तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव लड़ी ‘आप’, कहीं भी खाता नहीं खुला

आम आदमी पार्टी (आप) ने तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवार खड़े किए थे, लेकिन किसी राज्य में भी उसका खाता नहीं खुला। दरअसल, तीनों राज्यों के विधानसभा चुनाव में ‘आप’ ने पंजाब के वित्तीय संसाधन इस्तेमाल किए थे। इसलिए लोग सोशल मीडिया पर आलोचनात्मक टिप्पणियां कर रहे हैं। आप सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान को साथ लेकर तीनों प्रदेशों में चुनावी रैलियां करते रहे। पंजाब सरकार का उड़न खटोला लेकर। राज्य के मंत्रियों और विधायकों ने भी चुनावी रैलियों में हिस्सा लिया। लगातार दावे किए जाते रहे कि जैसी जीत लगभग दो साल पहले पंजाब में हासिल हुई; ठीक वैसी अन्य राज्यों में होगी। लेकिन मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी को धत्ता बता दिया। सोशल मीडिया पर प्रदेश और विदेश के हजारों लोग पूछ रहे हैं कि तीन राज्यों में आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार पर पंजाब सरकार की ओर से जो खर्च किया गया, उसका हिसाब कौन देगा?                                   

यह भी पूछा जा रहा है कि आप इस हश्र से सबक लेगी? खासतौर से पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान? राज्य सरकार की ओर से लगभग एक साल पहले उन राज्यों के अखबारों और राष्ट्रीय अखबारों के स्थानीय संस्करणों में अपनी तथाकथित प्रगति का बखान करने वाले बड़े-बड़े विज्ञापन दिए जाने लगे थे, जहां पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े करने थे। जग-जाहिर था कि यह चुनावी रणनीति का हिस्सा है। करोड़ों रुपए का खर्च आया। सारा खर्च सरकारी खजाने से हुआ। अवामी सवाल है कि सूबे को इससे क्या हासिल हुआ? जानकारों का मानना है कि मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना भी राज्यों के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर शुरू की गई थी। (अब पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने उस योजना पर शनिवार को सवालिया निशान लगाए हैं)।                                         

नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा कहते हैं, “विधानसभा में सरकार से बाकायदा पूछा जाएगा कि तीन राज्यों के चुनाव में पंजाब सरकार की ओर से कितना पैसा खर्च किया गया और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कितने दौरे सरकारी विमान के जरिए ‘आप’ उम्मीदवारों के पक्ष में किए। पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी पंजाब सरकार का जहाज मुहैया कराया गया।” शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री बिक्रमजीत सिंह मजीठिया के अनुसार, “विधानसभा चुनाव में तीन राज्यों में आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवार खड़े किए थे। कहीं से भी जीत हासिल नहीं हुई। इससे साबित होता है कि ‘आप’ अपना वजूद खो चुकी है। आप सरकार ने पंजाब के लोगों के साथ धोखा किया; दूसरे राज्यों के लोग इस धोखे के लिए तैयार नहीं।” 

मार्क्सवादी नेता मंगतराम पासला के मुताबिक, “लोग उन्हें (यानी ‘आप’ उम्मीदवारों को) क्यों वोट दें? पंजाब में इस पार्टी की कारगुजारी से दूसरे राज्यों के लोग भी बखूबी वाकिफ हैं। इन दिनों पंजाब के किसानों और बेरोजगारों के साथ जो किया जा रहा है, वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन चुका है। वीआईपी कल्चर के खिलाफ अभियान चलाने वाली यह पार्टी खुद ‘अति विशिष्ट’ होने की ग्रंथि का शिकार है।” 

गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार खड़े किए थे। दिल्ली के अलावा पंजाब में पार्टी की सरकार है। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी उम्मीदवार खड़े किए गए थे। हरियाणा में भी। लेकिन कहीं जीत हासिल नहीं हुई। ‘आप’ प्रमुख पार्टी को चौतरफा फैलाना चाहते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर उन्हें कामयाबी नहीं मिल रही। इसलिए भी कि दल के निर्णायक नीतिगत फैसलों के लिए तमाम अधिकार उन्होंने अपने पास रखे हुए हैं। खुले आरोप लग रहे हैं कि पार्टी चलाने के लिए वह पंजाब के भरोसे हैं। वह सरकार के गठन के बाद कई बार पंजाब आ चुके हैं। कल ही वह गुरदासपुर आए और एक रैली में शिरकत की। जबकि वह इतना बड़ा समागम नहीं था कि पार्टी के दो राज्यों के मुख्यमंत्री उसमें शिरकत करें। वैसे, शुरू से ही पंजाब अरविंद केजरीवाल की शिकारगाह रहा है। विपक्षी दल अक्सर आरोप लगाते रहे हैं कि सूबे की सरकार को दिल्ली के रिमोट कंट्रोल पर चलाया जाता है। राघव चड्ढा और उनकी टीम पंजाब सरकार पर हावी है। आम आदमी पार्टी के किसी नेता से बात कीजिए, इस सवाल पर खामोशी अख्तियार कर ली जाती है।

(अमरीक सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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