असम: बाल विवाह के खिलाफ सजा अभियान पर उठ रहे सवाल

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के इस दावे कि उनकी सरकार बाल विवाह के खिलाफ एक ‘युद्ध’ शुरू करेगी, के एक दिन बाद ही पुलिस ने राज्य भर में कार्रवाई शुरू कर दी। जिस पर अब सवाल उठने लगे हैं। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि राजनीतिक लाभ के लिए किशोर पतियों और उनके परिवार के सदस्यों की गिरफ्तारी की जा रही है जो “कानून का दुरुपयोग” है।

विपक्षी दलों ने पुलिसिया कार्रवाई की तुलना “आतंकवादी” के साथ किए जाने वाले सलूक से करते हुए कार्रवाई की आलोचना की है। विपक्षी दलों ने कहा कि इस सामाजिक कुरीति को मिटाने के लिए कोई भी उपाय निस्संदेह स्वागत योग्य है। लेकिन इस मामले में अभियान की प्रकृति पर सवाल उठते हैं।

अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे डेटा में कथित तौर पर विसंगतियां हैं। उदाहरण के लिए मोरीगांव की कई महिलाएं कथित तौर पर नाबालिग नहीं हैं। चिंताजनक रूप से सरकारी अभियान अपने नेक उद्देश्य की परवाह किए बिना परिवारों के टूटने का कारण बन रहा है। सुरक्षा के तंत्र के अभाव में महिलाओं और बच्चों को कमजोर बना रहा है।

बाल विवाह एक गहरी अंतर्निहित सामाजिक समस्या है। इसलिए इसे रोकने के लिए समग्र हस्तक्षेप और सबसे महत्वपूर्ण मानवीयता होना चाहिए। गिरफ्तारियों से कानूनी बोझ बढ़ने की संभावना है। पहले से ही बाल विवाह के 96% मामले लंबित हैं। शादी की उम्र बढ़ाने का प्रस्ताव भी उतना ही बेतुका है। महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसरों में सुधार के लिए योजनाओं द्वारा पूरक जन जागरूकता बेहतर परिणाम दे सकती है।

बता दें कि बाल विवाह मामले में असम पुलिस ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण के प्रावधानों और बाल विवाह अधिनियमों के तहत 4,074 मामले दर्ज किए हैं, और 24 घंटे के भीतर 2,044 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक ट्वीट में कहा है कि “असम में बाल विवाह के खिलाफ चल रहे अभियान में गिरफ्तारियों की कुल संख्या मंगलवार को 2,528 तक पहुंच गई है।“ मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि कार्रवाई का उद्देश्य किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाली राज्य सरकार ने इस अभियान की रणनीति को इस तर्क पर सही ठहराया है कि राज्य में बाल विवाह दर खतरनाक रूप से उच्च हैं और बिगड़ती मातृ और शिशु मृत्यु दर इस अभियान की प्रमुख प्रेरक शक्ति है। 2019 और 2021 के बीच किए गए पांचवें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण में पाया गया कि असम में औसतन 31% शादियां कम उम्र में होती हैं। राष्ट्रीय औसत 6.8% की तुलना में कम उम्र की माताओं और गर्भवती लड़कियों का अनुपात 11.7% है।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जी. पी. सिंह ने कहा कि पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती अब 60 से 90 दिनों की अवधि के भीतर चार्जशीट दाखिल करना है। सिंह ने कहा कि पुलिस का उद्देश्य किसी को परेशान करना नहीं है बल्कि उसकी भूमिका अगले दो से तीन वर्षों में राज्य में बाल विवाह को पूरी तरह से रोकने की है।

डीजीपी ने कहा कि “हमने 4,074 मामले दर्ज किए हैं और मंगलवार सुबह तक 2,500 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इन मामलों में सभी आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें गिरफ्तार कर उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया जाएगा।”

पहले से ही जमानत हासिल कर रहे 65 आरोपियों के बारे में डीजीपी ने कहा कि यह सुनिश्चित करने पर ध्यान दिया जा रहा है कि चार्जशीट निर्धारित समय सीमा के भीतर दायर की जाए। उन्होंने जोर देकर कहा, “जमानत ठीक है। मेरे लिए यह महत्वपूर्ण नहीं है कि कौन कितने समय तक जेल में रहता है। यह महत्वपूर्ण है कि उन्हें चार्जशीट किया जाए और उन्हें कानून का सामना करना पड़े।”

असम राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एएससीपीसीआर) की अध्यक्ष सुनीता चांगकाकोटी ने बताया कि यह कार्रवाई बहुप्रतीक्षित कदम है और यह इस खतरे के खिलाफ समाज को कड़ा संदेश देगा। उन्होंने कहा कि “हम लंबे समय से बाल विवाह के खिलाफ अभियान चला रहे हैं और नियमित जिला समीक्षा बैठकें करते हैं जिसमें हम स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे सरकारी विभागों और गैर सरकारी संगठनों सहित सभी हितधारकों को शामिल करते हैं। समाज के सभी वर्गों द्वारा एक ठोस प्रयास समस्या को समाप्त करने में मदद कर सकता है,।”

इससे पहले मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा था कि यह अभियान 2026 के विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा। कार्रवाई को सही ठहराते हुए सरमा ने कहा कि राज्य में पिछले साल 6.2 लाख से अधिक गर्भवती महिलाओं में किशोर गर्भावस्था का हिस्सा लगभग 17 प्रतिशत था।

राज्य कैबिनेट ने हाल ही में 14 साल से कम उम्र की लड़कियों से शादी करने वाले पुरुषों को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012 (पोस्को) के तहत गिरफ्तार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कैबिनेट ने फैसला किया था कि 14-18 साल की उम्र की लड़कियों से शादी करने वालों के खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे। अपराधियों को गिरफ्तार किया जाएगा और विवाह को अवैध घोषित किया जाएगा।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर की उच्च दर है जिसका प्राथमिक कारण बाल विवाह है क्योंकि राज्य में पंजीकृत विवाहों में औसतन 31 प्रतिशत निषिद्ध आयु में हैं। हाल ही में बाल विवाह के 4,004 मामलों में से सबसे अधिक धुबरी (370), उसके बाद होजाई (255), उदालगुरी (235), मोरीगांव (224) और कोकराझार (204) में दर्ज किए गए।

(असम से वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार की रिपोर्ट)

दिनकर कुमार
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