चंडीगढ़ का बिजली विभाग भी गया पूंजीपतियों की जेब में!

चंडीगढ़ अपनी बिजली वितरण कंपनी का पूर्ण निजीकरण करने जा रहा है। इसके लिए निविदा भी आमंत्रित कर दी गई हैं। बोली लगाने की आखिरी तिथि 30 दिसंबर रखी गई है, जबकि बोली में क्वेरी जमा करने के लिए अंतिम तिथि 24 नवंबर रखी गई है। निविदा में कहा गया है कि बोली लगाने वाली कंपनी के पास चंडीगढ़ में बिजली वितरण का लाइसेंस भी होना चाहिए। सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी को उसे शहर में बिजली वितरण और आपूर्ति का काम सौंपा जाएगा। रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) डॉक्यूमेंट की फीस पांच लाख रुपये रखी गई है। बिड देने वाली कंपनी से यह फीस ली जाएगी। साथ ही कंपनी को बिड में शामिल होने के लिए दस करोड़ रुपये की सिक्योरिटी भी जमा करानी होगी।

चंडीगढ़ ऐसा करने वाला देश का पहला केंद्र शासित राज्य होगा। कोरोना काल के दौरान यानी मई महीने में नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा आर्थिक सुधार के घोषित ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ के तहत किया जा रहा है। बता दें कि मोदी सरकार की योजना अभी हर केंद्र शासित प्रदेश के बिजली विभाग का पूर्ण निजीकरण करने पर है।

बिजली विभाग की ज़मीन और सारी संपत्ति भी बेची जाएगी
बिजली विभाग और ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट की तरफ से दिलवाने के बाद निजीकरण का प्रपोजल तैयार किया गया है। विभाग को शत-प्रतिशत निजी कंपनी को सौंपा जाएगा। निजीकरण के लिए प्रशासन पहले अपने स्तर पर कंपनी बनाएगा। यह कंपनी बिजली विभाग की सभी संपत्तियों और इंफ्रास्ट्रक्चर को कब्जे में लेगी। बाद में बिड के बाद जो कंपनी फाइनल होगी, उसे यह सब सौंप दिया जाएगा।

बिजली विभाग में कार्यरत सभी कर्मचारियों का कंपनी में ट्रांसफर किया जाएगा। इस समय एक हजार से अधिक स्थायी कर्मचारी कार्यरत हैं। बता दें कि मोदी सरकार ने 19 सितंबर 2020 को मानसून सत्र में तीन श्रम विधेयकों को कानूनी जामा पहनाया था, जिसमें औद्योगिक संबंध संहिता विधेयक-2020 भी था। हालांकि कर्मचारियों के हितों को देखने के लिए ट्रस्ट का गठन किया जाएगा जो पेंशन आदि के मामलों को देखेगी।

27 अक्टूबर की बैठक में बनी थी योजना
27 अक्तूबर सोमवार को प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा ने विद्युत मंत्रालय और इस पूरी प्रक्रिया के लिए कंसल्टेंट नियुक्त डिलॉएट कंपनी के अधिकारियों के साथ बैठक की थी। बैठक में निजीकरण को लेकर अड़चनों पर भी चर्चा हुई थी। इनमें 157 करोड़ की सिक्योरिटी फंड, कर्मचारियों का भविष्य, निजीकरण में सरकार की भूमिका, बिजली विभाग की जमीन-सामान का हस्तांतरण आदि मुद्दे शामिल थे। बता दें कि केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ प्रशासन को जनवरी 2021 तक का समय दिया है।

प्रशासक के सलाहकार के आदेशों के अनुसार दिसंबर 2020 तक शहर की बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया पूरी करनी है। शहर के बिजली विभाग को किस तरह से निजी हाथों में दिया जा सकता है, इसके लिए कंसल्टेंट हायर करने की प्रक्रिया पिछले साल ही शुरू हो गई थी। कई बार टेंडर किए गए, जिसमें पावर फाइनेंस कारपोरेशन ने इंटरनेशनल कंपनी डेलॉएट को निजीकरण के सभी पेच को सुलझाने का काम सौंपा था। इस कंपनी ने विभाग में काम करने वाले कर्मचारियों, पावर सप्लाई समेत कई अन्य तरह की जानकारियों को एकत्रित कर अपनी रिपोर्ट और डीपीआर सौंपा है।

दीवाली वाले दिन कर्मचारी जाएंगे सामूहिक हड़ताल पर
सरकार और प्रशासन के इस फैसले से बिजली विभाग के कर्मचारी नाराज़ हैं और पिछले एक महीने से लगातार विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। यूटी पावरमैन यूनियन के जनरल सेक्रेटरी गोपाल दत्त जोशी का कहना है कि उनका डिपार्टमेंट लगातार मुनाफे में है बावजूद इसके इसका निजीकरण किया जा रहा है। यूटी पावरमैन यूनियन ने कहा है कि अगर प्रशासन ने निजीकरण की प्रक्रिया को बंद नहीं किया तो दीवाली वाले दिन सभी कर्मचारी हड़ताल पर जाएंगे। 13 नवंबर को दीवाली वाले दिन सभी शिफ्टों में एक दिन की संपूर्ण हड़ताल करेंगे। और फिर भी सरकार ने मांग नहीं मानी तो फिर अनिश्चितकालीन हड़ताल का एलान किया जाएगा।

इससे पहले निजीकरण की प्रक्रिया के विरोध में 29 अक्तूबर को नॉर्थ जोन के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर्स ने धरना दिया था जबकि 30 अक्तूबर को चंडीगढ़ और पंजाब की यूनियनों का साझा संयुक्त विरोध-प्रदर्शन किया गया था।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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