बाबू वीर कुंवर सिंह के वंशज रोहित की संदेहास्पद मौत से बिहार में तनाव

आरा। 1857 की क्रांति के महानायक वीर कुंवर सिंह की परपौत्री और बीजेपी नेता पुष्पा सिंह के बेटे कुंवर रोहित सिंह की संदेहास्पद स्थिति में मौत एक बार फिर बिहार की पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया है। एक तरफ 23 अप्रैल को वीर कुंवर सिंह के विजयोत्सव के मौके पर गृह मंत्री अमित शाह बिहार आ रहे हैं। वहीं कुंवर सिंह के वंशज के संदिग्ध मौत पर किसी भी बीजेपी के बड़े नेता के द्वारा कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

अमित शाह का कार्यक्रम नहीं होने दूंगी

मृतक की मां पुष्पा सिंह नम आंखों और दबी आवाज में मीडिया से बातचीत के दौरान बताती हैं कि, “सोमवार यानी 28 मार्च के दिन वीर कुंवर सिंह किला प्रांगण में रोहित ने सीआईटी जवानों द्वारा किए जा रहे गलत कार्यों का विरोध किया। जिसके बाद जवानों द्वारा मारपीट कर उसे रेफरल अस्पताल के गेट के सामने सोमवार की देर रात फेंक दिया गया। मेरे बेटे की मृत्यु की साजिश में अस्पताल के प्रभारी का भी हाथ है। डाक्टर ने सही इलाज क्या होता तो वह जिंदा होता। वीर कुंवर सिंह के पोते की हत्या हुई है। सरकार न्याय नहीं करेगी तो देश हिल जाएगा। दोषी पुलिस-प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो अमित शाह का कार्यक्रम नहीं होने दूंगी और आत्मदाह करूंगी।” 

लवली आनंद सांत्वना देने पहुंची हुई

CIT जवानों पर हत्या का आरोप

स्थानीय पत्रकार अमरेंद्र पूरी घटना को विस्तार से बताते हुए कहते हैं, “भोजपुर के जगदीशपुर थाना क्षेत्र के जगदीशपुर नगर वार्ड संख्या-18 किला गढ़ के रहने वाले कुंवर रोहित,उर्फ बबलू सिंह 38 वर्ष के थे। कुंवर के तीन भाई और चार बहने हैं। रोहित सिंह का घर किला के पीछे गढ़पर मोहल्‍ले में है। वहीं कुंवर सिंह किला मैदान के भवन में सीआईटी के जवान रहते हैं, तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि  रोहित और सीआईटी जवान एक दूसरे से अपरिचित थे”। 

रोहित सिंह की मंगलवार को जगदीशपुर रेफरल अस्पताल में हुई मौत

उन्होंने आगे बताया कि “रोहित की मौत की खबर के बाद जगदीशपुर में बवाल मच गया और लोग हंगामा करने लगे। सात से आठ घंटे तक अफरातफरी मची रही। लोग दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग कर रहे थे। मंगलवार दिन के करीब दो बजे उसकी मौत हो गई थी। मौत की सूचना मिलते ही एसडीपीओ श्याम किशोर रंजन, एसडीएम सीमा कुमारी, थानाध्यक्ष संजीव कुमार, अंचलाधिकारी कुमार कुंदन लाल समेत कई थानों की पुलिस रेफरल अस्पताल पहुंची। प्रशासन और परिवार के बीच लंबी बातचीत के बाद रात करीब 9:30 बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए आरा सदर अस्पताल लाया गया। लेकिन विभिन्न संगठनों के लोगों द्वारा विरोध करने पर शव का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया है।”

विरोध प्रदर्शन

रोहित के भाई कुंवर अजय प्रताप सिंह बताते हैं कि, ” वीर कुंवर सिंह किला प्रांगण में सीआईटी जवान लोग शराब और हेरोइन बेचते हैं। लड़कियां भी लाई जाती हैं। भाई ने इसी का विरोध किया तो पीट-पीटकर उसे अधमरा कर दिया।”

मामले की जांच के लिए SIT का गठन

करणी सेना के द्वारा आंदोलन की चेतावनी और विपक्ष के सवालों के बीच प्रशासन ने SIT का गठन किया है। भोजपुर के एसपी विनय तिवारी फोन पर बताते हैं कि “परिवार के लोग किला परिसर में रहने वाले सीआईएटी के कांस्टेबल पर मारपीट का आरोप लगा रहे हैं। इसलिए एसआइटी टीम गठित कर दी गई है। एसआईटी स्थानीय पुलिस और  पदाधिकारियों की लापरवाही की भी जांच करेगी। जो भी दोषी होगा उसके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। “

