हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा के छात्रों के निलंबन के खिलाफ BHU में छात्रों का प्रदर्शन

वाराणसी। देश के प्रमुख विश्वविद्यालयों में शामिल अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा में अवैधानिक रूप से नियुक्त कुलपति का विरोध करने वाले छात्रों के निलंबन-निष्कासन के विरोध में प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के छात्र भी मुखर होकर विरोध में उतर आए हैं।

दरअसल गणतंत्र दिवस के अवसर पर वर्धा विश्वविद्यालय में कुलपति की अवैधानिक नियुक्ति को लेकर छात्र राजेश और रजनीश ने कुलपति को काला झंडा दिखाया था। बस इसी बात को आधार बनाकर प्रशासन ने तीन शोधार्थियों को निष्कासित करते हुए दो अन्य छात्रों को निलंबित भी कर दिया।

छात्रों को निष्कासित किए जाने की ख़बर आते ही छात्रों में उबाल आ गया। छात्रों ने इसे असंवैधानिक फैसला करार दिया है। वर्धा विश्वविद्यालय के छात्रों के निलंबन और निष्कासन के विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया है। इस आंदोलन की आंच वर्धा विश्वविद्यालय से होते हुए वाराणसी भी पहुंच गई है।

वर्धा विश्वविद्यालय के छात्रों के निलंबन, निष्कासन के खिलाफ़ भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा, स्टूडेंट फ्रंट, आइसा और समाजवादी छात्र सभा ने 29 जनवरी को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में विरोध-प्रदर्शन करते हुए इसे छात्र विरोधी कार्रवाई करार दिया है।

छात्रों का कहना है कि “वर्धा विश्वविद्यालय में अवैधानिक रूप से नियुक्त कुलपति का ही विरोध किया गया था जो कहीं से भी ग़लत नहीं था। ऐसे में विरोध दर्ज कराने वाले छात्रों पर निलंबन-निष्कासन की कार्रवाई कर वर्धा विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक तरह से सच को छुपाने और छात्रों की आवाज को कुचलने का काम किया है। जो बेहद निंदनीय और घृणित क़दम है।”

छात्रों ने मांग किया कि अविलंब निलंबन वापस लेते हुए छात्रों को ससम्मान विश्वविद्यालय में वापस लिया जाए और कुलपति की अवैधानिक नियुक्ति को रद्द किया जाए।

विरोध प्रदर्शन करते हुए छात्रों ने “वर्धा विश्वविद्यालय प्रशासन होश में आओ”, “सभी छात्रों का निलंबन और निष्कासन रद्द करो”, “फांसीवाद को ध्वस्त करो” आदि नारों के साथ वर्धा प्रशासन को चेतावनी दी कि यदि निलंबन व निष्कासन वापस नहीं लिया जाता है तो आगे आंदोलन तेज करने के लिए छात्र मजबूर होंगे।

स्टूडेंट फ्रंट के नेता शशिकांत ने छात्रों के निलंबन का विरोध करते हुए कहा कि मौजूदा समय में विश्वविद्यालयों में लोकतांत्रिक अधिकारों पर लगातार हमला किया जा रहा है। समाजवादी छात्र सभा के नेता अभिषेक ने कहा कि छात्रों को बोलने से रोका जा रहा है। उन्हें निलंबन और निष्कासन का खौफ दिखाकर चुप कराया जा रहा है।

सभा को संबोधित करते हुए आइसा नेता रोशन ने कहा कि पिछले महीने BHU में हुए गैंगरेप के आरोपी बीजेपी के पदाधिकारी थे, जिसके चलते पुलिस महीनों तक हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।

भगत सिंह स्टूडेंट्स मोर्चा की सचिव इप्शिता ने कहा कि “सत्य और अहिंसा के महान पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि वर्धा में स्थित विश्वविद्यालय के छात्रों के निलंबन-निष्कासन से गांधी जी के विचारों को ठेस पहुंची है। वर्धा विश्वविद्यालय प्रशासन सच को स्वीकार करने के बजाए छात्रों पर कार्रवाई कर सरकार की खुशामत करने में जुटा है।”

(वाराणसी से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

संतोष देव गिरी

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  • छात्रो के सपोर्ट मे उतरे इन सभी छात्रो का तहे दिल से शुक्रिया..

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संतोष देव गिरी