कर्नाटक भर्ती परीक्षाओं में नहीं है हिजाब पर प्रतिबंध, शिक्षा मंत्री ने सर्कुलर पर रखा सरकार का पक्ष

नई दिल्ली। कर्नाटक में 18 और 19 नवंबर को आयोजित होने वाली राज्य स्तरीय भर्ती परीक्षाओं में ड्रेस कोड को लेकर शुरू हुआ विवाद थम गया है। कर्नाटक के शिक्षी मंत्री डॉ एम. सी. सुधाकर ने कहा, “आगामी भर्ती परीक्षा के लिए निर्धारित ड्रेस कोड कोई नई बात नहीं है। पहले भी हिजाब पर कोई रोक नहीं थी। हालांकि, कुछ ऐसे कपड़े या टोपी पहनने पर प्रतिबंध था जो अनावश्यक रूप से सिर, मुंह या कान को ढंक लेते हैं। हम एक ही ड्रेस कोड का पालन कर रहे हैं। यह हिजाब से संबंधित नहीं है”।

कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (KEA) ने भी बुधवार को कहा कि भर्ती परीक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध नहीं लगाया है। केईए के कार्यकारी निदेशक एस राम्या ने कहा कि “18 और 19 नवंबर को होने वाली भर्ती परीक्षा के दूसरे चरण के लिए हिजाब की अनुमति जारी है। परीक्षा में शामिल होने वाले सभी उम्मीदवारों को निर्धारित समय से दो घंटे पहले परीक्षा केंद्र पर रिपोर्ट करना होगा।” लेकिन निष्पक्ष और पारदर्शी परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए गहन तलाशी ली जायेगी।

दरअसल, सारा विवाद उस समय शुरू हुआ जब कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण के सर्कुलर में कहा गया कि परीक्षा केंद्रों में “सिर, मुंह या कान को ढकने वाला कोई भी परिधान या टोपी पहनने” की अनुमति नहीं होगी। इसके बाद मीडिया से लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा शुरू हो गई कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने भी हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि इसमें हिजाब का जिक्र नहीं था।

इसके बाद ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जैसे नेताओं द्वारा राज्य में कांग्रेस सरकार की आलोचना के साथ विवाद छिड़ गया।

कर्नाटक के शिक्षा मंत्री डॉ. एमसी सुधाकर ने ओवैसी और अब्दुल्ला पर तंज करते हुए कहा कि “तेलंगाना और कश्मीर के इन महान नेताओं ने इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की। यदि हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया था, तो केईए ने परिपत्र में इसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया होगा।”

शिक्षा मंत्री सुधाकर ने कहा है कि सरकारी नौकरियों में रिक्तियों को भरने के लिए आगामी परीक्षाओं में हिजाब पर कोई प्रतिबंध नहीं है, जिससे उस परिपत्र पर विवाद शांत हो गया है जिसमें कहा गया था कि सिर ढंकने की अनुमति नहीं होगी।

उन्होंने बुधवार को मीडिया से बात करते हुए कहा कि “हिजाब या उम्मीदवारों द्वारा पहने जाने वाले किसी भी पारंपरिक कपड़े पर बिल्कुल कोई प्रतिबंध नहीं है। पिछली परीक्षाओं से कुछ भी नहीं बदला है।”

उन्होंने 28, 29 अक्टूबर और 6 नवंबर को आयोजित परीक्षाओं का जिक्र करते हुए कहा कि “हमने हमेशा उम्मीदवारों को हिजाब पहनने की अनुमति दी है। यह जारी रहेगा।”

दरअसल, कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण (केईए) द्वारा जारी एक परिपत्र में कहा गया था कि 18 और 19 नवंबर को आगामी प्रतियोगी परीक्षाओं में सिर और कान को ढकने वाली टोपी, स्कार्फ या हेडड्रेस की अनुमति नहीं दी जाएगी। केईए सर्कुलर ने परीक्षा हॉल में सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक और ब्लूटूथ डिवाइस, ईयर फोन, पेन ड्राइव और खाने-पीने की चीजों पर भी प्रतिबंध लगाया है।

कर्नाटक परीक्षा प्राधिकरण का तर्क है कि हाल ही आयोजित कई परीक्षाओं में परीक्षार्थी आसानी से छुपाए जा सकने वाले इन-ईयर ब्लूटूथ उपकरणों के बड़े पैमाने पर उपयोग करते देखे गए।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि “केवल हिजाब पहनने वालों को ही नहीं, बल्कि परीक्षा में बैठने वाले प्रत्येक उम्मीदवार को कम से कम दो घंटे पहले उपस्थित होना होगा। यह पूरी तरह से तलाशी लेने के लिए है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई भी व्यक्ति कोई प्रतिबंधित वस्तु नहीं ले जा रहा है।”

यह पूछे जाने पर कि क्या केईए परिपत्र के शब्दों में अस्पष्टता के कारण भ्रम पैदा हुआ, सुधाकर ने कहा: “संभवतः, हां।”

यह पूछे जाने पर कि क्या केईए को भविष्य में शब्दों के बारे में अधिक सावधान रहने की जरूरत है, सुधाकर ने कहा कि “मैं दृढ़ता से ऐसा महसूस करता हूं। क्योंकि लोग पंक्तियों के बीच में पढ़ने और उन्हें अपने तरीके से व्याख्या करने का प्रयास करते हैं, इसलिए हमें अधिक सावधान रहने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा कि “आम तौर पर मैं नियमित रूप से जारी होने वाले इन परिपत्रों पर गौर नहीं करता हूं। लेकिन अब से मुझे उन्हें ध्यान से पढ़ने की जरूरत है और इस अनावश्यक भ्रम से बचना होगा जो किसी और को स्थिति का फायदा उठाने की इजाजत देता है।”

जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया था कि आदेश वापस लिया जाए।

उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा था कि “पहले जब ये चीजें कर्नाटक में होती थीं, तो हमें चिंता नहीं होती थी क्योंकि भाजपा वहां सत्ता में थी। लेकिन दुर्भाग्य से यह कांग्रेस सरकार का फैसला है।”

औवेसी ने कांग्रेस और उसके तेलंगाना प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी पर निशाना साधते हुए एक्स पर पोस्ट किया था कि “कांग्रेस सरकार ने परीक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसने पिछली भाजपा सरकार के हिजाब प्रतिबंध को भी रद्द नहीं किया है। तेलंगाना कांग्रेस प्रमुख रेवंत तेलंगाना में ‘कर्नाटक मॉडल’ लागू करना चाहते हैं। यही कारण है कि वह शेरवानी को गाली देते रहते हैं और मुस्लिम टोपी पहने नजर आने से बचते हैं। कपड़े देख कर पहचानो (उन्हें उनके कपड़ों से पहचानो), जैसा कि उनके सबसे अच्छे दोस्त मोदी ने एक बार कहा था।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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