29 नहीं अब 30 दिसंबर को होगी किसानों से बातचीत, सरकार ने भेजा किसान संगठनों को न्यौता

केंद्र सरकार की ओर से किसान संगठनों को पत्र लिखकर 30 दिसंबर दोपहर दो बजे दिल्ली के विज्ञान भवन की बैठक में भाग लेने का अनुरोध किया गया है। सरकार ने बातचीत के लिए दिल्ली एनसीआर के आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के लिए आयोग अध्यादेश 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दा तय किया है। किसान संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कांफ्रेंस करके सरकार के वार्ता के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 29 दिसंबर को एक बजे बैठक की समय और तारीख बताई थी।

सरकार की ओर से लिखे पत्र में कहा गया है, “किसान संगठनों के प्रतिनिधियों और भारत सरकार के साथ बैठक के लिए समय संसूचित किया है। आपके द्वारा अवगत कराया गया है कि किसान संगठन खुले मन से वार्ता के लिए हमेशा तैयार रहे हैं और रहेंगे। भारत सरकार भी साफ नीयत तथा खुले मन से प्रासंगिक मुद्दों को तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।”

इस पत्र में आगे लिखा है, “इस बैठक में आपके द्वारा प्रेषित विवरण के परिप्रेक्ष्य में तीनों कृषि कानूनों एवं एमएसपी की खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आस पास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता के लिए आयोग अध्यादेश 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में किसानों से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। कृपया अनुरोध है कि दिनांक 30 दिसंबर 2020 को अपराह्न दो बजे विज्ञान भवन नई दिल्ली में केंद्रीय मंत्री स्तरीय समिति के साथ सर्वमान्य समाधान के लिए इस बैठक में भाग लेने का कष्ट करें।”

पत्र में 13 किसान संगठनों और उनके प्रतिनिधियों को संबोधित किया गया है। इनके नाम हैं, डॉ. दर्शनपाल क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब, जगजीत सिंह दालेवाल भारतीय किसान यूनियन सिंधुपुर, बलवीर सिंह राजेवाल भारतीय किसान यूनियन राजेवाल, कुलवंत सिंह संधू जम्हूरी किसान सभा, बूटा सिंह बुर्जगिल भारतीय किसान सभा दकोंदा, बलदेव सिंह निहालगढ़ कुलहिंद किसान सभा, निराभाई सिंह धुदिके कीर्ति किसान यूनियन, रुलदू सिंह मानसा पंजाब किसान यूनियन, मेजर सिंह पुत्रवत कुलहिंद किसान सभा, इंद्रजीत सिंह कोट बुद्धा किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, हरजिंदर सिंह टांडा आजाद किसान संघर्ष कमेटी पंजाब, गुरुबख्श सिंह बरनाला जय किसान आंदोलन पंजाब, सतनाम सिंह पन्न किसान मजदूर संघर्ष कमेटी।

उधर, एआईकेएससीसी वर्किंग ग्रुप ने सरकार के बातचीत के निमंत्रण पर उम्मीद जताई है कि सरकार तीन खेती के कानून और बिजली बिल 2020 वापस करने पर खुले मन से निर्णय लेगी तथा किसानों पर दोष मढ़ने के कारण नही ढूंढेगी। संगठन ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि सरकार ने किसान आंदोलन को विपक्षी दलों से जोड़ा और कहा कि इन्हें गुमराह किया जा रहा है। फिर जब उसने तारीख मांगी तो दिखाया कि किसान वार्ता के लिए सामने नहीं आ रहे हैं, पर अब जब समय और एजेंडा तय हो चुका है तो उसने बयानों में ‘राजनीतिकरण न हो’ की शंका जताई है।

एआईकेएससीसी महासचिव डॉ. आशीष मित्तल की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के इस गलत बयान पर कि ‘किसानों की जमीन नहीं छिनेगी’ पर कहा कि उन्हें ठेका कानून की धारा 9 और 14 पढ़नी चाहिए। संगठन ने कहा कि एमएसपी पर सरकार ने गलत तथ्यों के आधार पर एक अनुचित पक्ष अपना लिया है। सरकार ने कहा है कि वह एमएसपी दे रही है और आश्वासन देने के लिए तैयार है।

जहां सरकार राष्ट्रीय कृषि नीति के आधार पर एमएसपी नहीं दे रही है, यानी सी2+50 फीसदी, जो घोषित होता है उसका लाभ कुछ ही किसानों को मिलता है और ये किसानों की पीड़ा और सरकार के गलत दावे को रेखांकित करता है। मांग है कि जो कानून बने वह सभी फसलों का सी2+50 फीसदी दे तथा सभी किसानों से खरीद की गारंटी हो। ये नए कानून पुराने अधिकार को छीन रहे हैं, जिनमें एमएसपी का तुच्छ अमल भी है और इन कानूनों की वापसी की मांग पुराने मौजूद अधिकारों को पहले पुनर्स्थापित करने से जुड़ी है तथा उसके बाद नई मांगों पर गौर करने से।

महासचिव डॉ. आशीष मित्तल ने कहा कि इस बीच आंदोलन लगातार ताकतवर होता जा रहा है और धरनों में नई ताकतें जुड़ रही हैं। जहां पंजाब और अन्य किसान संगठन 10वें गुरु के बच्चों की अन्याय के खिलाफ लड़ाई में शहादत मना रहे हैं, वहीं देश भर में दिल्ली धरने के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जा रही है। एआईकेएससीसी ने कहा कि सरकार द्वारा मांग न मानने पर दबाव बनाने के लिए सैकड़ों टोल प्लाजा को मुफ्त किया जा चुका है और अंबानी और अडानी के उत्पादों के खिलाफ देश भर में अभियान तेज हो रहा है।

डॉ. आशीष मित्तल ने कहा कि संगठन नए साल पर किसानों के संघर्ष के पक्ष में शपथ दिलाकर अभियान चला रहा है। इसमें सैकड़ों जनता के विभिन्न हिस्सों के सैकड़ों जन संगठन 1 जनवरी को हर जिले में बीसियों कार्यक्रम करेंगे। इस शपथ में पूरे साल 2021 में किसान आंदोलन को सहयोग देने का संकल्प लिया जाएगा। कई लाख लोगों की भाग लेने की उम्मीद है। संगठन ने कहा कि इस बीच पटना और थंजवूर में कल तथा हैदराबाद और इंफाल में परसों होने वाली रैली की तैयारी तेजी से चल रही है। दसियों हजार लोगों के भाग लेने की इसमें उम्मीद है। गाजीपुर शाहजहांपुर में ताकत बढ़ी है, तथा 30 दिसंबर को सिंघु बार्डर से ट्रैक्टर रैली निकलेगी।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

सुशील मानव
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