समाज के माथे पर कलंक है उज्जैन में 12 साल की लड़की के साथ रेप की घटना

मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में 12 साल की नाबालिग और बोलने में अक्षम लड़की से रेप की घटना सोशल मीडिया पर वायरल है। सीसीटीवी फुटेज में वह लड़की अर्धनग्न अवस्था में देखी गयी। पूरी तरह से खून से सनी थी। उसके प्राइवेट पार्ट से रिसता खून भयावह दृश्य पैदा कर रहा था। और उन्हीं हालात में वह आठ घंटे तक घर-घर मदद मांगती और दर-दर भटकती रही।

आठ घंटे के इस सिलसिले में एक भी हाथ उसकी मदद के लिए आगे नहीं बढ़ा। यह अपने आप में भारतीय समाज की मौजूदा शर्मनाक स्थिति की खुलीबयानी है। यह बताता है कि समाज कितना संवेदनहीन हो गया है और उसकी इंसानियत मर चुकी है। एक समाज के तौर पर हम कितने विफल हुए हैं? यह घटना उसका पैमाना है।

यह घटना बताती है कि एक समाज के तौर पर हम मर चुके हैं। हमारी संवेदनशीलता शून्य हो गयी है। हमें न तो दूसरों के दुखों और कष्टों का खयाल है और न ही उसके प्रति अपनी जिम्मेदारियों का। हम एक मुर्दा समाज की चलती-फिरती लाशें हैं जो अपना ही भार ढोने में अक्षम साबित हो रही हैं। और यह वाकया अगर किसी धर्मनगरी में होता है तो समझा जा सकता है कि पतन की सीमा का स्तर क्या है?

देश में जब बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ का नारा गूंज रहा है। और सरकार से लेकर सत्ता प्रतिष्ठान तक गाजे-बाजे के साथ उसका प्रचार कर रहे हों तब एक मासूम बच्ची के साथ बीच सड़क पर घटी यह हैवानी घटना पूरी व्यवस्था की असलियत को अचानक सामने लाकर खड़ा कर देती है। और उससे भी आगे यह उस प्रदेश में हुआ है जिसके मुखिया को मामा कहलाना पसंद है। लेकिन बीस सालों की सत्ता में उसने एक ऐसा जंगली समाज बनाया है जिसमें भांजियों की लुटती अस्मत उसकी नियति बन गयी है। लाडली योजना का पूरे सूबे में डंका बजाया जा रहा है। लेकिन लाडलियों की सूबे में क्या हालत है इस एक घटना ने बेपर्दा कर दिया है।

शिवराज सिंह चौहान ने पीड़िता के लिए एक करोड़ रुपये की सहायता का ऐलान किया है। चुनाव की पूर्व बेला पर जब सत्ता दांव पर लगी है तो सूबे के मुख्यमंत्री का यह ऐलान कितना पीड़िता को ध्यान में रख कर किया गया है और कितना कुर्सी के लिए किसी के लिए समझ पाना मुश्किल नहीं है। लेकिन क्या पैसे से किसी की इज्जत और सम्मान को लौटाया जा सकता है? उस मासूम की आत्मा को छलनी कर उसके ललाट पर बने इस दाग को क्या कभी मिटाया जा सकेगा? क्या वह जीवन भर अपनी उसी पीड़ा से उबर पाएगी? क्या हैवानी बस्ती में उसके सामने आया वह खौफनाक मंजर कभी उसकी नजरों से ओझल हो सकेगा? ये तमाम सवाल हैं जो हमारा-आपका पीछा कर रहे हैं।

सूबे में यह कोई एक घटना नहीं है। कहीं कोई सवर्ण दबंग शख्स किसी दलित के चेहरे पर पेशाब कर रहा है। तो कहीं किसी आदिवासी की चप्पलों से पिटाई की जा रही है। महिलाओं के उत्पीड़न और बलात्कार की घटनाओं की तो कोई गिनती ही नहीं है। पूरा सूबा और उसकी मशीनरी दबंगों और ताकतवर लोगों के साथ खड़ी है।

अब खबर है कि गंभीर हालत में बच्ची को इंदौर रेफर किया गया है। और मामले की जांच के लिए एसआईटी टीम गठित की गई है।

इस घटना पर कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी रणदीप सिंह सूरजेवाला ANI (एनआई) से बात करते हुए कहते हैं कि “अभी मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार में हर दिन 8 बलात्कार की घटनाएं होती हैं और हो रही हैं”।

उन्होंने कहा कि “18 साल में 58,000 बलात्कार हो चुके, 18 साल में 68,000 बेटियों, महिलाओं का अपरहण हो चुका है”।

सवाल है कि अगर इनके ये आंकड़े सही हैं तो सोचने का विषय है कि आखिर मध्य प्रदेश सरकार कर क्या रही है? इस सरकार की बेटियों-लड़कियों-महिलाओं के प्रति आखिर क्या जिम्मेदारियां हैं? महिलाओं के सशक्तिकरण और उनकी सुरक्षा का ढोल पीटने वाली सरकार के राज में महिलाएं और बेटियां सुरक्षित क्यों नहीं हैं? यह स्थिति बताती है कि तमाम सरकारी दावे झूठे बरगलाने वाले और खोखले हैं।

ये आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि प्रदेश में जंगल राज चल रहा है। प्रशासन विफल है और सरकार चुनावी खेल में व्यस्त है।

(एकता प्रकाश का लेख।)

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