छत्तीसगढ़: बस्तर के जंगलों में महुआ बीन रहे थे, आसमान से अचानक हुई बमबारी

बस्तर में नक्सलवाद के खात्मे के नाम पर तैनात अर्धसैनिक बल और सरकारें समय समय पर रणनीति बदलती रहती हैं। चाहे बात केंद्र सरकार की हो या फिर राज्य सरकार की। लेकिन अब घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में रहने वाले गांव वालों ने आरोप लगाया है कि फोर्स जमीन की लड़ाई के साथ-साथ इन इलाकों में हवाई बमबारी का इस्तेमाल भी कर रही है। गांव वालों का आरोप है कि कई बार इस तरह के हवाई हमलों के प्रमाण पेश किए गए हैं बावजूद इसके हेलीकॉप्टर और ड्रोन से बमबारी का सिलसिला थमा नहीं है।

इस बार बीजापुर और सुकमा जिले के बॉर्डर पर मौजूद नक्सलियों के साथ-साथ गांव वालों ने आरोप लगाया है कि सुकमा के कोर इलाके के चार गांवों में शुक्रवार को जवानों ने ड्रोन और हेलीकॉप्टर से बमबारी कर ग्रामीणों के खेतों, जंगलों और पहाड़ों को नुकसान पहुंचाया।

नक्सलियों ने प्रेस नोट में लिखा गया है कि ये सीज़न महुआ बीनने का है। यहां के गांव वाले दिन-रात अपने खेतों और जंगलों में रहकर महुआ बीन रहे हैं। इस समय अचानक से बमबारी और फायरिंग
के चलते जनता डरकर अपनी जान बचाने के लिए इधर उधर भागने को मजबूर है।

गांव वालों ने बम के अवशेष दिखाकर विरोध जताया है। ग्रामीणों ने बताया है कि 2021 से अब तक दक्षिण बस्तर के जंगलो में 4 बार हवाई बमबारी की गई है। इस साल 4 महीने के भीतर दो बार ड्रोन से बमबारी की गई है, ऐसे में आदिवासी किसान भयभीत हैं।


बमबारी के दौरान कुछ ग्रामीण खेतों और कुछ महुआ बीनने का काम कर रहे थे,ड्रोन से बमबारी के बाद हेलीकॉप्टर से भी फायरिंग की गई जिसके बाद ग्रामीण हवाई हमले से बचने अपने घर की तरफ भागने लगे। इस दौरान गिरने से कई लोग घायल हो गये हैं, जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उनका जीवन यापन खेती-बाड़ी पर निर्भर है, इसके लिए उन्हें जंगल में हर रोज जाना पड़ता है ।  

जब्बागट्टा गांव में रहने वाले कलमू जोगा ने बताया कि जब ड्रोन से बम गिराया गया उस वक्त वह महुआ बीन रहा था, जैसी ही बमबारी हुई वह घर की तरफ भागने की कोशिश कर रहा था, भीषण बमबारी और फायरिंग के बीच वह अपने आप को बचाने की कोशिश में गिरकर घायल हो गया जिससे उसके सिर और कान में चोटें आई हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि शुक्रवार सुबह जिले के जब्बागट्टा, मीनागट्टा, कवरगट्टा, भट्टिगुड़ा गांव के मोरकोमेट्टा पहाड़ी में ड्रोन से हमले किए गए।

ग्रामीणों का कहना है कि बीते 3 सालों में 4 बार ड्रोन से अटैक किया गया है और ये हमले लगातार जारी हैं, इस तरह के हमले से सभी ग्रामीण डरे हुए हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि हमारे ही देश में सरकार हमारे ऊपर ड्रोन से बराबरी कर रही है, जिसके विरोध में चारों गांव के सैकड़ों ग्रामीण इकट्ठा होकर और पुलिस के  खिलाफ नारेबाजी कर इस बमबारी का विरोध जता रहे हैं।

नक्सलियों ने केंद्रीय गृहमंत्री के बस्तर दौरे का भी जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि सीआरपीएफ के स्थापना दिवस में जगदलपुर पहुंचे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम में कहा था कि नक्सलियों के साथ जंग आखिरी चरण में हैं। उन्होंने बहुत जल्द ही माओवादियो को जड़ से मिटाने की घोषणा की है। इसी लिए पूरे दंडकारण्य में मुखबिर तंत्र से सूचनाएं लेकर आसमान से ड्रोन और हेलीकॉप्टर हवाई हमले की तैयारियां चल रही हैं। शुक्रवार को जवानों की ओर से बमबारी इसी कड़ी का हिस्सा है।

नक्सलियों ने लिखा है कि बस्तर के जल, जंगल, जमीन और संसाधन को बचाने के लिए यहां की जनता अपनी जान जोखिम में डालकर लड़ रही है। नक्सलियों ने मजदूरों, किसानों, छात्रों, युवाओं मानव अधिकार संगठनों और सामाजिक संगठनों से अपील करते हुए कहा है कि वो इस असंवैधानिक हवाई हमले का खंडन करें। 

हालांकि बस्तर आईजी ने किसी भी तरह के हवाई हमले की बात से इंकार किया है। बस्तर के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि नक्सली प्रेस नोट के माध्यम से झूठी जानकारी दे रहे हैं। ग्रामीणों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए किसी तरह की कोई बमबारी नहीं की गई है। नक्सली हमेशा से ही पुलिस के जवानों पर इस तरह के अर्नगल आरोप लगाते हैं, लेकिन उनके पास हवाई हमले की कोई भी जानकारी नहीं मिली है। ना ही हवाई हमले का कोई प्लान पुलिस द्वारा बनाया  गया है।

(तामेश्वर सिन्हा जनचौक के रिपोर्टर हैें और छत्तीसगढ़ में रहते हैं।)

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