नई दिल्ली। तमाम एक्टिविस्टों के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अब दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद पर हाथ डाला है। बताया जा रहा है कि पुलिस की टीम ने उनसे तकरीबन पांच घंटे तक पूछताछ की है। उसके बाद उनका मोबाइल भी जब्त कर लिया।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक एक वरिष्ठ अफसर ने कहा, “उन्हें एक अगस्त को बुलाया गया था और सवाल-जवाब के दौरान उनसे पूछा गया कि उत्तर-पूर्व दिल्ली के दंगों और दिसंबर में हुई जामिया हिंसा के दौरान वह कहां थे। इसके साथ ही पिंजरा तोड़ और जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी के साथ उनके रिश्ते के बारे में भी पूछा गया।”
मंगलवार को जारी एक बयान में अपूर्वानंद ने कहा कि “मुझे दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने फरवरी, 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के मामले में दर्ज एफआईआर नंबर 59/20 की जांच के सिलसिले में बुलाया था। मैं वहां पांच घंटे रहा। जांच के उद्देश्य से दिल्ली पुलिस ने मेरे फोन को अपने पास जब्त रखना जरूरी समझा।” हालांकि बाद में उनके मोबाइल को वापस कर दिया गया।
आनलाइन एक दूसरे बयान में अपूर्वानंद ने कहा कि यह देखना बेहद अचरज भरा है कि सीएए विरोधी आंदोलन के समर्थकों को ही हिंसा का स्रोत माना जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी पढ़ाने वाले अपूर्वानंद ने कहा, “पूरी और साफ-सुथरी जांच करने के पुलिस अफसरों के अधिकार का सम्मान और सहयोग करते हुए इस बात की उम्मीद करते हैं कि जांच उत्तर-पूर्वी दिल्ली के लोगों और नागरिकों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के खिलाफ हिंसा के दोषियों और असली हिंसा भड़काने वालों पर केंद्रित होगी। यह आगे प्रदर्शनकारियों और उनके समर्थकों, जिन्होंने संवैधानिक तरीके से महज अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल किया है, के उत्पीड़न को आगे नहीं बढ़ाएगी।”
सब इंस्पेक्टर अरविंद कुमार की सूचना पर छह मार्च को एक एफआईआर दर्ज की गई थी। उसके बाद केस स्पेशल सेल को ट्रांसफर हो गया। इससे वृहद षड्यंत्र की जांच करने के लिए कहा गया था। उसके बाद उन्होंने यूएपीए को जोड़ दिया था।
इस मामले में पुलिस पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी, पिंजरा तोड़, आइसा और दिल्ली विश्वविद्यालय और जेएनयू को पूर्व और वर्तमान छात्रों को भी रडार पर रखे हुए है।