झारखंड में सड़कों पर आयी पेट की आग, ‘भाषण नहीं, राशन चाहिए’ के नारे के साथ लोगों ने किया प्रदर्शन

रांची। कोरोना संक्रमण से बचने लिए पूरा देश पिछले कई दिनों से लॉकडाउन में है। इस लॉकडाउन से पूरे देश के गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों एवं रोजगार के लिए गये दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों के जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है। देश का लगभग हर गरीब, दिहाड़ी मजदूर एवं निरीह जनता आर्थिक संकट से गुजर रहा है। 

लॉकडाउन को सफल बनाने की प्रक्रिया में जहां एक तरफ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर देश की जनता का पेटभरवा वर्ग ने ताली-थाली से बजाने से लेकर दीपक जलाया और पटाखे फोड़ा। वहीं दूसरी तरफ मजदूरों और गरीब जनता ने सरकार का ध्यान अपनी भूख की ओर खींचने के लिए एक दिन अपने दरवाजे पर खड़े होकर खाली थाली बजाई।

इसी कड़ी में पिछली 21 अप्रैल को सरकार का ध्यान अपनी ओर खींचने के लिए सुबह 10.30 बजे 10 मिनट तक झारखंड के लगभग सभी जिलों में हर स्तर के मेहनतकश और महिला मजदूर अपने रोजगार व अनाज की मांग का पोस्टर हाथों में लेकर अपने घरों के दरवाजों तथा छत पर खड़े रहे। इन पोस्टरों में ‘भाषण नहीं, राशन चाहिए,’  ‘आर्थिक सहायता दो, नकद मदद दो,’  जैसे नारे लिखे हुए थे।

साथ ही राशन के सवाल के साथ महिला मजदूरों द्वारा झारखंड की हर बस्ती हर गाँव, हर मोहल्ले, कालोनियों में भी इसी आह्वान के साथ प्रदर्शन किया गया। जिसके तहत राज्य के तकरीबन सभी जिलों पश्चिम सिंहभूम, खूंटी, गुमला हजारीबाग, धनबाद, कोडरमा, बोकारो लोहरदगा के लगभग सभी गांवों बस्तियों में प्रवासी, मूलवासी और स्थानीय मजदूरों ने प्रदर्शन किया। इन सबों की एक ही मांग थी कि सरकार मजदूरों को भरपूर राशन के साथ आर्थिक मदद भी प्रदान करे।

इस प्रदर्शन के साथ सोशल मीडिया में भी इन्हीं नारे के साथ कैम्पेन आगे भी जारी है। इन्हीं माँगो से जुड़ा एक ज्ञापन भी पीएम मोदी को भेजा गया है। और उनसे तत्काल इस मामले में हस्तक्षेप कर ज़रूरतमंदों की माँगों को पूरा करने की अपील की गयी है।

(वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की बोकारो से रिपोर्ट।)

विशद कुमार
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