किसान आंदोलन: एक बार फिर रेल ट्रैक पर पंजाब के किसान

तकरीबन डेढ़ साल पहले केंद्र और पंजाब सरकार ने अपने-अपने तौर पर मान लिया था कि किसान आंदोलन अब खत्म हो गया है। दिल्ली बॉर्डर पर डटे आंदोलनकारी किसानों को तात्कालिक तौर पर शांत करके घर भेज दिया गया लेकिन सरकारी वादाखिलाफी ने उन्हें फिर सड़कों पर आकर आंदोलन करने को मजबूर कर दिया। पंजाब का किसान वर्ग फिलहाल कमोबेश खामोश तो है पर सामान्य हरगिज़ नहीं। धीरे-धीरे किसान फिर सड़कों पर आ रहे हैं और एक बड़े आंदोलन की संभावना गर्भ में है।

पंजाब में संयुक्त किसान मजदूर संघर्ष कमेटी से वाबस्ता हजारों किसानों ने फिर 15 जगह रेल ट्रैक पर धरना-प्रदर्शन करके रेलगाड़ियों का चक्का जाम कर दिया और इसके चलते 11 ट्रेनों को असीमित काल के लिए रद्द कर दिया गया।

इस बार मुख्य मुद्दा लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य आरोपी आशीष मिश्र टेनी की जमानत पर रिहाई, आशीष के पिता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने और फसलों की खरीद की गारंटी को बाक़ायदा कानून में तब्दील करने की मांग का था।

रेलवे ट्रैक पर किसान

अन्य मांगों में दिल्ली किसान मोर्चा के दौरान किसानों व मजदूरों के खिलाफ बनाए गए मुकदमे वापस लेने, भारत सरकार द्वारा वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन के साथ किए गए समझौतों को रद्द करने, किसानों का सारा कर्जा एकमुश्त माफ करने, कृषि के लिए नहरी-पानी परियोजना को बहाल करने और आंदोलन में मारे गए किसानों के परिजनों को मुआवज़ा तथा सरकारी नौकरियां देने की मांगे शामिल थीं।

इनमें से ज्यादातर मांगों का संबंध केंद्र की नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा सरकार से है और शेष पंजाब की भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार से। जगह-जगह किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने उनसे झूठे वादे किए और धोखा दिया।

किसानों के ताजा धरना-प्रदर्शन के चलते पंजाब भर में जनजीवन प्रभावित रहा। किसान आंदोलन के नेता उजागर सिंह ने कहा कि कहीं भी कोई सरकारी नुमाइंदा उनकी बात सुनने नहीं आया। इसका मतलब साफ है कि सरकारों को किसानों के इतने बड़े कदम की कोई परवाह नहीं और अब फिर जरूरत पड़ी तो किसान पंजाब तथा दिल्ली बॉर्डर पर पक्का मोर्चा लगाएंगे। वैसे भी किसानों ने जीरा शराब फैक्ट्री के बाहर लगाया मोर्चा हटाया नहीं है क्योंकि सरकार की ओर से उन्हें कोई लिखित नोटिफिकेशन नहीं दिखाया गया है।

रेलवे ट्रैक पर किसान

जीरा मोर्चा के किसानों का मानना है कि भगवंत मान सरकार भी दोहरी नीति पर चलकर आंदोलनकारी किसानों को गुमराह कर रही है। जब तक उनकी मांगे पूरी तरह नहीं मानी जाएंगीं, किसान मोर्चा यथावत जारी रहेगा।

जंडियाला गुरु में किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के महासचिव स्वर सिंह पंधेर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज का मोर्चा सांकेतिक है। गौरतलब है कि तमाम रेल ट्रैक पर बड़ी तादाद में किसानों के साथ-साथ महिलाएं भी शामिल थीं। ट्रेनें रोकने का सबसे ज्यादा असर बठिंडा, फिरोजपुर, लुधियाना, मानसा, मोगा, पटियाला और कपूरथला में रहा। किसान नेताओं के मुताबिक उनका अगला कदम राज्यभर में बसों का पहिया जाम करना है।

(अमरीक वरिष्ठ पत्रकार हैं पंजाब में रहते हैं)

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