झारखंड में मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश,  लोकसभा चुनाव-2024 में बदलाव की अंदरूनी लहर

पिछले एक साल से “लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान” के तहत राज्य के विभिन्न लोकसभा क्षेत्रों में की गयी यात्राओं व जनसभाओं से यह बात साफ़ है कि जनता, खास कर के आदिवासियों, दलितों व मेहनतकाश वर्ग में मोदी सरकार के विरुद्ध व्यापक आक्रोश व्याप्त है। लोग मोदी सरकार के विरुद्ध तीन मुद्दे लगातार उठा रहे हैं-10 सालों में कई वादों का महज़ जुमला बन जाना, विभिन्न जन अधिकारों को खत्म किया जाना एवं गांव-समाज में धर्म के नाम पर हिंसा व साम्प्रदायिकता में बढ़ोतरी। हर खाते में 15 लाख रुपये, सालाना 2 करोड़ रोज़गार, किसानों की दुगनी आमदनी का धोखा सबकी जुबान पर है। नोटबंदी और लॉकडाउन जैसे मनमाने और तबाही मचाने वाले फैसले लोगों को याद है। रोज़मर्रा की महंगाई से लोग परेशान हैं। मज़दूरों, खास करके प्रवासी मज़दूरों, के वास्तविक मजदूरी दर, काम का वातावरण या सामाजिक सुरक्षा में 10 सालों कोई सुधार नहीं हुआ है।

आदिवासी सीटों में यह साफ़ दिख रहा है कि आदिवासी समाज एकमत है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में जल, जंगल, ज़मीन व खनिज के संरक्षण से जुड़े जनपक्षीय कानूनों और प्रावधानों को ख़तम किया जा रहा है। आरएसएस व भाजपा द्वारा आदिवासियों को सरना- ईसाई के नाम पर बांटने की कोशिश भी साफ दिख रही है। हाल ही में तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को फर्जी आरोप पर गिरफ्तार किये जाने पर भी लोगों में व्यापक आक्रोश है।

सभी लोकसभा सीटों में ग्रामीण क्षेत्र के अधिकांश लोग यह भी साफ़ कह रहे हैं कि मोदी सरकार के कार्यकाल में हर जगह धर्म के नाम पर झगड़ा और हिंसा बढ़ी है। मोदी सरकार समाज और सरकारी व्यवस्था में एक धर्म के वर्चस्व को स्थापित करने में लगी है। क्षेत्र के लोगों खासकर में मेहनतकश वर्ग में धर्म के नाम पर राजनीति करने में उनकी सहमति बिल्कुल नहीं है और न ही हिंदुस्तान को हिंदू राष्ट्र बनाने में उनकी कोई रूचि है।

वहीं मोदी सरकार द्वारा आरक्षण प्रावधानों को कमज़ोर करने और सरकारी नौकरियों के निजीकरण को लेकर दलित और पिछड़े समुदायों में ख़ास आक्रोश दिख रहा है। युवा रोज़गार न मिलने का सवाल भी हर जगह उठा रहे हैं।

लोगों ने जन कार्यक्रमों में यह भी कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता गांव आकर कई झूठ फैला रहे हैं, जैसे मोदी सरकार 5 किलो राशन दे रही है, पेंशन दे रही है, गरीबी ख़तम कर रही है। जबकि सच यह है कि राशन UPA सरकार द्वारा बनाए गए खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मिल रहा है और पेंशन का अधिकांश हिस्सा तो राज्य सरकार दे रही है। इस झूठ का अभियान ने पर्दाफाश कर दिया है। 

अभियान लोगों के बीच इस बात को रख रहा है कि किस प्रकार मोदी सरकार लोकतंत्र को ख़त्म कर रही है। जनता ED के खेल को स्पष्ट समझ रही है। मीडिया को दबोचने की कोशिश भी सबके सामने है। मोदी सरकार द्वारा किये गये भ्रष्टाचार भी सबके सामने है। इलेक्टोरल बांड योजना का इस्तेमाल कर भाजपा को 8,000 करोड़ रुपए से भी अधिक चुनावी चंदा पूंजीपतियों और कंपनियों से चुपके से दिलवाया गया है। इसके लिए ED का इस्तेमाल किया गया और मोदी सरकार ने कई कंपनियों को इसके बदले देश बेचकर उनके हाथ में डाल दिया। गांव-गांव में लोग इस सच्चाई को अब समझ गए हैं।

इसलिए झारखंड के लोगों ने इस बार निर्णय लिया है कि हर हालात में भाजपा और मोदी सरकार को चुनाव में हराना है। लोकतंत्र बचाओ 2024 अभियान भी इस मुहिम में लगा हुआ है। अभियान लगातार INDIA गठबंधन से भी इस दिशा में आगे बढ़ने की मांग कर रहा है। अब INDIA गठबंधन को लोगों के साथ खड़े होने की ज़रूरत है।

ये तमाम बातें “लोकतंत्र बचाओ 2024 (अबुआ झारखंड, अबुआ राज) अभियान” द्वारा 18 मार्च को सत्य भारती, रांची में एक पत्रकार सम्मेलन में अभियान से जुड़े विभिन्न लोक सभा से आये सदस्यों ने प्रेस को संबोधित करते हुए बताया और आने वाले लोकसभा चुनाव, लोकतंत्र की स्थिति और राज्य की सामाजिक-राजनैतिक ज़मीनी वास्तविकता पर अपनी बात रखी।

अभियान पिछले एक साल से राज्य भर में 2024 लोकसभा चुनाव के परिप्रेक्ष में लोगों के साथ संवाद व जन जागरण कार्यक्रम जैसे जनसभा, यात्रा, सम्मेलन आदि कर रहा है। यह अभियान झारखंड की एकमात्र राज्य-व्यापी पहल है जो मोदी सरकार की राजनीति और उनके लोकतंत्र व लोगों पर प्रभाव पर ज़मीनी संघर्ष व संवाद कर रही है। 

प्रेस वार्ता को अलोका कुजूर, बासिंह मुंडा, बिंसय मुंडा, दिनेश मुर्मू, ज्योति कुजूर, कुमार चंद्र मार्डी, मेरी निशा हंसदा, सेबेस्टियन हंसदा व सिराज दत्ता ने संबोधित किया।

(झारखंड से विशद कुमार की रिपोर्ट)

विशद कुमार
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