30 जनवरी की मानव श्रृंखला में महिलाओं की भी होगी उल्लेखनीय भागीदारी

पटना। तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, बिहार में एपीएमसी एक्ट पुनः बहाल करने और प्रस्तावित बिजली बिल-2020 वापस लेने की मांग पर महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर मानव श्रृंखला आयोजित हो रही है। इसमें महिलाओं की भी बड़ी भागीदारी होगी।

पटना में भाकपा-माले और ऐपवा द्वारा आयोजित संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने बताया कि पूरे बिहार में महिला किसान मानव श्रृंखला में शामिल होंगीं। संवाददाता सम्मेलन में उनके अलावा ऐपवा की बिहार राज्य अध्यक्ष सरोज चैबे, रीता वर्णवाल, संगीता सिंह, माधुरी गुप्ता और अफ्शां जबीं शामिल थीं। महिला नेताओं ने कहा कि हर कोई जानता है कि महिलाएं ही कृषक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। खेतों में फसलों की रोपाई से लेकर कटनी तक के काम में महिला श्रम शक्ति का ही सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है।

जब सुप्रीम कोर्ट कहता है कि किसान आंदोलन में महिलाओं का क्या काम है! तब देश की न्याय व्यवस्था की सर्वोच्च संस्था द्वारा यह महिलाओं को अपमानित करना है। यह संविधान में प्रदत अधिकारों का हनन है, जो बिना लैंगिक भेदभाव के देश के सभी नागरिकों, चाहे वे महिला हों या पुरुष, को समान अधिकार देता है। इसकी हत्या आज खुद सर्वोच्च न्यायालय कर रहा है, जो बहुत ही दुखद है। सर्वोच्च न्यायालय को ऐसे बयान देते वक्त सतर्कता बरतनी चाहिए। उसका काम संवैधानिक मूल्यों की हिफाजत करना है न कि उसकी हत्या करना।

सर्वोच्च न्यायालय के इस बयान के खिलाफ विगत 18 जनवरी को पूरे देश में महिला किसान दिवस का आयोजन किया गया था। महिला किसान दिवस के समर्थन में 18 जनवरी को बिहार समेत उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और कुछेक अन्य राज्यों से ऐपवा की टीम दिल्ली पहुंची और जोरदार प्रतिवाद दर्ज किया। बिहार से गई टीम में मीना तिवारी, संगीता सिंह, इंदु सिंह, सोहिला गुप्ता, रीता वर्णवाल, माधुरी गुप्ता और आफ्शा जबीं शामिल थे। पंजाब और दिल्ली की ऐपवा की टीम लगातार दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का मोर्चा थामे हुए हैं।

हमारी टीम ने टिकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर का दौरा किया। 17 जनवरी को टीम सुबह टिकरी पहुंची और 19 जनवरी तक वहां रही। 18 जनवरी को महिला किसान दिवस पर आयोजित 24 घंटे के अनशन में पंजाब, हरियाणा की किसान महिलाओं के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए बिहार ऐपवा की महिलाएं शामिल हुईं। वहां पर आयोजित सभा को मीना तिवारी ने संबोधित किया। उस दिन ऐपवा की नेता सोहिला गुप्ता, संगीता सिंह, रीता वर्णवाल और इंदू सिंह एक दिवसीय अनशन पर भी बैठीं।

उन्होंने बताया कि 20 जनवरी को सिंघु बार्डर पर ऐपवा ने रैली निकाली और 21 जनवरी को हमारी टीम गाजीपुर बॉर्डर पहुंची। वहां भी किसानों की सभा को महासचिव मीना तिवारी ने संबोधित किया। इन तीनों ही जगहों पर हमने देखा कि हर उम्र की महिलाएं पूरे उत्साह से आंदोलन में शामिल हैं। लंगर हो या मेडिकल कैंप, साफ-सफाई का काम हो या मंच संचालन का काम, हर काम में महिलाएं आगे बढ़ कर हिस्सा ले रही हैं। हर जगह महिलाओं ने कहा कि जब तक तीन काले कानून रद्द नहीं होंगे तब तक वे डटी रहेंगी। सच कहा जाए तो दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को महिलाओं ने ही मजबूत आधार दे रखा है। हमारी पंजाब की ऐपवा नेता जसबीर कौर ने टिकरी बॉर्डर का मोर्चा पहले ही दिन से संभाल रखा है।

इन महिलाओं के समर्थन में आज बिहार की महिलाएं भी खड़ी हो रही हैं, क्योंकि अगर ये कानून रद्द नहीं हुए तो आने वाले समय में किसानों के साथ-साथ, जन वितरण प्रणाली, मध्यान्ह भोजन योजना, आंगनबाड़ी योजना भी प्रभावित होंगी और इसकी सबसे ज्यादा मार गरीब-खेतिहर महिलाओं को ही झेलना होगा। बिहार राज्य आशा कार्यकर्ता संघ ने भी आगामी 30 जनवरी की मानव श्रृंखला में बैठकर बड़ी संख्या में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का निश्चय लिया है। सारी आशा कार्यकर्ता किसान और किसानी काम से ही जुड़ी हुई हैं। इसलिए वे पूरी मजबूती के साथ 30 जनवरी की मानव श्रृंखला में शामिल होंगी।

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