हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क में 8 एशियाई शेर कोरोना संक्रमित

हैदराबाद के नेहरू जूलोजिकल पार्क में 8 एशियाई शेर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। संक्रमित शेरों को आइसोलेट कर दिया गया है। साथ ही शेरों के कोविड पॉजिटिव मिलने के बाद देशभर के चिड़ियाघरों और नेशनल पार्क्स को बंद करने का निर्देश दिया गया है।

इन सभी शेरों में कोरोना के लक्षण पाए जाने के बावजूद इनका व्यवहार सामान्य है। सभी कोरोना संक्रमित शेरों की तबीअत ठीक है और धीरे-धीरे रिकवर कर रहे हैं।

29 अप्रैल को सेंटर फॉर सेलुलर एंड मॉलेक्यूलर बायोलॉजी (CCMB) ने एनजेडबी के अधिकारियों को बताया था कि ये शेर कोरोना पॉजिटिव हैं। एनजेडपी के डॉ. सिद्धानंद कुकरेती ने रिपोर्ट की पुष्टि करते हुए बताया कि अब शेर बेहतर हो रहे हैं। 

24 अप्रैल को जब डॉक्टर पार्क के दौरे पर गये थे, तो उन्होंने देखा कि कुछ शेरों के नाक से पानी आ रहा है और कफ कर रहे हैं। साथ ही कुछ खाना भी नहीं खा रहे थे। इसके बाद उन्होंने इन शेरों के स्वैब सैंपल्स लिए और फिर आरटी-पीसीआर टेस्ट करने के लिए भेजा गया। जांच में पार्क के आठ शेर कोविड से संक्रमित मिले। पॉजिटिव पाए जाने की वजह से इन शेरों को आइसोलेट कर दिया गया है और ज़रूरी इलाज दिया जा रहा है। सभी इलाज से लगातार बेहतर हो रहे हैं। टेस्टिंग से पता चला है कि यह संक्रमण किसी गंभीर वेरिएंट की वजह से नहीं हुआ था। 

जानवरों में कोविड-19 होने का देश में यह संभवत: पहला मामला है। पिछले साल अप्रैल महीने में न्यूयॉर्क के ब्रॉनोक्स जू में आठ बाघ कोविड से संक्रमित मिले थे, लेकिन इस बार पहली बार यह देश में शेरों में मामला सामने आया है। वाइल्डलाइफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग सेंटर के डायरेक्टर डॉ. शिरीष उपाध्याय ने बताया कि ब्रॉनोक्स में सामने आए मामले के बाद कहीं पर भी वाइल्ड एनिमिल्स में कोविड पॉजिटिव होने का मामला सामने नहीं आया था। हालांकि, हॉन्ग-कॉन्ग में कुत्तों और बिल्लियों में जरूर वायरस मिल चुका है।

जानवर से इंसान में कोरोनावायरस का शक़

कोरोनावायरस कहां से आया? इस गुत्थी को सुलझाने के लिए दुनिया और संस्थान पिछले साल से चीन के पीछे पड़े हैं। अभी तक सारे क्लूज दो जानवरों- पैंगोलिन और चमगादड़ पर जाकर खत्म हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी बीते दिनों चमगादड़ की भूमिका को संदिग्ध बताया था। 

अब तक मिले सबूतों से बहुत हद तक ये बात सिद्ध हो रही है कि चमगादड़ से निकले कोरोना के मूल वायरस ने कुछ ताक़त पैंगोलिन से ली और फिर एक नए रूप में विकसित होकर इंसानों में Sars-CoV-2  वायरस बनकर फैल गया।

वहीं चीन के दो प्रमुख वैज्ञानिक कांगपेंग झियाओ, जुन्कियोनग झाई अपने रिसर्च में इस नतीजे पर पहुंचे कि कोविड-19 महामारी का Sars-CoV-2 वायरस के पनपने में पैंगोलिन और चमगादड़ दोनों की भूमिका है। पिछले साल जर्नल नेचर में छपी रिपोर्ट के हवाले से इन वैज्ञानिकों को मिले नए सबूत इशारा कर रहे हैं कि इंसानों तक कोरोनावायरस के पहुंचने में पैंगोलिन इंटरमीडिएट होस्ट यानी बीच की कड़ी हो सकता है।

साउथ चाइना एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के कॉलेज ऑफ वेटरनरी मेडिसिन के शोधकर्ताओं के रिसर्च पेपर में अपने दावे के पक्ष में ठोस सबूत देते हुये मलयन प्रजाति के पैंगोलिन और 4 विशेष जीन्स पर फोकस करके निष्कर्ष निकाले थे। उन्होंने बताया था कि पैंगोलिन में जो कोरावायरस (पैंगोलिन-CoV) मिला है उसका अमीनो एसिड इंसानों में फैले वायरस के जेनेटिक मटेरियल यानी आरएनए से 100%, 98.6%, 97.8% और 90.7%  समान है। 

