राजस्थान में तीसेर मोर्चे की सुगबुगाहट तेज, छोटे दल मिलकर खोल सकते हैं कांग्रेस-बीजेपी के खिलाफ मोर्चा

मदन कोथुनियां

राजस्थान में तीसरा यानी संयुक्त मोर्चा बनाने की कवायद तेजी से चल रही है। कभी निर्दलीय विधायक हनुमान बेनीवाल इस बारे में बयान देते हैं, कभी सांगानेर से विधायक व भारत वाहिनी के सीनियर लीडर घनश्याम तिवाड़ी कहते हैं, तो कभी बसपा-सपा और लोकदल के नेताओं की तरफ से ऐसे बयान आते हैं।

पिछले दो महीनों में राजस्थान के कई दौरे कर चुके शरद यादव भी कई दलों की गोलबंदी की बात करते हैं। जो तीसरा या संयुक्त मोर्चा बनेगा, उसमें कितने दल होंगे, क्या रणनीति होगी, कैसा घोषणापत्र होगा, कौन इस मोर्चे का मुख्यमंत्री चेहरा होगा, इस बारे में अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन तीसरा मोर्चा बनाने के बयान बार-बार सामने आ रहे हैं।

हनुमान बेनीवाल और घनश्याम तिवाड़ी तो खुले तौर पर कह चुके हैं कि जल्द ही तीसरा मोर्चा सामने आएगा। वहीं सियासी गलियारों में इस बात की चर्चाएं जोरों पर हैं।  29 अक्टूबर को जयपुर की रैली में हनुमान बेनीवाल नई पार्टी का ऐलान करेंगे और इसी दिन इस रैली में बसपा अध्यक्ष मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव, लोकदल के सीनियर लीडर जयंत चौधरी या अजीत सिंह शामिल होकर तीसरे मोर्चे का भी ऐलान कर सकते हैं।

सियासी गलियारों में यह भी चर्चाएं जोरों पर हैं कि इसी रैली में मायावती, अखिलेश यादव, शरद यादव, जयंत चौधरी या अजीत चौधरी, भारत वाहिनी के नेता घनश्याम तिवाड़ी  एक साथ मिलकर हनुमान बेनीवाल को तीसरे मोर्चे का मुख्यमंत्री उम्मीदवार भी घोषित कर सकते हैं।

प्रदेश के चार बड़े हिस्सों में बड़ी बड़ी रैलियां कर चुके खुद हनुमान बेनीवाल भी पिछले दिनों कह चुके हैं कि समान विचारधारा वाले दलों से गठबंधन करने की पूरी संभावना है, इस बारे में जल्द ही ऐलान किया जाएगा। बेनीवाल ने यह भी कहा था कि सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए गठबंधन किया जाएगा और टिकटों का वितरण भी इसी बात को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। 

सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं में यह बात भी सामने आ रही है कि अगर हनुमान बेनीवाल भारत वाहिनी, बसपा, सपा और लोकदल से गठबंधन कर चुनाव लड़ते हैं तो बड़ा फायदा मिल सकता है। बेनीवाल को बसपा के साथ गठबंधन होने पर न केवल पूर्वी राजस्थान में फायदा मिलेगा बल्कि प्रदेश के अन्य इलाकों में भी मिलेगा और सपा के साथ गठबंधन होने से अलवर सहित आस-पास की सीटों पर मिलेगा। वहीं भारत वाहिनी के साथ आने पर ब्राह्मणों वोटों का भी फायदा मिल सकता है।

बसपा और सपा के कई वरिष्ठ नेताओं से गठबंधन को लेकर बात की तो उन्होंने कहा कि अगर बेनीवाल इस बारे में मायावती और अखिलेश से बात करें तो जरूर राजस्थान में एक अच्छा गठबंधन बन सकता है, जो बड़ी राजनीतिक ताकत बनकर उभर सकता है।

देखते हैं 29 अक्टूबर को होने वाली बेनीवाल की हुंकार रैली में कितनी भीड़ होती है, पार्टी का क्या नाम होगा, गठबंधन कैसा स्वरूप लेगा और तीसरे मोर्चे का मुख्यमंत्री उम्मीदवार कौन होगा? इन सभी अटकलों पर विराम लगने की पूरी संभावना है, इंतजार है 29 अक्टूबर का।

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