हेमंत सरकार में भी बेरोकटोक जारी है अवैध खनन, गांव वालों ने किया प्रदर्शन

झारखंड में सरायकेला खरसावां के अंतर्गत राजनगर प्रखंड सह अंचल कार्यालय पर 18 जनवरी को ग्रामसभा के बगैर अनुमति से हो रहे अवैध पत्थर खनन के खिलाफ उपरशिला ग्रामसभा ने विरोध प्रदर्शन किया और अंचल अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। उपयुक्त जमीन के साथ-साथ भारतीय संविधान में 5वीं अनुसूची पर निहित संवैधानिक प्रावधानों को सर्वोच्च न्यायलय द्वारा समता जजमेंट में दिए गए फैसलों को मानते हुए अनुसूचित क्षेत्र में असंवैधानिक एवं गैर कानूनी रूप से दी गई खनन पट्टों को अविलंब निरस्त करने की मांग की गई।

झारखंड का सरायकेला खरसावां जिला संविधान की 5वीं अनुसूची क्षेत्र में पड़ता है, और पांचवी अनुसूचित क्षेत्र में पेसा अधिनियम 1996 लागू है। साथ ही साथ वनधिकार अधिनियम 2006 भी भारत सरकार के निर्देशानुसार लागू है। उक्त जमीन पर वनाधिकार कानून के अनुसार समुदायिक उपयोग के लिए ग्रामसभा उपरशिला का दावा बनता है। इसके अलावा माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने पांचवीं अनुसूचित क्षेत्र में महत्वपूर्ण आदेश दिया है, जिसे समता जजमेंट 1997 के रूप में जाना जाता है। इसके अनुसार जनजाति समुदाय ही अनुसूचित क्षेत्र में उत्खनन के लिए हकदार है। इसी तरह पेसा अधिनियम 1996 के अनुसार पांचवी अनुसूची क्षेत्र में उत्खनन के लिए ग्राम सभा की अनुमति अनिवार्य है।

दूसरी तरफ उक्त जमीन पर कई वर्षों से जनजातीय समाज द्वारा पारंपरिक पूजा होती आ रही है, तथा उक्त स्थल को गोचर के रूप में भी उपयोग करते आ रहे हैं। साथ ही साथ उक्त जमीन के बगल वाले सभी रैयत अपनी जमीन पर खेती कई पीढ़ियों से करते आ रहे हैं। ऐसे में यहां खनिज कार्य होने पर सारा समाज प्रभावित हो रहा है। सरायकेला खरसावां के राजनगर अंचल में पांचवीं अनुसूची क्षेत्र सहित पेसा अधिनियम 1996 लागू है, उपरशिला (ग्राम सभा के सदस्य) ग्रामवासी उक्त खेसरा पर खनन कार्य का विरोध करते हैं, जिसका विधिवत रूप से ग्रामसभा करते हुए जिले के सभी वरीय अधिकारियों, उपायुक्त कार्यालय तथा अंचल कार्यालय को 2016 एवं 2019 में ही सूचना दे दी थी, तब से ही उपरशिला के सभी ग्रामवासियों ने यहां किसी तरह का खनन कार्य नहीं करने का निर्णय लिया है।

इसी के आलोक में प्रखंड सह अंचल कार्यालय पर 18 जनवरी को ग्रामसभा ने विरोध प्रदर्शन किया। ‘इंक़लाब ज़िंदाबाद’ के साथ ही, ‘दुनिया वालों सुन लो, आज हमारा गांव, हमारा राज’ है, ‘लोकसभा व विधानसभा से बड़ा और बुनियादी ग्राम सभा’, ‘जिला प्रशासन खनन माफिया की दलाली करना बंद करो’, ‘राजनगर थाना अधिकारी ग्रामीणों को हड़काना बंद करो’ जैसे नारे लगाए। नारे लगाते हुए जुलूस राजनगर थाना तक पहुंचा और विरोध प्रदर्शन के साथ चेतावनी देते हुए ज्ञापन सौंपा गया। गांव गणराज परिषद के कुमार चंद्र मार्डी ने कहा, “राज्य सरकार के द्वारा साफ-साफ कहा गया है कि अवैध खनन को रद्द किया जाए, किंतु अधिकारियों की लापरवाही की वजह से यहां अवैध खनन चल रहा है। पेसा कानून का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। पेसा कानून का उल्लंघन करने वालों पर उचित कार्रवाई होनी चाहिए।”

वहीं सामाजिक कार्यकर्ता अनूप महतो ने कहा, “सरायकेला खरसावां में पत्थर खनन माफिया और भू-माफिया दिन-प्रतिदिन अपना पैर पसार रहे हैं, और अगर ग्रामसभा अंचल अधिकारी से अवैध खनन रद्द करने की मांग करती है तो वे जिला में जा कर बात करने को कहते हैं। आखिर यह अवैध खनन करने का आदेश कहां से पारित होता है? अनूप ने कहा कि भाजपा की रघुवर सरकार में भूमि अतिक्रमण के साथ अवैध खनन कार्य तो चल ही रहा था, लेकिन अब हेमंत सरकार में भी इन माफियाओं के मनोबल में कोई गिरावट नहीं आई है, बल्कि इनके मनोबल में और बढ़ोतरी हुई है।”

सामाजिक कार्यकर्ता सुरेंद्र टुडू ने कहा, “जिस तरह पूर्वी सिंहभूम के पोटका प्रखंड में हम ग्राम सभाओं ने अवैध खनन माफियाओं की नकेल कस के रखा है, ठीक उसी तरह सरायकेला खरसावां में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ हम सब ग्राम सभा एक साथ मिलकर संवैधानिक तौर से संघर्ष करेंगे और खनन माफियाओं के ऊपर कार्रवाई करेंगे। विरोध प्रदर्शन में उपस्थित ब्रजचंद्र सोरेन ग्राम प्रधान उपरशिला, दशरथ मर्डी ग्राम प्रधान बाना, शंकर सिंह ग्राम प्रधान डोबो, जयपाल सरदार, सुशीला मुर्मू, लीलावती देवगम, सरदा तोपे, जीरा भाई सचंडी, देवला सोरेन, सोद्रा सरदार, बासी सरदार, देवला टुडू, सुनील सरदार आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

विशद कुमार
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