब लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। देश में किसान और मजदूर सड़कों पर हैं और यही सांप्रदायिक सरकार को मुंहतोड़ जवाब देंगे।

सम्मेलन कांग्रेस,  भाकपा, माकपा, सोशलिस्ट पार्टी इंडिया, भगत सिंह दीवाने ब्रिगेड, आम आदमी पार्टी, इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस आदि संगठनों ने संयुक्त रूप से आयोजित किया था। गौरतलब है कि पिछले 1 महीने से मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में मॉबलिचिंग की घटनाएं हुई हैं और नीमच में तो एक आदिवासी की हत्या भी कर दी गई है। साथ ही देवास,  उज्जैन, महिदपुर, हाटपिपलिया, रीवा, सतना, होशंगाबाद में ऐसी घटनाएं हुई हैं और आरोपियों को सरकार द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है। दलितों आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के भय को दूर करने के लिए यह सम्मेलन आयोजित किया गया था।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद सुभाषिनी अली ने कहा कि मध्य प्रदेश भाजपा की प्रयोग स्थली है और यहां पर सांप्रदायिक घटनाओं को अंजाम देने वालों के खिलाफ पुलिस इसलिए कार्रवाई नहीं करती है क्योंकि ऐसे तत्वों को सत्तारूढ़ भाजपा का संरक्षण है, लेकिन यह घटनाएं लोकतंत्र के लिए अत्यंत खतरनाक हैं। इसका मुकाबला किसान मजदूर और धर्मनिरपेक्ष लोगों की गोलबंदी और एकजुटता से ही किया जा सकता है। सम्मेलन में पिछले दिनों मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुई उन्मादी घटनाओं के खिलाफ एक प्रस्ताव भी पारित किया गया। जिसमें संकल्प लिया गया है कि सांप्रदायिकता के खिलाफ जन जागरण करने के लिए विधानसभा स्तर और वार्ड स्तर पर ऐसे सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। सम्मेलन को पूर्व सांसद कल्याण जैन, जसविंदर सिंह,सोहनलाल शिंदे, रूद्रपाल यादव, मुजीब कुरैशी, रामस्वरूप मंत्री, सीएल सर्रावत, लक्ष्मीनारायण पाठक, अरुण चौहान,पीयूष जोशी सहित विभिन्न वक्ताओं ने संबोधित किया। सम्मेलन की अध्यक्षता पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर ने किया। जबकि संचालन कैलाश लिम्बोदिया ने किया। सम्मेलन में गैर भाजपाई दलों के कार्यकर्ता शरीक हुए।

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