मलयन पैंगोलिन में मिले वायरस में कोशिकाओं पर आक्रमण करके उन्हें पकड़ने वाला स्पाइक प्रोटीन मिला है वह ठीक वैसा ही जिसका इस्तेमाल कोरोना वायरस इंसानों में कर रहा है। इसे विज्ञान की भाषा में रिसेप्टर बाइंडिंग डोमेन कहा जाता है। वायरस की कड़ियों को जोड़ने में जीवों की जीनोम सीक्वेंसिंग यानी जेनेटिक मटेरियल को क्रम से लगाकर उसकी तुलना करना सबसे अहम प्रक्रिया है। इस नई स्टडी में इसी प्रक्रिया का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि पैंगोलिन-CoV की संरचना इंसान में फैले नए SARS-CoV-2 और चमगादड़ के Sars-CoV RaTG13 नाम के वायरस के समान है।

अभी तक यही माना जा रहा है कि चमगादड़ के इसी  Sars-CoV RaTG13 से ही  नया कोरोनावायरस SARS-CoV-2 पैदा हुआ है। केवल एक अंतर मिला है जो स्पाइक या S जीन का है। वैज्ञानिकों ने दो दिन पहले जब इसी अंतर पर फोकस किया तो समझ में आया कि ये कहीं न कहीं एक से दूसरे जानवर के शरीर में पहुंचा और वहां अपने आप को बदलकर एक नए रूप में पैदा हुआ है। इस तरह संभव है कि वायरस चमगादड़ से आया और पैंगोलिन के जरिये इंसानों में फैला। 

वायरस को सोर्स ढूंढ़ने के लिए चीनी वैज्ञानिक यह स्टडी पिछले साल से कर रहे हैं। इसके बारे में फरवरी के महीने में कुछ बातें सामने आई थीं। वैज्ञानिकों की टीम ने यह स्टडी एक वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू सेंटर में चार चीनी पैंगोलिन और 25 मलयन पैंगोलिन पर की। इसमें उनके फेफड़ों से टिश्यूज निकाले गए और उनमें वायरस की मौजूदगी का पता लगाया गया। इसी क्रम में यह सामने आया कि 25 मलयन पैंगोलिनों में से 17 का आरएनए Sars-CoV-2 जैसे वायरसों के लिए पॉजिटिव है और उनमें धीरे-धीरे कोरोना संक्रमण जैसे लक्षण भी सामने आए। इन जानवरों को सांस लेने में तकलीफ होने लगी, वे धीरे धीरे शिथिल होकर पड़ गए और रोने-चिल्लाने लगे। बाद में 17 में से 14 पैंगोलिन मर गए।

वहीं कनाडाई शोधकर्ताओं ने पिछले साल एक शोध में दावा किया कि कोरोना वायरस चमगादड़ से कुत्ते में और कुत्ते से इंसान में पहुंचा होगा। उनका कहना है कि आवारा कुत्तों का चमगादड़ खाना कोरोना महामारी की वजह हो सकती है। मॉलीक्युलर बायोलॉजी एंड इवोल्यूशन जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, इंसानों के शरीर में एक प्रोटीन होता है जिसे जिंक फिंगर एंटीवायरल प्रोटीन (जैप) कहते हैं। यह प्रोटीन जैसे ही कोरोनावायरस के जेनेटिक कोड साइट CpG को देखता है उसपर हमला करता है। अब वायरस अपना काम शुरू करता है और इंसान के शरीर में मौजूद कमजोर कोशिकाओं को खोजता है। कुत्तों में जैप कमजोर होता है इसलिए कोरोनावायरस आसानी से उसकी आंतों में अपना घर बना लेता है। 

कनाडा की ओटावा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जुहुआ जिया ने यह रिसर्च की। अब तक 1250 से ज्यादा कोरोनावायरस के जीनोम का अध्ययन कर चुके जुहुआ का कहना है कि सांप और पैंगोलिन में मिले वायरस के स्ट्रेन के कारण असल कड़ी टूट गई है जिसमें यह पता करना था कि चमगादड़ से इंसानों में वायरस कैसे पहुंचा। नए कोरोनावायरस के फैलने की कड़ी में नई जानकारी सामने आई है। चमगादड़ के जरिए यह वायरस कुत्तों की आंत तक पहुंचा और इससे इंसानों में संक्रमण फैला।

सुशील मानव
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