प्रयागराज: दारागंज में पुलिस की शह पर अवैध कब्जा निर्माण

प्रयागराज। भवन और भूमि का विवाद कोई नई बात नहीं है। मगर मामला न्यायालय में विचाराधीन हो और न्यायालय ने उक्त प्रकरण में स्थगन आदेश पारित कर रखा हो, उसके बावजूद एक दबंग पक्ष मनमाने ढंग से न केवल उस पर काबिज है बल्कि जमीन के एक हिस्से पर निर्माण कार्य भी करवाने लगा।

दूसरे पक्ष ने न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई लेकिन पुलिस आश्चर्यजनक ढंग से न केवल खामोश है बल्कि परोक्ष तौर पर जमीन के एक हिस्से पर मनमाने ढंग से निर्माण कार्य कराने वाले पक्ष के मददगार के तौर पर खड़ी दिख रही है।

मामला, दारागंज स्थित जंगमबाड़ी मठ के बगल की जमीन से जुड़ा है। जंगमबाड़ी मठ के बगल स्थित भवन संख्या 1323/954 का क्षेत्रफल 1254.15 वर्गगज है। चुन्नीलाल (पचभइया) की इस पुश्तैनी जमीन के पांच हिस्सेदार दो बेटे व तीन बेटियां थीं। जिनमें से दो बेटियों उमा देवी और प्रेमलता ने अपने हिस्से यानी पूरी जमीन के 2/5 हिस्से की रजिस्ट्री 06.10.2009 को कैलाश नारायण मिश्र पुत्र लक्ष्मीकांत मिश्र को कर दी।

उसके बाद वर्ष 2018 में चुन्नीलाल के दो बेटों और एक बेटी ने शेष 3/5 हिस्से की रजिस्ट्री तीन लोगों राजेश कुमार निषाद पुत्र स्व. केदारनाथ निषाद, सुप्रिया दास पत्नी राजेश कुमार निषाद और क्षमा मिश्रा पत्नी नरेन्द्र कुमार मिश्र के नाम कर दी।

उल्लेखनीय है कि दोनों ही रजिस्ट्री अविभाजित जमीन की हुईं। जमीन के बंटवारे का मुकदमा फिलहाल न्यायालय (अपर ए.सी.जे.एम. षष्टम, प्रयागराज मुकदमा संख्या 569 सन् 2019) में विचाराधीन है। इस मामले में न्यायालय ए.डी.जे. ने 28 मार्च 2022 को अपील के गुण दोष पर निस्तारण तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश पारित किया। मामला अभी भी न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है और कोई नया आदेश पारित नहीं हुआ है।

इसी बीच राजेश कुमार निषाद ने अपने 2/5 हिस्से की जमीन को मनमाने ढंग से खुद ही चिन्हित कर एक हिस्से पर 10 सितम्बर 2023 से निर्माण कार्य कराना आरंभ कर दिया। इसकी शिकायत कैलाश नारायण मिश्र ने तत्काल दारागंज थाने में करने का प्रयास किया लेकिन पुलिस द्वारा कोई कदम नहीं उठाया गया।

इसके बाद कैलाश नारायण मिश्र ने इस आशय की ऑनलाइन शिकायत मुख्यमंत्री, जिलाधिकारी प्रयागराज, पुलिस कमिश्नर प्रयागराज और उपाध्यक्ष प्रयागराज विकास प्राधिकरण से की। इसके बाद दारागंज थाने की पुलिस ने थोड़ी सक्रियता दिखाई और निर्माणस्थल पर जाकर पूछताछ की रस्मअदायगी की। लेकिन अगले दिन से निर्माण कार्य फिर शुरू हो गया। 

इस बीच जब जब कैलाश नारायण मिश्र ने सक्रियता दिखाते हुए थाने और उच्चाधिकारियों से फरियाद करने की पहल की तब तब राजेश कुमार निषाद, नरेन्द्र मिश्र और रंगनाथ मिश्र की ओर से धमकियां दी जाती हैं।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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