भीमा कोरेगांव से जुड़ी नई गिरफ्तारियों और प्रताड़ना के खिलाफ 700 से ज्यादा शख्सियतों ने दर्ज किया प्रतिवाद

(देश में एक्टिविस्टों के उत्पीड़न का दूसरा दौर शुरू हो गया है। जिसमें सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ ही पहले से गिरफ्तार उनके रिश्तेदारों और परिजनों को निशाना बनाया जा रहा है। इसी कड़ी में एनआईए ने क्रांतिकारी कवि वरवर राव के दोनों दामाद प्रोफेसर सत्यनारायण और पत्रकार केवी कुरमानाथ को समन भेजा है। और उन दोनों से गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा है। देश और दुनिया के स्तर पर इसका विरोध शुरू हो गया है। दुनिया के तकरीबन 700 से ज्यादा प्रोफेसरों, विद्वानों, एक्टिविस्टों ने हस्ताक्षर दर्ज करके अपना प्रतिवाद जाहिर किया है। इनमें प्रमुख लोगों में नॉम चामस्की, बारबरा हैरिस ह्वाइट, जान ब्रेमन, सुसी थारू, सुमित सरकार, तनिका सरकार, प्रभात पटनायक, ज्ञान प्रकाश, राजेश्वरी सुंदर राजन, उत्सा पटनायक आदि शामिल हैं। पेश है उनका पूरा वक्तव्य-संपादक)

हम निम्नलिखित अकादमिक, पत्रकार और सरोकार रखने वाले नागरिक, नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी द्वारा किए जा रहे अकादमिकों एवं एक्टिविस्टों की प्रताड़ना और गिरफ्तारी के नए दौर के सिलसिले की कड़े शब्दों में भर्त्सना करते हैं, जो उन्हें भीमा कोरेगांव मामले में फंसाना चाहती है। पार्थ सारथी रॉय के बाद एनआईए ने अब प्रोफेसर सत्यनारायण और वरिष्ठ पत्रकार के वी कुरमानाथ को 9 सितम्बर के दिन अपने यहां आने के लिए समन भेजा है। समन भेजे जाने का मामला अभी जारी ही था कि एनआईए ने कबीर कला मंच के सागर गोरखे और रमेश गायचोर को इसी मामले में गिरफ्तार कर लिया है।

प्रोफेसर सत्यनारायण हैदराबाद के इंग्लिश एण्ड फॉरेन लैंग्वेजेस यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ कल्चरल स्टडीज में प्रोफेसर हैं। दलित अध्ययन को एक अकादमिक अनुशासन के तौर पर स्थापित करने में उनका अहम योगदान रहा है और एक विद्वान एवं अध्यापक के तौर पर उनकी काफी शोहरत है।

अपने दोस्तों को भेजे सन्देश में, जिसमें उन्होंने इस ख़बर को साझा किया, प्रोफेसर सत्यनारायण ने कहा है कि मुझे ‘‘अपराध दंड संहिता की धारा 160 तथा धारा 91 के तहत एनआईए के समक्ष एक गवाह के तौर पर बुलाया गया है। मेरे साढ़ू के वी कुरमानाथ, जो एक वरिष्ठ पत्रकार हैं, उन्हें भी उसी समय और तारीख़ पर बुलाया गया है।’’ उन्हें कथित तौर पर अपने बयान दर्ज करने के लिए बुलाया गया है लेकिन यह स्पष्ट है कि इसका मकसद उन्हें तथा केवी कुरमानाथ को विवश करना है ताकि वह ऐसे बयान दें जो एक तरह से उनके ससुर, क्रांतिकारी कवि, वरवर राव को अपराध में उलझा दे।

वरवर राव के खिलाफ सबूत इकट्ठा करने के बहाने जब अगस्त, 2018 में उनके फ्लैट पर पुणे पुलिस ने छापा डाला था तब उन्होंने साफ-साफ बताया था कि वह किसी भी तरह से भीमा कोरेगांव मामले से जुड़े नहीं रहे हैं।

अपने दोस्तों को भेजे सन्देश में सत्यनारायण ने रेखांकित किया है कि एनआईए की यह नोटिस उनके परिवार की चिन्ताओं को और गहरा करती है जबकि वरवर राव का अपना स्वास्थ्य ठीक नहीं है और महामारी मुंबई में फैल रही है। वरवर राव की स्वास्थ्य की ख़राब स्थिति के बारे में मीडिया में भी चिन्ताजनक रिपोर्टें आयी हैं।

के सत्यनारायण और केवी कुरमानाथ को प्रताड़ित करने और कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने इन सभी कोशिशों को हम एक असुरक्षित हुकूमत द्वारा विद्वानों, पत्रकारों और सरोकार रखने वाले नागरिकों की असहमति रखने वाली तथा आलोचनात्मक आवाज़ों के दमन के तौर पर देखते हैं ताकि हर किस्म की जनतांत्रिक आकांक्षाओं को कुंद किया जाए। हम यह दोहराना चाहते हैं कि हम उनके साथ खड़े हैं और उनके जैसी आलोचनात्मक आवाज़ों को समर्थन देते रहेंगे, भले ही हमें खामोश करने की कोशिशें जारी रहें।

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