झारखंड में राशन कटौती के खिलाफ आदिम जनजातियों ने रंका प्रखंड कार्यालय को घेरा

झारखंड के गढ़वा जिला अंतर्गत रंका प्रखंड कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों में आज 13 नवंबर को उस वक्त अफरा-तफरी का महौल बन गया जब प्रखंड कार्यालय के सभागार में अन्तर जिला विधिक सेवा प्राधिकार, गढ़वा द्वारा “विधिक जागरूकता शिविर” में अधिकारी आम लोगों को क़ानूनी जानकारी दे रहे थे और उसी वक्त शिविर के बाहर आदिम जनजातियों के परहिया, कोरवा समुदाय के सैकड़ों महिला-पुरुष पूरे प्रखंड क्षेत्र में राशन वितरण नहीं करने का सरकारी अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए प्रखंड कार्यालय का घेराव कर दिया। परिणामतः प्रखंड कार्यालय के आसपास भय का माहौल पैदा हो गया।

बता दें इस घेराव का नेतृत्व रामप्रवेश कोरवा व रामनाथ कोरवा ने किया था जिसमें 15 गाँवों के 600 महिला पुरुषों ने भाग लिया। घेराव के पहले आदिम जनजाति के लोग आक्रोशपूर्ण रैली की शक्ल में आए और प्रखंड के सरकारी अधिकारियों व कर्मचाारियों पर डाकिया योजना में व्यापक भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि सितम्बर महीने का पूरा राशन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। किसी भी आदिम जनजाति कार्डधारी को राशन नहीं दिया गया है, वहीं अक्टूबर माह का जो राशन वितरित किया गया है, उसमें सभी कार्डधारकों को मात्र 23 किलो राशन ही मिल पाया है। बताते चलें कि रंका प्रखंड के अंतर्गत विभिन्न गांवों में आदिम जनजाति के 1322 कार्डधारक हैं। उसके हिसाब से राशन डीलर अर्थात एमओ (प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी) रंका को प्रत्येक माह 462.70 क्विंटल खाद्यान्न का आवंटन होता है। जिसकी भारी पैमाने पर रंका प्रखंड में कालाबाजारी की जा रही है।

घेराव स्थल पर प्रखंड विकास पदाधिकारी ने पहुंच कर सितंबर माह का पूरा राशन 35 किलो और अक्टूबर माह के 8 किलो कटे हुए राशन को देने का आदेश दिया तथा परिवहन शुल्क भी प्रशासन के द्वारा व्यय किया जायेगा ऐसा आश्वासन दिया। बीडीओ ने भविष्य में ऐसी गलती नहीं होगी का भी आश्वासन दिया। इस अवसर पर सभी लाभार्थी अपना राशन लेकर ही घर लौटे तब जाकर घेराव समाप्त किया गया।

कहना ना होगा इस विरोध के जो परिणाम सामने आया है वह झारखंड के जनमानस में खासकर जनजातीय समुदाय में एक संदेश दे गया कि अपने हक अधिकार की लड़ाई के बिना कुछ नहीं होगा।

प्रखंड कार्यालय घेराव कार्यक्रम में मुख्य रूप से रुक्मिणी कुंवर, पार्वती देवी, श्यामदेव कोरवा, सुरेन्द्र कोरवा, नीरापती कोरवा, राजेश कोरवा, मानिकचंद कोरवा, एनसीडीएचआर- DAAA के राज्य समन्वयक मिथिलेश कुमार, भोजन के अधिकार अभियान के जेम्स हेरेंज सैकड़ों की संख्या में आदिम जनजाति समुदाय के लोग शामिल थे।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

विशद कुमार
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