कुछ महीने पहले डॉन पप्पू देव की पुलिस हिरासत में मौत

“बिहार पुलिस के लिए कोई नई बात नहीं है। 4 महीने पहले कोसी क्षेत्र में डॉन कहे जाने वाले पप्पू देव की मृत्यु भी पुलिस के हिरासत में पुलिस के द्वारा की गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इस बात की गवाह है। पप्पू देव के शरीर पर जख्म के 30 से ज्यादा निशान थे। जबकि, सिर में खून का थक्का जमने के कारण हृदय गति रूक गयी थी। आरोप जदयू के वरिष्ठ नेता आरपी सिंह की बेटी लिपि सिंह पर लगा था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद भी क्या हुआ? नीतीश सरकार में अफसरशाही और प्रशासनवाही चरम पर है।” ‘केवल सच’ के संपादक बृजेश मिश्रा जनचौक को बताते हैं। 

डॉन पप्पू देव

“बिहार में नीतीश कुमार द्वारा सुशासन का ढोल पीटा जा रहा और विकास के दावे किये जा रहे हैं, परन्तु सच्चाई यह है कि अफसरशाही और पुलिसगिरी यहां सिर चढ़ कर बोल रही है। नीतीश का दोनों पर कोई कंट्रोल नहीं है। शराबबंदी के नाम पर पुलिस का सनकी रवैया देखिए, दुल्हन के बेडरूम से बाथरूम तक घुस रही है।”

करणी सेना ने सरकार को चेतावनी दी

बिहार में जाति एक बहुत बड़ी सच्चाई है। तभी राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखने वाले वीर कुंवर सिंह के वंशज की संदिग्ध मृत्यु के बाद सरकार को आंदोलन की धमकी दे चुके हैं। इसमें जाति का जिक्र इसलिए किया गया क्योंकि संदिग्ध मृत्यु के बाद परशुराम सेना, यादव सेना और भीम सेना की तरफ से कोई भी बयान नहीं दिया गया है। 

करणी सेना प्रमुख सुखदेव सिंह फेसबुक पोस्ट के माध्यम से लिखते हैं कि, बहुत दुखद ही नहीं असहनीय है कि बाबू वीर कुंवर सिंह के वंशज जब सुरक्षित नहीं हैं तो आम लोगों का क्या होगा? बाबू वीर कुंवर सिंह जयंती, विजय उत्सव मनाने से क्या उनकी आत्मा की शांति प्रदान होगी? करणी सेना भारत मांग करती है कि अति शीघ्र पुलिसकर्मियों को बर्खास्त कर गिरफ्तार करें वरना आंदोलन झेलने के लिए तैयार रहें। 

वहीं राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय प्रधान सलाहकार बताते हैं कि,”जब तक दोषी पुलिसकर्मियों पर दफा 302 सहित अन्य सभी विधि सम्मत धाराएँ लगा कर उनकी गिरफ्तारी नहीं हो जाती है, हम चैन से नहीं बैठेंगे। हम संविधान और कानून पसंद लोग हैं।”

पक्ष का रवैया

बाबू वीर कुंवर सिंह के पर पोते रोहित सिंह की मृत्यु पुलिस कस्टडी में हो जाने के बाद विपक्ष ने सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़ा किया है। रोहित सिंह की मौत के बाद शिवहर के विधायक और आनंद मोहन के बड़े बेटे चेतन आनंद सरकार को प्रदर्शन की चेतावनी भी दे चुके हैं। वहीं राजद नेत्री लवली आनंद ने जगदीशपुर पहुंचकर परिवार को न्याय का भरोसा दिया। 

मां पुष्पा के साथ विरोध प्रदर्शन करते लोग

रामगढ़ विधानसभा के विधायक सुधाकर सिंह बताते हैं कि, “जहाँ एक तरफ भाजपा 23 अप्रैल को बाबू वीर कुंवर सिंह का विजय उत्सव मनाने का आयोजन कर रही है वहीं पर प्रशासन के द्वारा उनके पोते को इतना मारा गया कि उनकी मृत्यु हो गई है। रोहित की मां पुष्पा बीजेपी की नेत्री हैं। इसके बावजूद बीजेपी का कोई बड़ा नेता कुमार बाबू के परिवार के साथ खड़ा नजर नहीं आ रहा है।”

वहीं करणी सेना के प्रदर्शन की चेतावनी और विपक्ष के सवालों के बाद ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि, घटना की जितनी निंदा की जाए वह कम है। सरकार पूरी तरह से जांच करवाएगी और जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। सरकार जल्द इस मामले का खुलासा करेगी। वहीं भाजपा के किसी भी बड़े नेता ने इस मुद्दे पर कोई बयान नहीं दिया है।

(बिहार से राहुल की रिपोर्ट।)

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