नैनो यूरिया उत्पादन का बना रिकॉर्ड, नैनो डीएपी कि तैयारी में इफको:डॉ अवस्थी

कृषि को बढ़ावा देने के लिए हर तरह की कोशिश की जा रही है और नये प्रयोगों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है। ऐसे में इफको ने 14 नवंबर तक अपने कलोल संयंत्र से नैनो यूरिया की 1 करोड़ से अधिक बोतलों का रिकॉर्ड उत्पादन किया है।यह जानकारी इफको के एमडी डॉ यू एस अवस्थी ने आज यहाँ दी है। डॉ अवस्थी ने बताया कि उनका अगला लक्ष्य नैनो डीएपी का उत्पादन करना है। नैनो डीएपी उत्पादन से संबंधित कागजात जहां उर्वरक मंत्रालय को पहले ही सौंपे जा चुके हैं, वहीं इफको जमीनी स्तर पर बुनियादी तैयारियां करने में जुटा है ।

डॉ अवस्थी के मुताबिक पहले चरण में वर्ष 2021-22 के दौरान कलोल इकाई में प्रोडक्शन जारी है। जबकि उत्तर प्रदेश की आंवला (बरेली) और फूलपुर (प्रयागराज) में नैनो यूरिया संयंत्रों का निर्माण चल रहा है।कांडला तथा पारादीप में इसकी तैयारी चल रही है।शुरू में इन संयंत्रों में 500 एमएल की नैनो यूरिया की कुल वार्षिक उत्पादन क्षमता 14 करोड़ बोतल की होगी जिसे बाद में बढ़कर 18 करोड़ बोतल तक होने का अनुमान है।तृतीय चरण में सालाना 32 करोड़ बोतल की उत्पादन क्षमता को प्राप्त करना है। इसके बाद किसानों को यूरिया की उपलब्धता में दिक्कत नहीं आएगी। इफको अंतरराष्ट्रीय सहकारी गठबंधन के सदस्य के रूप में ब्राजील और अर्जेंटीना में भी नैनो यूरिया प्लांट लगाएगा।फूलपुर में नवम्बर 22 से उत्पादन शुरू हो जाएगा।

डॉ अवस्थी ने कहा कि नैनो डीएपी किसानों को जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाएगा ताकि उनको किसानी में मदद मिल सके और उत्पादन अधिक से अधिक हो सके।

गौरतलब है कि भारत ने श्रीलंका में दूषित चीन उर्वरकों के उपयोग को छोड़कर 100,000 किलोग्राम नैनो नाइट्रोजन उर्वरक श्रीलंका को भेजा था । बैक्टीरिया से दूषित पाए जाने के बाद श्रीलंका ने चीन जैविक उर्वरक को उतारने से रोक दिया था।

इफको ने कई अन्य देशों में नैनो संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लेने के साथ नैनो की वैश्विक पहुंच का विस्तार किया है । इफको कोपरर, कोऑपरेटिव कन्फेडरेशन ऑफ अर्जेंटीना और आईएनएईएस के साथ साझेदारी में अर्जेंटीना में नैनो यूरिया लिक्विड मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करेगा।

कृषि जगत में नई क्रांति के तौर पर देखे जा रहे नैनो यूरिया लिक्विड का उत्पादन तेज कर दिया गया है। ताकि किसानों को पारंपरिक यूरिया से निजात मिले। नैनो यूरिया नाइट्रोजन का स्रोत है जो कि पौधों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन के निर्माण, पौधे की संरचना एवं वानस्पतिक वृद्दि के लिए उपयोगी है।. विश्व की सबसे बड़ी उर्वरक सहकारी संस्था इफको ने एक करोड़ से अधिक बोतलों के उत्पादन को पार कर लिया है।अभी इसके सिर्फ एक प्लांट में इसका निर्माण हो रहा है। इफको के एमडी यूएस अवस्थी ने गुजरात स्थित कलोल प्लांट में इसके निर्माण में लगे कर्मचारियों का हौसला बढ़ाया।

इफको प्रबंधन का इरादा अगले दो साल में कुल यूरिया उत्पादन का 50 फीसदी नैनो यूरिया लिक्विड में रिप्लेश करने का इरादा है।दावा है कि नैनो यूरिया लिक्विड के इस्तेमाल से फसल उपज में औसतन 8 प्रतिशत वृद्धि होगी।. यही नहीं फसलों की गुणवत्ता में सुधार होगा और लागत में कमी भी आएगी।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

जेपी सिंह
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