लखनऊ में महिलाओं के लौह हौसलों के आगे पुलिस के मंसूबे ध्वस्त, धरना स्थल पर पानी डालने और कंबलों को लूटने समेत हर तरकीब हुई नाकाम

यूपी में 18 प्रदर्शनकारियों की गोली लगने से मौत के बाद भी यहां सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन फिर से जोर पकड़ गया है। दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज पर लखनऊ घंटाघर पर महिलाओं ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है। सीएम योगी की पुलिस इन महिलाओं पर भी अत्याचार करने से पीछे नहीं हट रही है। जबरदस्त सर्दी की रात जब महिलाएं शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रही थीं तो पुलिस ने धरना स्थल पर ठंडा पानी डाल दिया। उनसे कंबल चादर-छीन लिए गए। पुलिस की इस अमानवीय हरकत के बाद भी महिलाओं के हौसले नहीं डिगे हैं और उनका प्रदर्शन जारी है।

अहम यह भी है कि मामूली बातों पर स्वतः संज्ञान लेने वाली न्यायापालिका जब खुलेआम लोकतंत्र की हत्या हो रही है तो वह तमाशबीन बनी हुई है। दिल्ली के शाहीन बाग, बिहार के सब्जी बाग, इलाहाबाद के रोशन पार्क और कानपुर के मोहम्मद अली पार्क की तरह अब लखनऊ के घंटाघर पर भी महिलाएं धरना दे रही हैं।

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने लोकतंत्र को ताख पर रख दिया है। सपा और बसपा नाम के विपक्ष ने जब सरकार के सामने सरंडर कर दिया है तो महिलाओं ने यहां मोर्चा संभाल लिया है। शुक्रवार को घंटाघर पर कुछ लोगों ने प्रदर्शन शुरू किया तो पुलिस ने उन्हें वहां से खदेड़ दिया। कुछ देर बाद बड़ी संख्या में यहां लोग पहुंचने लगे जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं।

पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं पर दबाव बनाना जारी रखा। पुलिस ने धरने में शामिल होने के लिए गाड़ियों से आए लोगों के वाहनों का चालान काटना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने बताया कि यह इलाका नो पार्किंग जोन नहीं है। इसके बाद भी पुलिस ने नियमों को नहीं माना।

शनिवार तक प्रदर्शनकारियों की संख्या हजारों में पहुंच गई। सुबह घंटाघर को पुलिस ने चारों तरफ़ से घेर लिया। मीडिया भी मौके पर पहुंच गई। मीडिया ने जब इस पर सवाल उठाए तो पुलिस के जवान बहाने बनाने लगे। उन्होंने कहा कि वह इनकी सुरक्षा के लिए यहां आए हैं। विरोध में प्रदर्शन करने वाली महिलाएं हाथों में प्लेकार्ड लिए हुए हैं। उन पर सीएए और एनआरसी के खिलाफ नारे लिखे हुए हैं। गांधी जी और अंबेडकर जी की तस्वीरें भी हाथों में हैं। यहां देश भक्ति के गीत गाए जा रहे हैं।

योगी की पुलिस दिन भर शांत बनी रही और दिखावा करती रही कि वह इन महिलाओं की सुरक्षा में लगी है, लेकिन रात के अंधेरे में उसने अपनी करतूत दिखानी शुरू कर दी। दिन में महिलाओं की ‘सुरक्षा’ में लगी पुलिस रात में गुंडा बन गई। उसने महिलाओं से खाने-पीने का सामान छीन लिया। यहां तक कि कंबल और चादर भी पुलिस छीन ले गई। पूरे धरना स्थल को ठंडे पानी से भर दिया गया। प्रदर्शनकारियों को डराने-धमकाने की भी कोशिश की गई।

सत्ता के इशारे पर पुलिस की अमानवीयता के बावजूद महिलाएं डटी हुई हैं। शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही महिलाओं ने जब शुक्रवार को धरना शुरू किया तो रात में बिजली काट दी गई। महिलाएं इससे घबराई नहीं और मोमबत्ती और मोबाइल टॉर्च की रोशनी में रात भर धरना जारी रखा। सर्दी की रात में आग जलाने के लिए जो कोयला मंगाया गया था, पुलिस ने उस पर भी पानी डाल दिया।

धरने पर मौजूद प्रदर्शनकारी महिलाओं ने साफ कह दिया है कि जब तक केंद्र सरकार सीएए को वापस नहीं लेती है, धरना जारी रहेगा। उन्होंने साफ कह दिया है कि वह पुलिस दमन के खिलाफ भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रखेंगी।

कांग्रेस नेता सदफ ज़फ़र ने कहा है कि 19 दिसंबर के विरोध के बाद पुलिस ने मेरे साथ बर्बरता की थी। अब लखनऊ की महिलाएं सड़कों पर हैं। उनकी हिम्मत प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि हम सरकार के फैसले के खिलाफ पूरी ताकत से विरोध करेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि हम सफल होंगे।

यूपी में दिसंबर में हुए प्रदर्शनों को हिंसक बताते हुए योगी की पुलिस ने कई स्थानों पर बर्बर व्यवहार किया था। कई जगहों पर लोगों की गोली लगने से मौत हुई थी। शुरू में डीजीपी ने कहा कि पुलिस ने गोली नहीं चलाई है, लेकिन जब पुलिस के गोली चलाते हुए वीडियो और फोटो सामने आने लगे तो उन्हें पुलिस के गोली चलाने की बात माननी पड़ी।

यूपी पुलिस किस कदर अमानवीय रही इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गोली से मरने वाले युवकों का आनन-फानन में पोस्टमार्टम कराकर रात में ही जबरदस्ती दफ्नवा दिया। तमाम जगहों पर घर वाले अपने बेटे-भाई का आखिरी दीदार भी नहीं कर सके। अब हाल यह है कि मृतक के परिजनों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट तक नहीं दी जा रही है। अब एक बार फिर सीएए का विरोध शुरू हो गया है। अहम बात यह है कि शांति के साथ विरोध कर रहे लोगों का साथ न तो विपक्ष दे रहा है और न ही न्यायपालिका पुलिस बर्बरता पर कुछ कह रही है।

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