मोदी ने अपने कार्यकाल में प्रति घंटे 8.54 लाख, हर दिन 2 करोड़ रुपये विज्ञापन पर खर्च किए

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नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2014 से 7 दिसंबर 2022 तक करीब 6491.56 करोड़ रुपये विज्ञापन खर्च किए हैं। यह हर साल औसतन 750 करोड़ रुपये है। घंटे के आधार देखें तो 2014 के बाद औसतन प्रति घंटा 8.54 लाख रूपए और हर दिन 2.04 करोड़ रुपये विज्ञापन पर मोदी सरकार ने खर्च किया। इसका ज्यादातर हिस्सा नरेंद्र मोदी की छवि निर्माण के लिए खर्च किया।

सीबीसी वेबसाइट पर उपलब्ध आधिकारिक आंकड़ों से इस बात का पता चलता है कि इन विज्ञापनों में केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी) के माध्यम से प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में खर्च किया गया है।

थोड़ी राहत की बात यह है कि पिछले पूरे वित्तीय वर्ष में विज्ञापन खर्च 68% कम हो गया है। शुक्र है कि सरकार ने यह बेतहाशा विज्ञापन खर्च तब भी चलता जह देश कोविड-19 जैसी महामारी से जूझ रहा था। यह वही समय था, जब नरेंद्र मोदी पीएम केयर्स फंड के लिए लोगों से दान मांग रहे थे। सरकार कह रही थी कि कोविड़ महामारी से जूझने के लिए उसके पैसा नहीं है। जनता को इसके लिए पीएम केयर्स फंड में दान देना चाहिए।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने पिछले 8 सालों और 8 महीनों में प्रिंट विज्ञापनों पर अब तक 3230.77 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विज्ञापन पर 3260.79 करोड़ रुपये खर्च किए। कुल मिलाकर 6491.56 करोड़ रुपये विज्ञापन खर्च किए खर्च किए गए। यह जगजाहिर तथ्य है कि नरेंद्र मोदी अपनी छवि चमकाने के लिए यह सारा खर्च जनता की गाढ़ी कमाई ( टैक्स) से किया गया।

2015-16 में मोदी सरकार ने अपने छवि को लोगों के दिमाग में बैठा देने के लिए 508.22 करोड़ रुपये प्रिंट मीडिया और 531.60 करोड़ रुपये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर खर्च किया था। साल दर साल ये आंकड़े बढ़ते ही रहे। साल 2016-17 में 468.53 करोड़ रुपये प्रिंट मीडिया और 609.15 करोड़ रुपये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया; और 2017-18 में 636.09 रुपये (प्रिंट) और 468.92 रुपये (इलेक्ट्रॉनिक) पर विज्ञापन के रूप में खर्च किया गया ।

साल 2018-19 में खर्च 429.55 करोड़ रुपये (प्रिंट) और 514.28 करोड़ रुपये (इलेक्ट्रॉनिक) था, साल 2019-20 में 295.05 करोड़ रुपये (प्रिंट) और 317.11 करोड़ रुपये (इलेक्ट्रॉनिक); 2020-21 में 197.49 करोड़ रुपये (प्रिंट) और 167.98 करोड़ रुपये (इलेक्ट्रॉनिक); और 2021-22 में 179.04 करोड़ रुपये (प्रिंट) और 101.24 करोड़ रुपये (इलेक्ट्रॉनिक) पर विज्ञापन के लिए खर्च किया गया। 

संयोग से, विज्ञापन खर्च वित्तीय वर्ष 2014-15 में 898.51 करोड़ रुपये से 68% कम होकर 2021-22 में 280.28 करोड़ रुपये हो गया है। और इसकी वजह ये है कि अब जाकर केंद्र सरकार को लग रहा हो की अब तो जनता नहीं भूलेगी। 

चालू वित्त वर्ष में सरकार 7 दिसंबर 2022 तक 168.80 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है। इसमें प्रिंट मीडिया में विज्ञापनों पर 91.96 करोड़ रुपये और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापनों पर 76.84 करोड़ रुपये शामिल हैं।

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