सरकार विरोधी कविता लिखने पर टीएमसी कार्यकर्ताओं ने ‘युवा कवि’ को पीटा

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की राजनीति में सत्ता पक्ष और विपक्षी पार्टियों में हिंसा और मार-पीट की खबरें तो आती ही रहती हैं। अब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने पार्टी की विचारधारा के इतर कविता-कहानी लिखने वाले कवियों, पत्रकारों और साहित्यकारों पर भी निशाना बनाना शुरू कर दिया है। नादिया के शांतिपुर के एक युवा कवि के साथ कथित तौर पर मंगलवार रात को तृणमूल कार्यकर्ताओं ने मारपीट की। टीएमसी कार्यकर्ताओं का आरोप है कि कवि ने सरकार विरोधी एक कविता लिखकर उसे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था। इस कविता में राज्य सरकार की “अराजकता” की आलोचना की गयी है।

शांतिपुर के बाबला-दक्षिणपाड़ा के निवासी 32 वर्षीय कल्लोल सरकार, जिन्होंने 29 मई को सोशल मीडिया पर “बिद्रोहो (विद्रोह)” शीर्षक से कविता लिखी और इस कविता को सोशल मीडिया पर साझा किया। इसके बाद कल्लोल को सत्तारूढ़ पार्टी के कार्यकर्ताओं के हिंसा का सामना करना पड़ा क्योंकि उन्होंने स्पष्ट रूप अराजकता की स्थिति के खिलाफ विद्रोह का आह्वान किया था।

घटना के बारे में बताते हुए, कल्लोल ने कहा कि 25 जुलाई को कुछ तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने शांतिपुर में गैलाइदारिटोला के पास उनका रास्ता रोका और “बिद्रोहो” लिखने के लिए उनसे स्पष्टीकरण मांगा। जिसमें तृणमूल समर्थकों ने दावा किया था कि कल्लोल ने अपने कविता से क्षेत्र के कुछ पंचायत चुनाव मतदाताओं को प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।

कल्लोल बताते हैं कि, “टीएमसी कार्यकर्ताओं ने अचानक से मुझ पर हमला कर दिया। मुझे मुक्का और लात मारना शुरू कर दिया और जब तक कुछ स्थानीय निवासी मुझे बचाने के लिए दौड़े तब तक वो मुझे मारते रहे। वे इस धमकी के साथ वहां से चले गए कि अगर मैंने लोगों को उकसाने के लिए सरकार के खिलाफ कुछ भी लिखने की हिम्मत की तो दोबारा हमला किया जाएगा।”

कल्लोल ने बुधवार रात शांतिपुर थाने में मामला दर्ज कराया। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि कल्लोल की शिकायत के आधार पर शांतिपुर पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दिया है और हमलावरों की तलाश जारी है। हालांकि, गुरुवार तक एफआईआर में दर्ज किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

हालांकि स्थानीय तृणमूल कांग्रेस समर्थकों ने कल्लोल पर अपनी कविता के माध्यम से लोगों को हथियार उठाने के लिए उकसाने का आरोप लगाया, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के शांतिपुर विधायक ब्रज किशोर गोस्वामी ने अभिव्यक्ति की आजादी के पक्ष में बात की है।

मीडिया से बात करते हुए, गोस्वामी ने कहा “पार्टी (तृणमूल) भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करती है और इस पर किसी प्रकार का समझौता या किसी भी हमले का समर्थन नहीं करती है। पुलिस को कानून के मुताबिक कार्रवाई करनी चाहिए।”

“बिद्रोहो” के बारे में बात करते हुए, कल्लोल ने कहा कि यह “राज्य जिस अभूतपूर्व अराजकता से गुजर रहा था” पर एक कवि की प्रतिक्रिया थी।

कल्लोल ने बताया कि “जबकि आम लोग अत्याचार और राजनीतिक हिंसा का शिकार हो रहे हैं, सांस्कृतिक अभिजात वर्ग का एक बड़ा हिस्सा जिनकी राय समाज में मायने रखती है, चुप रहना या अपने फायदे के लिए प्रशासन को खुश करना पसंद करते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण है,” और कहा कि मुझे उम्मीद है कि पुलिस हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।

उन्होंने आगे कहा कि बंगाल में वर्तमान सरकार “कानून का शासन स्थापित करने” की उम्मीद के साथ सत्ता में आई थी लेकिन “जमीनी स्तर पर ऐसा नहीं हो रहा है” और मेरी कविता इसी चीज को दर्शाती है।”

स्थानीय तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि कल्लोल की कविता “भ्रामक” और “सच्चाई से बहुत दूर” है, जिसने राज्य की छवि को लेकर गलत धारणा पैदा कर रही है।

एक तृणमूल कार्यकर्ता ने कहा, “उनके कथन ने राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाया है और क्षेत्र के कुछ लोगों को प्रभावित किया है, जिससे ग्रामीण चुनाव परिणाम पर असर पड़ा, भले ही हम यहां जीत गए हो।”

बंगाल में आम जनता पर ऐसे हमलों की कहानी नई नहीं है, अप्रैल में नादिया के राणाघाट में एक थिएटर कार्यकर्ता, 42 वर्षीय निरुपम भट्टाचार्य को कथित तौर पर “कोशाई (कसाई)” नामक एक नाटक का मंचन करने के लिए तृणमूल कार्यकर्ताओं ने दुर्व्यवहार किया था, जिसमें “जन-विरोधी नीतियों” के लिए बंगाल और केंद्र सरकार की आलोचना की गई थी।

(द टेलिग्राफ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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